मुंबई: महाराष्ट्र के बीड में होने जा रहे उपचुनाव के लिए भाजपा की ओर से अब तक प्रत्याशी तय नहीं हो सका है. हालांकि कई लोगों ने गोपीनाथ मुंडे की बेटी पंकजा को इस क्षेत्र से चुनाव लड़ाने के पक्ष में हैं, लेकिन पंकजा ने पहले ही साफ कर दिया है कि वह चुनाव नहीं लडेंगी.
गौरतलब हो कि दिग्गज नेता और भाजपा के प्रमुख स्तंभ गोपीनाथ मुंडे के निधन के बाद महाराष्ट्र का बीड लोकसभा सीट खाली रह गयी है. इसी सीट को लेकर उपचुनाव होने हैं. उपचुनाव में भाजपा किसे उम्मीदवार बनाएगी, यह अब तक स्पष्ट नहीं है. मुंडे की बेटी पंकजा संकेत दे चुकी हैं कि वह इस सीट से चुनाव नहीं लडेंगी.
पंकजा फिलहाल राज्य में संघर्ष यात्रा निकाल रही हैं. उन्होंने महराष्ट्र के मामलों पर ध्यान केंद्रित करने के संकेत दिए हैं जिसके बाद अटकलें लगाई जा रही हैं कि उनकी बहन प्रीतम मुंडे को बीड लोकसभा सीट से उम्मीदवार बनाया जा सकता है.
अगर ऐसा होता है तो भाजपा को इस सीट पर कब्जा बनाए रखने में दिक्कत नहीं होगी. राकांपा प्रमुख शरद पवार एलान कर चुके हैं कि अगर मुंडे परिवार का कोई सदस्य उपचुनाव लड़ता है तो उनकी पार्टी उसके खिलाफ उम्मीदवार नहीं उतारेगी. नासिक में रह रहीं प्रीतम मुंडे परली, बीड और लोकसभा सीट के अन्य इलाकों का दौरा कर रही हैं.
पूर्व में संपन्न लोकसभा चुनाव में मुंडे के खिलाफ खडे हुए राकांपा के रमेश अदासकर हाल ही में भाजपा में शामिल हो चुके हैं. राकांपा के सूत्रों ने बताया कि उनकी पार्टी के नेता और मंत्री जयदत्त क्षीरसागर शायद लोकसभा चुनाव लडने के इच्छुक न हों और अपनी विधानसभा सीट नहीं छोड़ना चाहेंगे.
महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव से पूर्व पंकजा उसी तरह संघर्ष यात्रा निकाल रही हैं जिस तरह 1995 में उनके पिता दिवंगत गोपीनाथ मुंडे ने निकाली थी और पहली बार भाजपा…शिवसेना गठबंधन को सत्ता पाने में मदद मिली थी.
27 अगस्त से शुरु हुई पंकजा की संघर्ष यात्रा 14 दिन में 3,000 किमी का सफर तय कर चुकी है. इस यात्रा को मुंडे के बाद पाटी के ओबीसी (अन्य पिछडा वर्ग) चेहरे के तौर पर पंकजा को पेश करने की भाजपा की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है.
मुंडे की इस साल जून में दिल्ली में एक कार दुर्घटना में मौत हो गई थी. पंकजा बीड में मुंडे परिवार के गढ परली से विधायक हैं. मुंडे की मौत के कुछ ही दिन बाद 19 जून को पंकजा मुंडे को भाजपा की महाराष्ट्र इकाई के नेताओं के कोर ग्रुप में शामिल कर लिया गया जिससे संकेत मिला कि पार्टी उनके लिए बड़ी भूमिका तैयार कर रही है.
वर्ष 1995 में गोपीनाथ मुंडे ने विवदित एनरॉन परियोजना को लेकर शरद पवार के खिलाफ यात्रा निकाली थी और महाराष्ट्र में शिवसेना के मनोहर जोशी की अगुवाई वाली सरकार में वह उप मुख्यमंत्री बनाये गये थे.