गुजराती संस्कृति में ढले चीनी राष्ट्रपति
अहमदाबाद : प्रोटोकाल से हटकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज अपने गृह प्रदेश में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग का भव्य स्वागत किया और दिल्ली में कल होने वाली शिखर स्तरीय वार्ता का आधार तैयार किया जिसमें राजनीतिक और आर्थिक संबंधों की नयी इबारत लिखे जाने की उम्मीद की जा रही है. राष्ट्रपति पद का कार्यभार […]
अहमदाबाद : प्रोटोकाल से हटकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज अपने गृह प्रदेश में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग का भव्य स्वागत किया और दिल्ली में कल होने वाली शिखर स्तरीय वार्ता का आधार तैयार किया जिसमें राजनीतिक और आर्थिक संबंधों की नयी इबारत लिखे जाने की उम्मीद की जा रही है.
राष्ट्रपति पद का कार्यभार संभालने के एक वर्ष बाद चीनी नेता ने अपनी पहली भारत यात्रा की शुरुआत अहमदाबाद से की. अहमदाबाद में कारोबारी कामकाज पूरा करने के बाद शी, मोदी के साथ साबरमती नदी के तट पर ढलते सूरज के बीच नयनाभिराम साबरमती रिवरफ्रंट पर शाकाहारी गुजराती भोजन का लुत्फ उठाया.
मोदी ने शी की इस यात्रा को अलग रुप प्रदान करने का प्रयास किया और शहर में आने पर शी और उनकी पत्नी के लिए बेहतरीन मेजबान की भूमिका निभायी. इस दौरान भारत और चीन ने गुजरात से संबंधित तीन विशिष्ट समझौतों पर हस्ताक्षर किए.
शी एक प्रतिनिधिमंडल के साथ एयर चाइना के एक विशेष विमान से यहां हवाई अड्डा पहुंचे. शी यहां हयात होटल आए जहां मोदी ने उनकी अगवानी की और इसके बाद दोनों के बीच संक्षिप्त चर्चा हुई. शहर में शी और उनकी पत्नी का शानदार स्वागत किया गया. उनके स्वागत में यहां विभिन्न स्थानों पर बडे बडे बोर्ड लगाए गए थे जो चीनी, गुजराती और अंग्रेजी भाषा में थे.
* गुजराती संस्कृति में ढले चीनी राष्ट्रपति
भारत आने पर आज आधिकारिक कामकाज पूरा करने के बाद चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और उनकी पत्नी फेंग लियूयान ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ ढलते सूरज के बीच साबरमती रिवरफ्रंट के नयनाभिराम दृश्य का लुत्फ उठाया जहां समृद्ध गुजराती संस्कृति और परंपरा का शानदार प्रदर्शन किया गया था.
महात्मा गांधी के साबरमती आश्रम देखने के बाद मोदी, चीनी राष्ट्रपति और उनकी पत्नी के साथ रिवरफ्रंट पहुंचे. विदेशी मेहमानों के आने के साथ ही साबरमती तट पर स्थित यह स्थान फव्वारों और जगमगाती लाइटों से रौशन हो गया.
रिवरफ्रंट पर शी और मोदी गुजराती स्टाइल में बने झूले पर साथ बैठे और दोनों नेताओं के बीच कुछ देर बातचीत भी हुई. मोदी और शी को कुछ बातचीत करते भी देखा गया. चीनी अतिथियों के लिए इस यात्रा को यादगार बनाने के लिए पारंपरिक गरबा, लोक नृत्य, तबला बादन जैसे सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भी आयोजन किया गया था.
* साबरमती आश्रम में खादी जैकेट पहनकर पहुंचे शी
चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग आज यहां पहुंचने के कुछ समय बाद भारतीय पहनावे में दिखाई दिये और उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा उपहार में दी गयी खादी जैकेट पहन रखी थी. शी जब साबरमती आश्रम गये तो उन्होंने अपनी सफेद शर्ट के उपर चमकती क्रीम रंग की खादी जैकेट पहन रखी थी.
चीनी राष्ट्रपति और मोदी ने आश्रम में हृदय कुंज में कुछ मिनट बिताए जहां शी ने चरखा चलाया. शी और उनकी पत्नी बाद में साबरमती रिवरफ्रंट गये जहां उनके साथ प्रधानमंत्री मोदी भी थे. वहां उन्होंने गुजराती संस्कृति की चमक देखी. दोनों नेता कुछ मिनट के लिए एक झूले पर बैठे. राष्ट्रपति और उनकी पत्नी एक परंपरागत चारपाई पर भी बैठे.
* मोदी ने शी को चीनी भाषा में अनुदित गीता की प्रति भेंट की
गुजरात से अपनी भारत यात्रा प्रारंभ करने वाले चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने आज यहां महात्मा गांधी के साबरमती आश्रम का दौरा किया जहां उन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चीनी भाषा में अनुदित गीता की प्रति भेंट की. साबरमती नदी तट पर स्थित इस शांतिपूर्ण आश्रम के द्वार पर मोदी और गुजरात की मुख्यमंत्री आनंदी बेन पटेल ने शी की अगवानी की.
मोदी एवं आनंदी ने उन्हें सूत की माला भेंट की और वे आश्रम में उनके साथ विभिन्न कक्षों में गए. महात्मा गांधी और उनकी पत्नी कस्तूरबा गांधी ने यहां 12 साल बिताए थे. बाद में शी ने वहां गांधीजी की प्रतिमा पर श्रद्धांजलि अर्पित की. मोदी ने इस अवसर पर चीनी राष्ट्रपति को हिंदी एवं अंग्रेजी में गांधीजी द्वारा लिखी गयी कृतियों के बारे में भी बताया.
साबरमती आश्रम के न्यासियों के अनुसार शी ने आंगुतक पुस्तिका में चीनी भाषा में अपनी टिप्पणी लिखी. वह गांधीजी के निजी कक्ष हृदयकुंज भी गए और उनकी मूर्ति को सूत की माला पहनाई. मोदी ने इस मौके पर शी को स्मृति चिह्न प्रदान किए जिनमें गांधीजी पर पुस्तकें और चित्र शामिल हैं.
आश्रम के न्यासी कार्तिकेय साराभाई ने कहा, साबरमती आश्रम न्यास ने चीनी राष्ट्रपति को उस चरखे की प्रतिकृति भेंट की जिसे गांधीजी ने पुणे के समीप यरवदा जेल में इस्तेमाल किया था. शी को उस मूल प्रमाण पत्र की प्रति भी दी गयी जो गांधीजी को 1915 में दक्षिण अफ्रीका में चीन मूल के लोगों ने दी थी.