नयी दिल्ली : जम्मू कश्मीर में आयी प्रलंयकारी बाढ़ से निबटने में भारतीय सेना ने शानदार ढंग से अपना राष्ट्रीय कर्तव्य निभाया है. सेना ने खुद के साथ हर भारतीय को भी गौरवान्वित किया है. बुधवार तक के सरकारी आंकड़े के अनुसार, अबतक 76 हजार 500 लोगों को सशस्त्र बलों व एनडीआरएम ने बचाया है. सेना के शानदार कार्यों के कारण जम्मू कश्मीर के अवाम का विश्वास भी उसके प्रति बढ़ा है.
स्थानीय लोग केंद्र सरकार से राहत कार्य सीधे सेना के माध्यम से ही चलाने की मांग मीडिया व टीवी चैनलों से बातचीत में कह रहे हैं. प्रभावित क्षेत्र में भारतीय वायु सेना व थल सेना की आर्मी एविएशन कोर के 79 परिवहन विमान व हेलीकॉप्टर राहत व बचाव कार्य में लगाये गये हैं. सेना की कुल 329 टुकडि़यां राहत व बचाव कार्य में लगायी गयी हैं. इसमें 244 श्रीनगर व 85 जम्मू क्षेत्र में हैं.
प्राप्त सूचना के अनुसार, अबतक 8200 कंबल व 650 तंबू वितरित किये गये हैं. सेना ने एक लाख 50 हजार लीटर पानी, 2.6 टन बिस्कुट, सात टन बेबी फूड और 28 खाद्य पदार्थों के पैकेट बाढ़ वाले इलाकों में बांटा गया है. लोगों को डॉक्टरी सहायता पहुंचाने के लिए 80 मेडिकल टीमें लगायी गयी हैं. अबतक सशस्त्र बल के विमानों व हेलीकॉप्टरों ने 613 उड़ानें भरी हैं. अबतक 715 टन राहत सामग्री हेलीकॉप्टरों से गिरायी गयी है. सेना की 135 नाव व एनडीआरएफ की 148 रबर की नाव राहत-बचाव कार्य में लगायी गयी हैं.
सड़क यातायात को दुरुस्त करने के लिए कार्य किया जा रहा है. बॉर्डर रोड आरगेनाइजेशन की पांच टीमें इसके लिए लगायी गयी हैं. इनके 5700 कर्मी इस कार्य में लगे हैं. बटोट-किश्तवाड़ व किश्वतवाड़-सिंथन दर्रे के बीच सड़क यातायात बहाल कर दी गयी है. सिंथन दर्रे व अनंतनाग के बीच मार्ग को दुरुस्त करने के लिए काम चलरहा है. जम्मू की ओर 172 किमी तक हल्के वाहनों का आना-जाना भी शुरू हो चुका है. वहीं जम्मू-पुंछ रोड को भी यातायात के लिए खोल दिया गया है.