नयी दिल्ली : जापान के बाद अमेरिका में भी नमो-नमो का नारा गुंजेगा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस महीने के अंतिम सप्ताह में अमेरिका के दौरे पर जाने वाले हैं. वहां वे अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा से आपसी सहयोग बढ़ाने पर महत्वपूर्ण दो पक्षीय वार्ता करेंगे. मालूम हो कि अमेरिका ने चीन की बढ़ती ताकत व प्रभाव के मद्देनजर मजबूत भारत को क्षेत्रीय व वैश्विक शांति के लिए जरूरी बताया है.
अमेरिका के डिप्टी सेक्रेटरी ने जुलाई के दूसरे सप्ताह में अपने भारत दौरे के दौरान नरेंद्र मोदी से भेंट कर उन्हें इस वर्ष ओबामा की ओर से अमेरिका आने का निमंत्रण दिया था. वहीं, मोदी अमेरिका में बसे भारतीयों को भी संबोधित करेंगे और उन्हें अपनी माटी की याद करायेंगे और उसके विकास के लिए अपना निवेश व योगदान बढ़ाने का भी आग्रह करेंगे.
इस कारण अमेरिका में मोदी के स्वागत की तैयारी में सिर्फ अमेरिकी प्रशासन ही नहीं, बल्कि वहां रह रहा भारतीय समुदाय भी पूरे उत्साह से जुटा हुआ है. मोदी वहां 28 सितंबर को न्यूयार्क के मैडिसन स्कावॉयर गार्डन में भारतीय समुदाय को संबोधित करेंगे. कई ऐतिहासिक क्षणों का गवाह रहे इस गार्डन में मोदी के स्वागत के लिए अमेरिकी समुदाय जोर-शोर से जुटा हुआ है. इस गार्डन की क्षमता हालांकि 20 हजार ही है.
भारतीय समुदाय चाहता था कि मोदी के स्वागत के लिए एक लाख की क्षमता वाली कोई जगह मिले. अमेरिका में रह रहे भारतीय में गुजरातियों की संख्या अधिक है. इसलिए गुजराती समुदाय इस दौरे के लेकर विशेष उत्साह दिखा रहा है. इस कार्यक्रम के संयोजन में इंडियन अमेरिकन कम्युनिटी फाउंडेशन लगा है और वह इस मद में 15 लाख डॉलर खर्च कर रहा है. गुजराती समाज ऑफ अटलांटा, गुजराती कल्चरल एसोसिएशन, गुजराती लिटरेसी एकेडेमी, गुजरात पटेल प्रगति मंडल सहित कई दूसरे संगठन पीएम मोदी के स्वागत की तैयारी में जुटे हैं.
* क्या है मैडिसन स्कावॉयर गार्डन का महत्व
अमेरिका में मैडिसन स्कावॉयर गार्डन कार्यक्रमों व आयोजनों के लिए काफी महत्वपूर्ण जगह माना जाता है. वहां रिपब्लिकन व डेमोक्रेट दोनों पार्टियों के नेता पॉलिटिकल कन्वेंशन करते रहे हैं, जबकि लेडी गागा जैसी सिंगर वहां म्यूजिक कनर्सन करती रही हैं. इसके अलावा यह टेनिस मैच, बॉक्सिंग प्रतियोगिता व सर्कस के आयोजन का भी गवाह बनता रहा है.
* पिछले प्रधानमंत्रियों से अलग होगा मोदी का अंदाज
पहले भी भारत के प्रधानमंत्री जब-जब अमेरिका के दौरे पर गये हैं, तो उन्होंने वहां भारतीय समुदाय को संबोधित किया है. लेकिन मोदी का यह संबोधन इस मायने में खास होगा कि इस बार वे अपने पूर्ववर्तियों की तुलना में अधिक बड़े भारतीय-अमेरिकी जन समूह को संबोधित करेंगे. डॉ मनमोहन सिंह ने मात्र 1000 भारतीय मूल के लोगों को व अटल बिहारी वाजपेयी ने तीन हजार भारतीय मूल के लोगों को संबोधित किया था. इस तरह मोदी वहां अपने पूर्ववर्तियों का रिकॉड भी तोड़ेंगे.
* अमेरिका ने किया था विजा देने से इनकार
गुजरात दंगों के बाद 2005 में अमेरिका ने मोदी को विजा देने से इनकार कर दिया था. इसके पीछे मोदी के गुजरात के मुख्यमंत्री रहते 2002 के गुजरात दंगों में अल्पसंख्यकों की हत्या को कारण बताया गया था. लेकिन 2010 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा इस मामले में उन पर लगे आरोपों के साबित होने के लिए पर्याप्त सबूत नहीं होने की बात कहे जाने पर पश्चिमी देशों का उनके खिलाफ रुख नरम पड़ा. 2012 में यूरोपियन यूनियन ने उनके बहिष्कार से किनारा कर लिया.