डिजिटल इंडिया को साकार करने में जुटी सरकार
राष्ट्रीय साइबर समन्वय केंद्र की होगी स्थापना
नयी दिल्ली : आइटी के बढते इस्तेमाल के बीच सरकार ने शनिवार को कहा कि वह डिजिटल इंडिया कार्यक्रम के तहत साइबर सुरक्षा उपाय कडे करेगी और 800 करोड रुपये का एक केंद्र स्थापित करेगी जो लोगों को अपने कंप्यूटरों को वायरस व अन्य मालवेयर से मुक्त करने में मदद करेगा. दूरसंचार व आईटी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने अपने 100 दिन का कार्यकाल पूरा होने के अवसर पर आयोजित संवाददाता सम्मेलन में यह जानकारी दी.
उन्होंने कहा, ‘हम 800 करोड रुपये की अनुमानित लागत से राष्ट्रीय साइबर समन्वय केंद्र बनाने जा रहे हैं. इसके लिए अंतर मंत्रालयी परामर्श चल रहा है. यह केंद्र आपके कंप्यूटर में वायरस आदि के बारे में बताएगा और उसे मिटा भी सकेगा.’ इस परियोजना को कैबिनेट की मंजूरी अभी मिलनी है. उन्होंने कहा कि इसके अलावा सरकार 270 करोड रुपये की लागत से इ-गवर्नेंस सुरक्षा केंद्र स्थापित करेगी ताकि सभी गवर्नेंस पहलों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके जिनके जरिए करोडों लेन देने होते हैं.
प्रसाद ने कहा कि डिजिटल इंडिया के लिए कोष की समस्या नहीं होगी. प्रसाद ने कहा, ‘डिजिटल इंडिया 1.13 लाख करोड रुपये वाला एक व्यापक कार्यक्रम है और प्रधानमंत्री ने 15 अगस्त को इसे राष्ट्रीय कार्यक्रम घोषित किया था. कैबिनेट ने भी इसे मंजूरी दी है. जहां तक डिजिटल इंडिया कार्यक्रम की सफलता का सवाल है, धन की कोई समस्या नहीं होनी चाहिए.इस कार्यक्रम की अवधारणा तीन महीने से भी कम समय में बनी और केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 20 अगस्त को इसे मंजूरी दी.
इस कार्यक्रम में वे परियोजनाएं शामिल हैं जो यह सुनिश्चित करती हैं कि आम लोगों को नवीनतम सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी का लाभ मिले तथा सरकारी सेवाएं आम लोगों को कंप्यूटीकृत रुप में उपलब्ध हों. प्रसाद ने कहा कि सरकार नेशनल आप्टिकल फाइबर नेटवर्क (एनओएफएन) पर काम कर रही है. इसे 2017 तक पूरा किया जाना है और इसके तहत 20,000 करोड रुपये की लागत से सभी 2.5 लाख पंचायतों को ब्राडबैंड सेवाओं से जोडा जाएगा.
डिजिटल इंडिया कार्यक्रम मौजूदा साल से 2018 तक कार्यान्वित किया जाएगा. उन्होंने कहा कि कार्यक्रम के तहत सरकार प्रत्येक परिवार से एक व्यक्ति को डिजिटल तौर पर प्रशिक्षत करेगी. यह काम 376 करोड रुपये की लागत से शुरु किये जाने वाले आइसीटी प्रशिक्षण कार्यक्रम के तहत किया जायेगा. प्रसाद ने कहा, ‘कार्यक्रम में एससी, एसटी और गरीबी रेखा से नीचे जीवनयापन करने वाले लोगों को कोई शुल्क नहीं देना होगा जबकि अन्य को मामूली फीस देनी होगी.’