बाढ़ ने कश्‍मीर को बना दिया जन्नत से जहन्नुम

नयी दिल्ली: कश्मीर को धरती का स्वर्ग कहा जाता है. पर्यटन यहां का मुख्‍य कारोबार का माध्‍यम है लेकिन भयंकर बाढ़ ने इस खूबसूरत प्रदेश को जन्नत से जहन्नुम बना दिया है. भारत की आजादी के बाद इस तरह का यह पहला बाढ़ है जिससे कश्‍मीर जूझ रहा है. राजधानी श्रीनगर में पानी घुस चुका […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 9, 2014 12:17 PM

नयी दिल्ली: कश्मीर को धरती का स्वर्ग कहा जाता है. पर्यटन यहां का मुख्‍य कारोबार का माध्‍यम है लेकिन भयंकर बाढ़ ने इस खूबसूरत प्रदेश को जन्नत से जहन्नुम बना दिया है. भारत की आजादी के बाद इस तरह का यह पहला बाढ़ है जिससे कश्‍मीर जूझ रहा है. राजधानी श्रीनगर में पानी घुस चुका है. पूरा शहर पानी-पानी हो गया है. वहीं यदि दक्षिण कश्मीर की बात करें तो यहां हालत और खराब है.

करीब ढाई हजार गांव पूरी तरह से बाढ़ से प्रभावित हैं. यहां करीब 500 गांव जलमग्न हो गये हैं. यहां लोग घरों में फंसे हुए हैं. सेना राहत बचाव कार्य में लगी हुई है. केंद्र ने भी इस बाढ़ को राष्‍ट्रीय आपदा घोषित कर दिया है. श्रीनगर के कई इलाके तालाब बन चुके है. अबतक इस बाढ़ से करीब 200 लोग काल के गाल में समा गये हैं.

लगातार बारिश की वजह से उफान मारती झेलम का पानी बीती रात श्रीनगर शहर में आ घुसा. आम दिनों में झेलम का पानी कम से कम सड़क से 20 से 30 फीट नीचे तक रहता था लेकिन अभी जो हालात हैं वह बद से बदत्तर बने हुए हैं. सड़क और नदी एक ही स्तर पर आ गए हैं. यहां पता नहीं चल पा रहा है कि सड़क कहां है और नदी कहां.

श्रीनगर की मशहूर डल झी का पानी सड़क के बराबर आ चुका है. आम दिनों में डल का पानी सड़क से 15 से 20 फीट नीचे रहता है. डल झील में चलने वाले शिकारें नीचे डल झील में रहते थे लेकिन अभी सड़क पर हैं क्योंकि डल का पानी सड़क के ऊपर आ चुका है.

यहां झेलम समेत तमाम नदियां अपने उच्चतम स्तर पर है. जलस्तर इस कदर बढ़ गया कि कई जगहों पर झेलम नदी के तटबंध टूट गए और शहर में पानी आ घुसा. बादामीबाग, सोनावर, राजबाग, कुर्सू, नातीपुरा, नौगाम, बारजुला, राजबाग, जवाहर नगर, अमीराकदल, हरी सिंह हाई स्ट्रीट, रीगल चौक, गनी खान, पंथीपोरा, सफाकदल समेत शहर के ज्यादातर इलाके में पानी घुस चुका है.

बीते 60 साल में कश्मीर में आई ये सबसे खतरनाक बाढ़ है. कहा जा रहा है कि इससे पहले इस तरह के बाढ़ से वहां के लोग अपरिचित थे. सरकार के राहत बचाव से कुछ दिनों में यह समस्या हल तो हो जायेगी लेकिन उसके बाद का क्या होगा. अपनी रोजी रोटी के लिए यहां के पर्यटन पर निर्भर रहने वालों काक्याहोगा.

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