दिल्‍ली में भाजपा सरकार के पक्ष में शीला दीक्षित, कांग्रेस नाराज, पार्टी से हटाने की मांग

नयी दिल्ली :दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित अब अपने बयान पर घिरती नजर आ रही है. कांग्रेस के पूर्व विधायक भीष्म शर्मा ने सोनिया को चिट्ठी लिखकर उन्हें कांग्रेस से हटाने की मांग की है. उन्होंने शीला पर आरोप लगाते हुए कहा कि शीला राज्यपाल के पद पर बने रहना चाहती थीं. उन्होंने गृहमंत्री […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 11, 2014 1:39 PM

नयी दिल्ली :दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित अब अपने बयान पर घिरती नजर आ रही है. कांग्रेस के पूर्व विधायक भीष्म शर्मा ने सोनिया को चिट्ठी लिखकर उन्हें कांग्रेस से हटाने की मांग की है. उन्होंने शीला पर आरोप लगाते हुए कहा कि शीला राज्यपाल के पद पर बने रहना चाहती थीं. उन्होंने गृहमंत्री राजनाथ सिंह से मिलकर इस संबंध में बातचीत भी की थी.

शर्मा ने शीला पर आरोप लगाया कि इस मुलाकात में उन्होंने राजनाथ सिंह से खुद के खिलाफ होने वाली जांच में ढील देने के लिए मोल भाव भी किया था. इसलिए आज वे भाजपा के पक्ष में बयान दे रही है.उन्होंने जिस तरह का बयान दिया है उसके बाद उनके लिए कांग्रेस में कोई जगह नहीं होनी चाहिए. दिल्ली कांग्रेस के एक और प्रमुख नेता मुकेश शर्मा ने शीला के बयान की निंदा की है.

उधर इस मामले में शुरू हुए विवाद को थामने के लिए कांग्रेस के मीडिया प्रभारी अजय माकन ने इसे शीला दीक्षित का निजी बयान बताया है.हालांकि अब यह पूरा मामला तूल पकड़ता जा रहा है. एक तरह कांग्रेस शीला के बयान से कन्नी काट रही है तो दूसरी तरफ शीला पर नये आरोप भी लग रहे है.

शीला दीक्षित ने कहा है कि अगर भाजपा के पास पर्याप्त संख्या बल है, तो दिल्ली में उसे सरकार बना लेनी चाहिए. उन्होंने कहा कि यह अच्छा है कि भाजपा दिल्ली में सरकार बनाये.

शीला दीक्षित के बयान के बाद भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सतीश उपाध्याय ने कहा कि उनका बयान एक परिपक्व राजनेता का बयान है, जिसे गंभीरता के साथ लिया जाना चाहिए. वहीं आम आदमी पार्टी ने शीला के बयान की निंदा की है. आशुतोष ने ट्वीट किया है कि ऐसा लगता है कि शीला और अमित शाह एक ही सुर में बोल रहे हैं.

इस मामले में कांग्रेस को अपनी स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए.गौरतलब है कि दिल्ली में सरकार गठन को लेकर राजनीति गरमायी हुई है और भाजपा की ओर से यह बयान भी आया है कि अगर उपराज्यपाल उन्हें न्यौता देते हैं, तो भाजपा सरकार गठन के बारे में सोचेगी. वहीं आम आदमी पार्टी यह साबित करने में जुटी है कि भाजपा उसके विधायकों को तोड़ने में जुटी हुई है.

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