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कश्मीर बाढ: सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल बना हैदरपुरा मस्जिद

श्रीनगर:जम्‍मू कश्‍मीर में आयी भीषण बाढ, क्षेत्र में हिंदु-मुश्‍िलम सौहार्द का एक जीवंत उदाहरण बन गयी है. हैदरपुरा इलाके की जामा मस्जिद कश्मीर घाटी में बाढ से पीडितों के लिए एक बडी राहत केंद्र में बदल गयी है. महिला और बच्चों सहित सैकडों लोगों ने यहां शरण ले रखी है. महत्वपूर्ण बात यह है कि […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 12, 2014 2:35 PM

श्रीनगर:जम्‍मू कश्‍मीर में आयी भीषण बाढ, क्षेत्र में हिंदु-मुश्‍िलम सौहार्द का एक जीवंत उदाहरण बन गयी है. हैदरपुरा इलाके की जामा मस्जिद कश्मीर घाटी में बाढ से पीडितों के लिए एक बडी राहत केंद्र में बदल गयी है. महिला और बच्चों सहित सैकडों लोगों ने यहां शरण ले रखी है.

महत्वपूर्ण बात यह है कि आपदा के इस पल में यह मस्जिद सांप्रदायिक सौहार्द का एक प्रतीक बन गयी है. काम के लिए राज्य के बाहर से आए कुछ हिंदुओं ने भी यहां शरण ले रखी है.यह शिविर अभी बाढ से प्रभावित नहीं हुआ है. घाटी के विभिन्न हिस्से से आने वालों ने दुख और दर्द की आपबीती सुनायी.

उन लोगों ने बताया कि किस तरह रिहायशी इलाके में पानी आने लगा, कैसे जलस्तर बढता गया और कैसे कुछ खुद और कुछ सेना तथा अन्य स्थानीय लोगों की मदद से जान बचा पाये.

सरकारी कर्मचारी 58 वर्षीय बसीर अहमद अखून ने कहा, ‘जब पानी तेजी से बढने लगा तो मैं परिवार के अन्य तीन सदस्यों के साथ रविवार की शाम घर से निकला. मैंने एक नाव की व्यवस्था की और सबसे पहले अपनी बेटी को मस्जिद भेजा. इसके बाद बाकी लोगों को भेजा. उसके बाद से हम मस्जिद में रह रहे हैं.’

60 वर्षीय खालिदा अख्तर ने बताया कि वह और उनके परिवार के छह अन्य लोगों ने तंगपुरा में पानी बढने पर रविवार की रात अफरातफरी में अपना घर छोडा.

अख्तर ने कहा, ‘हमने पहले एक अस्पताल में शरण ली. लेकिन, अस्पताल का भवन भी खतरे में था और पुलिस को मदद के लिए कॉल किया गया. आधी रात के वक्त सेना आयी और हमें बचाया. मैं उन सबकी एहसानमंद हूं. बेघर लोगों को आश्रय देने के लिए मस्जिद के संचालकों का भी अख्तर ने शुक्रिया अदा किया.

उनके बेटे मोहम्मद हारुन ने कहा कि अस्पताल में 2000 लोग थे जिन्हें उस रात सेना ने बचाया. उन्होंने कहा, ‘पुलिस को कॉल किया गया लेकिन, सेना हमें बचाने के लिए आयी’. हम अपनी नई जिंदगी के लिए उनके शुक्रगुजार है. हैदरपुरा जामा मस्जिद कमेटी के अध्यक्ष हाजी गुलाम नबी डार ने कहा कि मस्जिद में हर दिन करीब 2400 भोजन करते हैं.

उन्होंने बताया कि बारामूला, कुपवाडा और सोपोर जैसी जगहों पर प्रभावित लोग भी आश्रय के लिए आये हैं.

उन्होंने कहा, ‘हमने शुक्रवार की रात शिविर लगाने का फैसला किया जब हमने देखा कि बाढ का पानी बढता जा रहा है’. डार ने कहा कि शिविर चलाने में सरकार की कोई भूमिका नहीं है और राहत सामग्री आम लोगों की तरफ से आ रही है.

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