भाजपा को नहीं दे सकते 135 सीटें: उद्धव ठाकरे
मुंबई :महाराष्ट्र में शिवसेना-भाजपा गंठबंधन टूट के कगार पर पहुंच चुका है. शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने आज कहा कि प्रदेश में भाजपा को 135 सीटें देने का सवाल ही नहीं उठता है. साथ ही उन्होंने सीएम पद पर उम्मीदवारी भी पेश की. ठाकरे ने कहा कि वे चाहते हैं कि गंठबंधन चले. हालांकि इस […]
मुंबई :महाराष्ट्र में शिवसेना-भाजपा गंठबंधन टूट के कगार पर पहुंच चुका है. शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने आज कहा कि प्रदेश में भाजपा को 135 सीटें देने का सवाल ही नहीं उठता है. साथ ही उन्होंने सीएम पद पर उम्मीदवारी भी पेश की. ठाकरे ने कहा कि वे चाहते हैं कि गंठबंधन चले.
हालांकि इस मुद्दे पर अभी भाजपा का पक्ष स्पष्ट नहीं हुआ है, लेकिन भाजपा की ओर से यह पहले ही कह दिया गया है कि गंठबंधन में जिस पार्टी को अधिक सीटें मिलेंगी सीएम उसी का होगा. महाराष्ट्र में विधानसभा की कुल 288 सीटें हैं.
मुख्यमंत्री की कुर्सी को लेकर भाजपा और शिवसेना के बीच विवाद गहराता जा रहा है. आज सामना में छपे लेख में कहा गया है कि हम सत्ता के भूखे नहीं हैं, लेकिन जनता हमें अगर कोई जिम्मेदारी सौंपेगी, तो हम पीछे नहीं हटेंगे. गौरतलब है कि भाजपा ने शिवसेना के मुख्यमंत्री पद पर दावे को खारिज कर दिया है, जिसके बाद गंठबंधन का भविष्य खतरे में पड़ गया है.
आगामी महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के लिए सीटों की साझेदारी लेकर शिवसेना-भाजपा गठबंधन में तनाव गहरा गया क्योंकि भाजपा ने शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे के इस बयान को खारिज कर दिया कि भगवा की जीत की स्थिति में शीर्ष पद (मुख्यमंत्री पद) शिवसेना के पास जायेगा और वह यह पद ग्रहण करने के विरुद्ध नहीं हैं.
भाजपा की कल शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे के उस सार्वजनिक बयान से त्यौरियां चढ़ गयी जिसमें उन्होंने कहा था कि 15 अक्तूबर को होने वाले चुनाव में यदि भगवा गठबंधन सत्ता में आया तो महाराष्ट्र में शिवसेना का ही मुख्यमंत्री बनेगा.
उद्धव ने कहा था, यह लोगों को तय करना है कि क्या वह मुझ पर भरोसा करते हैं. वे तय करेंगे कि चेहरा (मुख्यमंत्री) कौन हो. मैं किसी पद के लिए भाग नहीं रहा लेकिन मैं जिम्मेदारी से भी नहीं बचूंगा.
लेकिन चेहरा केवल शिवसेना से ही होगा. शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना में एक संपादकीय के माध्यम से भी भाजपा पर प्रहार किया है. लोकसभा चुनाव में मिली भारी जीत के बाद भाजपा महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में अधिक सीट दिये जाने की मांग पर अड़ी है.
सामना के संपादकीय में कहा गया, अत्यधिक वासना से तलाक हो जाता है. गठबंधन के सहयोगियों को जीत का स्वप्न देखना चाहिए. इसके लिए सभी पार्टियों को अधिक सीटों की वासना छोड देनी चाहिए.