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नमामि गंगा कार्यक्रम के तहत गंगा को निर्मल एवं अविरल बनाने की पहल

नयी दिल्ली: नमामी गंगा कार्यक्रम के तहत गंगा को निर्मल और अविरल बनाने की पहल शुरू हो चुकी है. गंगा को अविरल और निर्मल बनाने की नरेन्द्र मोदी सरकार की पहल नमामि गंगा योजना के तहत गंगा के तटों के निकट जलमल शोधन आधारभूत संरचना के विस्तार, साल 2022 तक इसके तटों पर स्थित गांवों […]

नयी दिल्ली: नमामी गंगा कार्यक्रम के तहत गंगा को निर्मल और अविरल बनाने की पहल शुरू हो चुकी है. गंगा को अविरल और निर्मल बनाने की नरेन्द्र मोदी सरकार की पहल नमामि गंगा योजना के तहत गंगा के तटों के निकट जलमल शोधन आधारभूत संरचना के विस्तार, साल 2022 तक इसके तटों पर स्थित गांवों के गंदे जल एवं कचरे को इसमें बहना बंद करने, घाटों का सुनियोजित विकास और राष्ट्रीय गंगा निगरानी केंद्र स्थापित करने का प्रस्ताव है.

नमामि गंगा के तहत निर्मल धारा योजना के अंतर्गत गंगा तट के 118 शहरी बस्तियों में जलमल शोधन से जुड़े आधारभूत ढांचे का विकास करने की बात कही गई है. इस पर शहरी विकास मंत्रालय ने 51 हजार करोड़ रुपये खर्च का अनुमान व्यक्त किया है.

जल संसाधन एवं नदी विकास मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा कि गंगा की सफाई एवं इसकी धारा को अविरल एवं निर्मल बनाने के लिए गठित सचिवों के समूह ने 20 अगस्त 2014 को अंतिम रिपोर्ट पेश कर दी. इस रिपोर्ट के आधार पर गंगा नदी बेसिन प्रबंधन योजना के तहत सात आइआइटी का समूह इस विषय पर दीर्घकालीन योजना तैयार करेगा जो इस वर्ष के अंत तक तैयार हो जाने की उम्मीद है.
मंत्रालय ने गंगा की धारा को निर्मल एवं अविरल बनाने के लिए नमामि गंगा योजना का प्रस्ताव किया है. इस योजना के तहत गंगा की धारा को निर्मल बनाने के लिए व्यवहार्य नगर निकाय जलमल प्रबंधन सुनिश्चित करने का प्रस्ताव किया गया है जो शहरी विकास मंत्रालय के साथ समन्वय स्थापित करके किया जायेगा. गंगा को निर्मल बनाने की परियोजनाओं को आगे बढ़ाने वाले राज्यों को जलमल आधारभूत संरचना के विकास के लिए अतिरिक्त केंद्रीय अनुदान प्रदान करने की बात कही गई है.
गंगा को निर्मल बनाने के संबंध में शहरी विकास मंत्रालय और नमामि गंगा कार्यक्रम दोनों के लिए समान मानक बनाने की बात कही गई है. नमामि गंगा कार्यक्रम के तहत निर्मल धारा सुनिश्चित करने के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में जलमल प्रबंधन पर जोर दिया गया है. इसके तहत गंगा तटों पर स्थित ग्राम पंचायतों (1632) को साल 2022 तक खुले रुप से गंदा पानी और कचरा बहाने से मुक्त बनाने का प्रस्ताव किया गया है.
गंगा की धारा को अविरल बनाने की योजना के तहत गंगा तट पर नदी नियामक क्षेत्र बनाने, व्यावहारिक कृषि पहल और आर्द्रभूमि के संरक्षण पर जोर दिया गया है. इसके साथ ही जैव विविधता के संरक्षण, वहनीय एवं व्यवहारिक ढंग से पर्यटन एवं जहाजरानी के विकास की बात कही गई है. मंत्रालय ने गंगा ज्ञान प्रबंधन के तहत गंगा ज्ञान केंद्र स्थापित करने का प्रस्ताव किया है.
गंगा में प्रदूषण के फैलाव को रोकने के लिए मंत्रियों के समूह ने गंगा पर वर्तमान जलमल शोधन संयंत्रों को उन्नत बनाने और गंगा तट स्थित चिन्हित शहरों में 100 प्रतिशत जलमल शोधन संबंधी आधारभूत ढांचा तैयार करने, घाटों के विकास, कानपुर में प्राथमिकता के आधार पर औद्योगिक प्रदूषण रोकने की पहल करने की बात कही गई है. इसके साथ ही गंगा बेसिन का जीआईएस डाटा तैयार करने की बात भी कही गई है.

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