किसानों के हितों का बलिदान नहीं दे सकता भारत : मोदी

नयी दिल्ली:प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज कहा कि भारत नियम आधारित वैश्विक व्यापार समझौते में बाधा नहीं बनेगा. लेकिन साथ ही उन्होंने यह भी स्पष्ट कर दिया कि देश के गरीबों के हितों के साथ भी समझौता नहीं किया जाएगा. उन्होंने कहा कि देश के गरीबों और किसानों के हितों और खाद्य सुरक्षा का बलिदान […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 9, 2014 4:20 PM

नयी दिल्ली:प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज कहा कि भारत नियम आधारित वैश्विक व्यापार समझौते में बाधा नहीं बनेगा. लेकिन साथ ही उन्होंने यह भी स्पष्ट कर दिया कि देश के गरीबों के हितों के साथ भी समझौता नहीं किया जाएगा.

उन्होंने कहा कि देश के गरीबों और किसानों के हितों और खाद्य सुरक्षा का बलिदान भी नहीं किया जा सकता. उन्होंने खाद्य एवं कृषि संगठन से आग्रह किया कि वह विश्व व्यापार संगठन में गरीबों और किसानों के हितों की रक्षा का नेतृत्व करे.
प्रधानमंत्री ने उनसे मुलाकात करने आए खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ) के महानिदेशक डा. जोस ग्रैजियानो, डा सिल्वा से कहा कि भारत नियम आधारित वैश्विक व्यापार समझौते के रास्ते में खडा नहीं हो सकता है.
लेकिन भारत गरीबों और किसानों के हितों और खाद्य सुरक्षा का बलिदान नहीं दे सकता है. सरकारी विज्ञप्ति के अनुसार मोदी ने डा. सिल्वा को ब्राजील में नो हंगर प्रोजेक्ट में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली शख्सियतों में से एक बताया और एफएओ से विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) में गरीबों और किसानोa के हितों की रक्षा करने में नेतृत्व करने का आहवान किया.
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत भारतीय कृषि में आने वाली चुनौतियों से निपटने में एफएओ की सक्रिय भागीदारी की ओर देख रहा है. उन्होंने खाद्य भंडारण में क्षमता बढाने के लिए एफएओ के साथ साझेदारी की जरुरत पर भी बल दिया.
उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों के जरिए एफएओ के प्रयासों के द्वारा लाई गई इस तरह की क्षमता का इस्तेमाल बहुत गरीब देशों की पोषण और खाद्य संबंधी जरुरतों को पूरा करने के लिए किया जा सकता है.
प्रधानमंत्री ने भारत में महिलाओं को ध्यान में रखकर विशेष अभियान तैयार करने में एफएओ के सहयोग की बात कही, जो पोषण मूल्य और खाद्य आदतों को सुधारने का मार्ग बताएगा.
डा. सिल्वा के साथ बातचीत के दौरान उन्होंने स्कूली बच्चों के लिए मिड-डे मील में पोषक तत्वों को बढाने, दालों के उत्पादन और प्रोटीन तत्वों को बढाने, तिलहन के उत्पादन को सुधारने, दूध उत्पादकता को बढाने और भारत मे मत्स्य क्षेत्र के आधुनिकीकरण के लिए एफएओ के सहयोग के तरीकों और उपायों पर भी विचार विमर्श किया.

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