मोदी की प्रशंसा करने वालों पर क्या गिरेगी गाज?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को कांग्रेसी पसंद नहीं करते और उनकी निंदा करने का कोई मौका नहीं छोड़ते हैं, यह बात जगजाहिर है. लेकिन पिछले कुछ दिनों से कांग्रेसी नेता अपने धुर विरोधी नरेंद्र मोदी की तारीफ करने में जुटे हैं, यह जहां चौंकाने वाला है, वहीं कहीं सवाल भी खड़े करता है. पिछले सप्ताह कांग्रेस […]
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को कांग्रेसी पसंद नहीं करते और उनकी निंदा करने का कोई मौका नहीं छोड़ते हैं, यह बात जगजाहिर है. लेकिन पिछले कुछ दिनों से कांग्रेसी नेता अपने धुर विरोधी नरेंद्र मोदी की तारीफ करने में जुटे हैं, यह जहां चौंकाने वाला है, वहीं कहीं सवाल भी खड़े करता है. पिछले सप्ताह कांग्रेस के तीन प्रमुख नेता ने नरेंद्र मोदी की प्रशंसा में कसीदे पढ़े.
जम्मू-कश्मीर में आये बाढ़ के दौरान केंद्र सरकार ने जिस तत्परता के साथ राहत कार्य किया है, कांग्रेसी नेता दिग्विजय सिंह और गुलाम नवी आजाद ने मोदी की प्रशंसा की. दिग्विजय सिंह ने कहा है कि पाक अधिकृत कश्मीर में मोदी ने जिस तरह से राहत कार्य किया, वह तारीफ के काबिल है.
वहीं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद गुलाम नवी आजाद ने भी मोदी की प्रशंसा की और कहा कि पाक अधिकृत कश्मीर में प्रधानमंत्री ने जिस तरह की मदद पहुंचायी, यह उनकी राष्ट्रधर्मिता को दर्शाता है. वहीं सलमान खुर्शीद ने कहा है कि हम वैसे किसी भी काम की प्रशंसा करते हैं, जो मानवता के लिए किये गये हों.
यह तो बात हुई जम्मू-कश्मीर में बचाव कार्य की. बचाव कार्य की प्रशंसा किया जाना बहुत चौंकाने वाला नहीं है. लेकिन यहां गौर करने वाली बात यह है कि बचाव कार्य की आड़ में कांग्रेसी नेता नरेंद्र मोदी की प्रशंसा कर रहे हैं. आखिर ऐसा क्या हुआ है कि भूलकर भी नरेंद्र मोदी की प्रशंसा करने की गलती नहीं करने वाले कांग्रेसी मोदी की तारीफ कर रहे हैं.
वहीं कल दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने भी भाजपा के पक्ष में बयान दिया है. शीला दीक्षित ने कहा है कि अगर भाजपा के पास पर्याप्त आंकड़े हैं, तो वह दिल्ली में सरकार बना सकती है. यह अच्छा होगा. हालांकि शीला के इस बयान की प्रदेश कांग्रेस के नेताओं ने निंदा की और उनपर गृहमंत्री राजनाथ सिंह से सांठगांठ करने का आरोप भी लगा दिया.
यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि कांग्रेस की ओर से उक्त बयान तब आये हैं, जब कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और उपाध्यक्ष राहुल गांधी दोनों देश से बाहर हैं. यह स्थिति कांग्रेस के लिए चिंताजनक है और शीर्ष नेतृत्व पर भी कई सवाल खड़े करता है. लोकसभा चुनाव में मिली हार के बाद से कांग्रेस पार्टी में अंतरद्वंद चल रहा है.
पार्टी में कई ऐसे लोग हैं, जो हार के लिए राहुल गांधी और सोनिया गांधी को जिम्मेदार बताता है. ऐसा प्रतीत होता है कि वर्षों से सत्ता सुख भोगने वाले कांग्रेसी सत्ता जाने के बाद बौखला गये हैं और अपने शीर्ष नेतृत्व पर सवाल खड़े कर रहा है. लेकिन अभी भी पार्टी में गांधी परिवार का वर्चस्व कायम है.
मीडिया में कांग्रेस का अंतर्कलह सामने लाने वाले नेताओं को कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व बख्शने वाला नहीं है. आने वाले दिनों में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं, ऐसे में पार्टी के खिलाफ मीडिया में संदेश जाने से कांग्रेस आलाकमान नाराज हैं और स्वदेश लौटने के बाद वैसे नेताओं के खिलाफ कार्रवाई हो सकती है, जो उनकी अनुपस्थिति में बड़बोले हो गये हैं.