72 अप्रचलित कानून होंगे समाप्त

नयी दिल्ली:पुराने पड़ चुके और इस्तेमाल में नहीं आनेवाले कानूनों को रद्द करने के लिए सरकार की ओर से संसद में नया विधेयक पेश करने की तैयारियों के बीच विधि आयोग ने शुक्रवार को 72 पुराने, प्रचलन में नहीं रहनेवाले कानूनों को रद्द करने की सिफारिश की. आयोग ने कहा कि यह अविलंब सुनिश्चित करने […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 13, 2014 9:36 AM

नयी दिल्ली:पुराने पड़ चुके और इस्तेमाल में नहीं आनेवाले कानूनों को रद्द करने के लिए सरकार की ओर से संसद में नया विधेयक पेश करने की तैयारियों के बीच विधि आयोग ने शुक्रवार को 72 पुराने, प्रचलन में नहीं रहनेवाले कानूनों को रद्द करने की सिफारिश की. आयोग ने कहा कि यह अविलंब सुनिश्चित करने की जरूरत है कि हमारा विधिक ढांचा बदलते समय की चुनौतियों का सामना करने में सक्षम हो. विधि आयोग ने जिन कानूनों को समाप्त करने की सिफारिश की गयी है उनमें बंगाल जिला अधिनियम भी शामिल है. यह 1836 का कानून है. कुछ अन्य कानून जिन्हें रद्द करने की सिफारिश की गयी है वे 1838 से 1898 के बीच के हैं.

और 261 कानूनों को रद्द करने पर विचार

विधि मंत्री रवि शंकर प्रसाद को सौंपी अंतरिम रिपोर्ट में आयोग ने कहा कि वह 261 और कानूनों का अध्ययन करेगा. इसका मकसद इस्तेमाल से बाहर हो चुके और आधुनिक समय अनुरूप नहीं रहनेवाले कानूनों को रद्द करने के लिए दृढ़ता से सिफारिश करना है. विधि आयोग ने कहा कि वह किश्तों में अपना अध्ययन पूरा करेगा और कई खंडों में इसे जरूरी कार्रवाई के लिए सरकार को सौेंपेगा.

32 कानूनों को समाप्त करने का बिल लंबित

रिपोर्ट प्राप्त करने के बाद रविशंकर प्रसाद ने कहा, ‘नरेंद्र मोदी के नेतृत्ववाली सरकार प्रचलन से बाहर हो चुके कानूनों को समाप्त करने के लिए उत्सुक हैं. ऐसे 32 कानूनों को समाप्त करने से संबंधित विधेयक पहले ही संसद में लंबित है. हम संसद के अगले सत्र में ऐसे कानूनों को रद्द करने के विषय को आगे बढायेंगे.’ आयोग ने कहा कि ऐसे कानूनों की पहचान करने की जरूरत है जो प्रचलन या इस्तेमाल से बाहर हो चुके हैं और कानून की किताबों में इन्हें बनाये रखने से प्रणाली पर अवांछित भार पड़ता है.

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