राष्ट्रपति की अपील, शिक्षा के लिए एकजुट होकर काम करें
नयी दिल्ली: राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने देश से निरक्षरता को पूरी तरह समाप्त करने के प्रयासों को तेज करने पर जोर देते हुए आज कहा कि अनुसूचित जाति-जनजाति, अल्पसंख्यकों और वंचित वर्गों में साक्षरता की दर में सुधार लाने पर ध्यान दिया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि हमारा लक्ष्य साक्षरता दर को विश्व के अग्रणी […]
नयी दिल्ली: राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने देश से निरक्षरता को पूरी तरह समाप्त करने के प्रयासों को तेज करने पर जोर देते हुए आज कहा कि अनुसूचित जाति-जनजाति, अल्पसंख्यकों और वंचित वर्गों में साक्षरता की दर में सुधार लाने पर ध्यान दिया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि हमारा लक्ष्य साक्षरता दर को विश्व के अग्रणी समाजों के बराबर लाने का होना चाहिए.
उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी ने निरक्षरता को ‘‘पाप और शर्म’’ की बात बताया था और इस स्थिति को समाप्त किया ही जाना चाहिए. निरक्षरता समाप्त करने की मुहिम में उन्होंने स्वयंसेवी एजेंसियों, नागरिक संगठनों, कार्पोरेट और निजी क्षेत्रों की सक्रिय भागीदारी का आहवान किया.
मुखर्जी ने ‘‘अंतरराष्ट्रीय साक्षरता दिवस’’ के अवसर पर यहां आयोजित समारोह में कहा, ‘‘आज, आजादी के 67 साल से अधिक समय के बाद भी हम कहां हैं? साक्षरता दर 1951 में 18 प्रतिशत थी जो उससे चार गुणा बढ कर 2011 में 74 प्रतिशत हो गई है. इसके बावजूद, हमारी साक्षरता दर विश्व की 84 प्रतिशत की औसत दर से कम है.’’ उनका कहना है, ‘‘हमारा लक्ष्य साक्षरता दर को विश्व की औसत दर के बराबर लाना ही नहीं बल्कि विश्व के अग्रणी समाजों के समकक्ष लाने का होना चाहिए.’’
राष्ट्रपति ने कहा कि देश ने 12वीं योजना के अंत तक 80 प्रतिशत साक्षरता दर पाने का लक्ष्य रखा है. उन्होंने कहा कि इस अवधि में सरकार इस क्षेत्र में लैंगिक अंतर को भी 16 प्रतिशत से कम करके 10 प्रतिशत पर लाने का प्रयास करेगी.
उन्होंने कहा कि प्रौढ साक्षरता में भी ‘‘असमान प्रगति’’ को दुरुस्त करने पर ध्यान दिया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि प्रौढ साक्षरता में केरल, हिमाचल प्रदेश और मिजोरम ने अच्छा काम किया है लेकिन कई अन्य राज्य इस मामले में काफी पीछे हैं.
शिक्षा में लैंगिक अंतर को पाटने की आवश्यकता पर बल देते हुए मुखर्जी ने कहा कि हमारे देश में पुरुषों में 80.89 प्रतिशत साक्षरता दर है जबकि महिलाओं में यह मात्र 64.64 प्रतिशत है. राष्ट्रीय साक्षरता मिशन द्वारा महिला साक्षरता पर ध्यान दिए जाने के प्रयासों और शिक्षा के प्रसार में साक्षर भारत कार्यक्रम की पहल की उन्होंने सराहना की.
साक्षरता बढाने के सरकार के प्रयासों में कार्पोरेट जगत और निजी क्षेत्र की भागीदारी की भी उन्होंने सराहना की. उन्होंने कहा, ‘‘मुझे यह जानकर खुशी हुई कि इन प्रयासों के अच्छे नतीजे सामने आ रहे हैं. ऐसे में मैं एक ओर राज्य सरकारों, पंचायत राज संस्थानों और दूसरी ओर उभरते भारत के सभी हितधारकों–कार्पोरेट और निजी क्षेत्र, स्वयंसेवी एजेंसियों, समाजिक संगठनों से अपील करता हूं कि वे एकजुट होकर इस लक्ष्य को पाने में और उत्साह से काम करें.’’