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मोदी की शी जिनपिंग को खरी-खरी, संबंध अच्छे रखने के लिए शांति जरूरी

नयी दिल्ली : चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ अपनी शिखर वार्ता के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साझा प्रेस कान्फ्रेंस में कहा कि अगर हमारी सीमा पर शांति रहेगी तो हम दोनों एक-दूसरे के विकास में योगदान दे सकेंगे. उन्होंने साझा विकास के लिए शांति को अहम बताते हुए दोनों देशों के आपसी […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 18, 2014 3:41 PM

नयी दिल्ली : चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ अपनी शिखर वार्ता के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साझा प्रेस कान्फ्रेंस में कहा कि अगर हमारी सीमा पर शांति रहेगी तो हम दोनों एक-दूसरे के विकास में योगदान दे सकेंगे. उन्होंने साझा विकास के लिए शांति को अहम बताते हुए दोनों देशों के आपसी संबंधों में विश्वास की जरूरत बतायी. उन्होंने वास्तविक नियंत्रण रेखा पर फिर से काम करने की जरूरत भी बतायी.

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत और चीन के रिश्ते बहुत प्राचीन हैं. भारत की विदेश नीति में पड़ोस का अहम स्थान है. हम दोनों सबसे बड़ी आबादी वाले पड़ोसी देश हैं. उन्होंने कहा कि शांति व सहयोग से हम अपने विकास व अर्थव्यवस्था को नयी दिशा दे सकेंगे. प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछले दो दिनों में चीनी राष्ट्रपति के साथ अहमदाबाद व दिल्ली में साकारात्मक बात हुई है. उन्होंने कहा कि हमने तय किया है कि हम अपने आदान-प्रदान को हर स्तर पर बढ़ायेंगे. हम दोनों का विचार है कि हमारे आर्थिक संबंध हमारी क्षमता से बहुत कम है.

पीएम मोदी ने कहा कि हमारे ट्रेड की गति कम हुई है और असंतुलन बढ़ा है. हमारे उत्पाद व ट्रेड को चीन में सहयोग व बाजार मिले. पीएम ने कहा कि चीनी राष्ट्रपति शी ने हमारी कंपनियों को वहां सहयोग व सहूलियत देने का आश्वासन दिया है. उन्होंने कहा कि हमने चीन को भारत में इन्फ्रास्ट्रर व विनिर्माण सेक्टर में निवेश के लिए आमंत्रित किया है. उन्हें नयी नीति के बारे में अवगत कराया है. पीएम ने कहा कि चीन के सहयोग से भारत में दो इंडस्ट्रीयल पार्क बनेंगे. उन्होंने बताया कि चीनी राष्ट्रपति ने भारत को 20 बिलियन डॉलर पांच साल में निवेश करने का आश्वासन दिया है. साथ ही रेलवे में सहयोग के लिए भी कहा है. इसके अलावा सिविल न्यूक्लियर कॉपरेशन के लिए भी उनसे सहयोग का आश्वासन मिला है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि मैं दोनों देशों के बीच पांच वर्षीय आर्थिक व व्यापार विकास को दोनों देशों के लिए अहम कदम मानता हूं. उन्होंने कहा कि आज हमारे बीच जो समझौते व घोषणाएं हुई हैं, वे दिखाते हैं कि हम अपने संबंधों को बढ़ाने में व्यापार को केंद्र बिंदु मानते हैं.

मोदी ने कहा कि चीन के राष्ट्रपति ने नाथुला से कैलाश मानसरोवर के लिए एक नया रास्ता खोलने का आश्वासन दिया है. यह रास्ता उत्तराखंड से अतिरिक्त होगा और इससे कम समय में यात्र की जा सकेगी. यह रास्ता बारिश के दिनों में सुरक्षित होगी और बुजुर्ग तीर्थयात्रियों के लिए लाभदायक होगी. इससे अधिक संख्या में श्रद्धालु कैलाश मानसरोवर जा सकेंगे.

प्रधानमंत्री ने कहा कि हमने आपसी संबंधों को बढ़ाने के लिए मित्रता की भावना से कुछ कठिन विषयों पर खुल कर बात की है और सीमा पर हुई घटना पर चिंता भी प्रकट की है और कहा है कि इसे सुलझाना जरूरी है. उन्होंने कहा कि आपसी संबंध के लिए जरूरी है कि हम सीमा से जुड़े प्रश्न को जल्द हल करें. उन्होंने एलएसी यानी वास्तविक नियंत्रण रेखा को आवश्यक बताया और कई सालों से इसके काम के रूके होने का उल्लेख करते हुए इस पर काम पुन: शुरू करने की मांग की. उन्होंने कहा कि चीन की वीजा पॉलिसी पर हमने चिंता व्यक्त की है.

प्रधानमंत्री ने कहा कि हमने क्षेत्रीय व अंतरराष्ट्रीय विषयों पर भी रणनीतिक बातचीत की है. शांतिपूर्ण, स्थिर अफगानिस्तान की जरूरत भी बतायी है. साथ ही आतंकवाद व अतिवाद के खिलाफ आपसी सहयोग बढ़ाने पर बात की है. उन्होंने कहा कि हम साझा हित के लिए वैश्विक सहयोग बढ़ायेंगे. क्षेत्रीय संपर्क व इकोनॉमिक कारिडोर पर भी बात हुई है. उन्होंने कहा कि भारत एशिया के चौराहे पर है. विभिन्न देशों को एक -दूसरे से जोड़ने से एशिया का विकास होगा. भारत व चीन के लिए यह ऐतिहासिक अवसर है. यदि हम अपने अवसर व चुनौतियों को पूरी तरह ध्यान दें तो हम अपना दायित्व पूरी तरह निभा सकेंगे.

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