नरेंद्र मोदी की पाठशाला : वर्तमान से बात, भविष्य पर नजर

IIराहुल सिंहII प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का अंदाज निराला है. पिछले दो दशक में थोड़ा मद्धम पड़ गये शिक्षक दिवस के आकर्षण व गौरव को वापस करने के लिए उन्होंने वीडियो-कान्फ्रेंसिंग के जरिये सीधे बच्चों से बात करने की राह चुनी. जब मोदी वर्तमान समय में देश के बच्चों से बात कर रहे थे, तब उनकी […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 5, 2014 5:44 PM
2014 9$largeimg105 Sep 2014 194511280gallery
नरेंद्र मोदी की पाठशाला : वर्तमान से बात, भविष्य पर नजर 12
नरेंद्र मोदी की पाठशाला : वर्तमान से बात, भविष्य पर नजर 13
नरेंद्र मोदी की पाठशाला : वर्तमान से बात, भविष्य पर नजर 14
नरेंद्र मोदी की पाठशाला : वर्तमान से बात, भविष्य पर नजर 15
नरेंद्र मोदी की पाठशाला : वर्तमान से बात, भविष्य पर नजर 16
नरेंद्र मोदी की पाठशाला : वर्तमान से बात, भविष्य पर नजर 17
नरेंद्र मोदी की पाठशाला : वर्तमान से बात, भविष्य पर नजर 18
नरेंद्र मोदी की पाठशाला : वर्तमान से बात, भविष्य पर नजर 19
नरेंद्र मोदी की पाठशाला : वर्तमान से बात, भविष्य पर नजर 20
नरेंद्र मोदी की पाठशाला : वर्तमान से बात, भविष्य पर नजर 21
नरेंद्र मोदी की पाठशाला : वर्तमान से बात, भविष्य पर नजर 22

IIराहुल सिंहII

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का अंदाज निराला है. पिछले दो दशक में थोड़ा मद्धम पड़ गये शिक्षक दिवस के आकर्षण व गौरव को वापस करने के लिए उन्होंने वीडियो-कान्फ्रेंसिंग के जरिये सीधे बच्चों से बात करने की राह चुनी. जब मोदी वर्तमान समय में देश के बच्चों से बात कर रहे थे, तब उनकी नजर कल के भारत और कल के युवा पर ही थी. इसका उन्होंने बार-बार संकेत भी दिया. आज के ये किशोर वय बच्चे पांच-सात साल बाद युवा बनेंगे और विभिन्न क्षेत्रों में जाकर देश के लिए काम करेंगे. ऐसे में मोदी उनके अंदर राष्ट्र गौरव का भाव भरना चाहते हैं. मोदी ने कहा कि जो साल का सोचते हैं, वे अनाज बोते हैं; जो दस साल का सोचते हैं, वे पेड़ बोते हैं; जो पीढ़ियों की सोचते हैं वे इनसान के निर्माण के बारे में सोचते हैं. मोदी का यह कहना अहम है कि बच्चों को महान लोगों का जीवन चरित्र के बारे में पढ़ना चाहिए. उन्होंने कहा कि अफसर अगर कुछ समय स्कूलों को दें तो इससे राष्ट्रीय चरित्र का निर्माण हो सकेगा. उन्होंने कहा राजनीति को लाभ का पेशा नहीं, सेवा का कार्य है.

मोदी ने कहा कि दिन में चार बार बच्चों का पसीना निकलना चाहिए, खेलकूद और मस्ती भी खूब करनी चाहिए. उन्होंने भारत को दुनिया में टीचर एक्सपोर्टर देश बनाने की भी बात कही. उन्होंने बिजली बचाने, कौशल विकास, बालिका शिक्षा, स्वच्छता व बच्चों को तकनीक से जोड़ने जैसे अहम विषयों पर बल दिया. प्रधानमंत्री ने कहा कि बिजली बनाना महंगा है, लेकिन उसे बचाना बहुत आसान है. इसके लिए उन्होंने चांदनी रात में बच्चों को बिजली बचाने के लिए प्रेरित किया. प्रधानमंत्री ने बच्चों को प्रकृति के साथ जीने की भी सीख दी. उन्होंने बच्चों से सवाल किया कि क्या आप ने सूर्योदय देखा है, चांदनी रात देखी है.

मोदी व बच्चों की यह मुलाकात कैनेडी-क्लिंटन की मुलाकात भी बन सकती है

मोदी से एक बच्चे के सवाल किया कि वह प्रधानमंत्री कैसे बन सकता है, इस पर पीएम ने कहा कि तुम 2024 की तैयारी करो, तब तुम वोटर बन जाओगे, इस दौरान मेरी कुर्सी को कोई खतरा नहीं है. अपने विशेष किस्म के संवाद कौशल के कारण मोदी ने देश के करोड़ों बच्चों को सीधे तौर पर खुद से रू-ब-रू होने का मौका उपलब्ध कराया. प्रधानमंत्री से बात करने का अवसर मिलने से बच्चों में एक गौरव भाव भी आयेगा. लाखों बच्चों के लिए इस अहम आयोजन के महत्व को इस तरह भी समझ सकते हैं कि बिल क्लिंटन के मन में पहली बार राष्ट्रपति बनने का भाव तब आया था, जब उन्हें अपने स्कूली दिनों में अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति जॉन ऑफ कैनेडी से मिलने का मौका मिला था. उन्होंने कहा कि गुगल गुरु से सूचना मिलती है, ज्ञान नहीं.

मोदी ने अपने बचपन की शैतानियों को भी याद किया. उन्होंने कहा कि जब वे बच्चे थे और शादियों में शहनाई बजती थी, तो वे और उनके दोस्त शहनाई वादक को इमली दिखाते थे. इससे शहनाई वादक को मुंह में पानी आ जाती थी तो वह शहनाई नहीं बजा पाता. उन्होंने यह भी कहा कि वे और उनके दोस्त दो लोगों के कपड़े स्टेपल कर देते थे. उन्होंने खेलकूद में बच्चों को शामिल होने का कहा. उन्होंने कहा कि आज कोई टीचर नहीं बनना चाहता है, जबकि यह जरूरी है कि हमारे देश से अच्छे शिक्षक निकलें.

प्रधानमंत्री ने बच्चों से सीधा संवाद कर एक अहम परंपरा को शुरू किया है. आखिरकार, राष्ट्र के भविष्य के साथ वर्तमान में बात करना जरूरी तो है ही.

Next Article

Exit mobile version