अदालत ने किया अशोक चव्हाण के खिलाफ चुनाव आयोग का आदेश निरस्त
नयी दिल्ली:दिल्ली हाई कोर्ट ने आज चुनाव आयोग के उस आदेश को निरस्त कर दिया है जिसमें महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण को 2009 के विधानसभा चुनाव में हुए खर्च का गलत ब्यौरा देने लिए दोषी ठहराया था. चुनाव आयोग ने 13 जुलाई के आदेश में चव्हाण को कारण बताओ नोटिस भी जारी किया […]
नयी दिल्ली:दिल्ली हाई कोर्ट ने आज चुनाव आयोग के उस आदेश को निरस्त कर दिया है जिसमें महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण को 2009 के विधानसभा चुनाव में हुए खर्च का गलत ब्यौरा देने लिए दोषी ठहराया था.
चुनाव आयोग ने 13 जुलाई के आदेश में चव्हाण को कारण बताओ नोटिस भी जारी किया था. आयोग ने इस बारे में 20 दिन के भीतर जवाब देने को कहा था कि क्यों न उन्हें इसके लिए अयोग्य ठहराया जाए.
न्यायमूर्ति सुरेश कैत ने कहा, चुनाव आयोग का 13 जुलाई 2014 का आदेश निरस्त किया जाता है. चुनाव आयोग ने अपने आदेश में नांदेड संसदीय सीट से सांसद चव्हाण को कारण बताओ नोटिस का जवाब देने के लिए 20 दिन की समय दिया था.
चव्हाण को जन प्रतिनिधित्व कानून एवं नियम के अनुरुप चुनाव खर्च का ब्यौरा न देने का दोषी ठहराए जाने के बाद कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था. चुनाव आयोग ने कारण बताओ नोटिस में चव्हाण से पूछा था कि पिछले विधानसभा चुनाव में खर्च का वास्तविक और सही ब्यौरा देने में विफल रहने पर क्यों न उन्हें अयोग्य ठहराया जाए.
लेकिन उच्च न्यायालय ने 28 जुलाई को चव्हाण को जारी आयोग के कारण बताओ नोटिस पर रोक लगा दी थी. इसके पहले, पूर्व कानून मंत्री एवं वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल, जिन्होंने चव्हाण की पैरवी भी की, ने तर्क दिया था कि उनके मुवक्किल ने सभी चुनाव खर्च का सही ब्यौरा दिया था और 2009 के विधानसभा चुनाव में 6.85 लाख रुपये का खर्च किया था.
चव्हाण ने 2009 का विधानसभा चुनाव महाराष्ट्र के नांदेड लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले भोकर से जीता था. उन्होंने हालिया लोकसभा चुनाव में नांदेड से जीत दर्ज की है.