नयी दिल्लीः भारत और ऑस्ट्रेलिया ने असैन्य परमाणु समझौते पर हस्ताक्षर कर लिया. दोनों देश द्वारा लिये गये इस फैसले को बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है. इस फैसले के बाद कैनबरा नयी दिल्ली को यूरेनियम की आर्पूती करेगा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके ऑस्ट्रेलियाई समकक्ष टोनी एबोट के बीच बैठक के बाद परमाणु समझौते पर हस्ताक्षर किए.
भारत और ऑस्ट्रेलिया ने 2012 में यूरेनियम की ब्रिकी को लेकर बातचीत शुरू की थी. गौरतलब है कि यूरेनियम के भंडार के मामले में ऑस्ट्रेलिया दुनिया का तीसरा प्रमुख देश है और वह एक साल में करीब 7,000 टन यूरेनियम का निर्यात करता है. भारत पहले से इस पर नजर टिकाये बैठा था इस करार का मकसद परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण उपयोग के क्षेत्र में सहयोग को बढ़ावा देना है. टोनी ऐबट ने ऑस्ट्रेलियाई संसद में भारत आने के पहले ही कहा था, "मुझे भारत के साथ एक परमाणु सहयोग समझौते की उम्मीद है जिसके बाद ऑस्ट्रेलिया भारत को यूरेनियम बेच सकेगा." इससे पहलेआस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री टोनी एबॉट ने आज उद्योग मंडल सीआईआई और फिक्की द्वारा आयोजित समारोह में कहा कि प्रधानमंत्री मोदी और मैं आज एक परमाणु सहयोग के समझौते पर हस्ताक्षर करेंगे अंतत: जिससे आस्ट्रेलियाई यूरेनियम भारत पहुंच सकेगा.