भारतीय मुसलमानों की देशभक्ति पर शक नहीं: मोदी

नयी दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि भारतीय मुसलमानों की देशभक्ति पर सवाल नहीं उठाया जा सकता. वह भारत के लिए ही जीता है और मरता है. वे देश की प्रगति में बाधक नहीं, साधक हैं. बतौर प्रधानमंत्री अमेरिका यात्र से पहले न्यूज चैनल ‘सीएनएन’ को दिये पहले ‘एक्सक्लूसिव’ इंटरव्यू में नरेंद्र मोदी ने […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 19, 2014 11:23 AM

नयी दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि भारतीय मुसलमानों की देशभक्ति पर सवाल नहीं उठाया जा सकता. वह भारत के लिए ही जीता है और मरता है. वे देश की प्रगति में बाधक नहीं, साधक हैं.

बतौर प्रधानमंत्री अमेरिका यात्र से पहले न्यूज चैनल ‘सीएनएन’ को दिये पहले ‘एक्सक्लूसिव’ इंटरव्यू में नरेंद्र मोदी ने यह बात कही. ‘सीएनएन’ संवाददाता फरीद जकारिया को दिये इंटरव्यू में कहा कि यदि किसी को लगता है भारतीय मुसलमान किसी के बहकावे में आयेगा, तो यह सिर्फ गलतफहमी है. आतंकवाद को मानवता के विरुद्ध बताते हुए कहा कि इस संकट से सभी को मिलकर लड़ना है. एक सवाल के जवाब में प्रधानमंत्री ने कहा कि तमाम उतार-चढ़ाव के बाद भी 21 वीं सदी में भारत-अमेरिका के रिश्तों को नया आयाम मिलेगा. दोनों देश अपने संबंधों को एक बहुत बड़े क्षेत्र में महसूस कर रहे हैं.

जकारिया के सवाल, मोदी के जवाब

जकारिया : अमेरिका में बहुत सारे लोग व भारत में भी कुछ ऐसे हैं, जो चाहते हैं कि दोनों देश करीब आएं, लेकिन ऐसा नहीं हो सका. हमेशा कठिनाइयां आयी हैं. क्या आप मानते हैं कि भारत और अमेरिका वास्तविक रणनीतिक गंठबंधन विकसित कर सकते हैं?

पीएम: मैं इसका एक शब्द में उत्तर दूंगा और पूरे विश्वास के साथ कहता हूं-‘हां.’ मैं विस्तार से कहता हूं- भारत व अमेरिका में कई समानताएं हैं. अगर आप बीते कुछ दशकों में देखेंगे, तो दो बातें सामने आयेंगी, अमेरिका दुनिया भर से लोगों को अवशोषित कर लेता है और दुनिया के हर एक हिस्से में एक भारतीय है. ये दोनों समाज की विशेषता है. भारतीय और अमेरिकियों के प्राकृतिक स्वभाव में ‘सह अस्तित्व’ है. यह बात बिल्कुल सही है कि बीते कुछ दशकों में हमारे संबंधों में उतार-चढ़ाव आये हैं, लेकिन 20 वीं सदी के अंत और 21 वीं सदी की शुरुआत में, हम बड़े बदलाव के गवाह बनेंगे. भारत और अमेरिका इतिहास और संस्कृति से एक साथ बंधे हुए हैं. ये संबंध आगे और गहरे और मजबूत होंगे.

जकारिया : अब तक ओबामा प्रशासन के साथ अपनी बातचीत में, आपके कई कैबिनेट सदस्यों को यहां आना पड़ा है, क्या आपको लगता है कि वाशिंगटन की वास्तविक इच्छा काफी हद तक भारत के साथ संबंधों को उन्नत करने की है?

पीएम : भारत-अमेरिका के संबंधों को दिल्ली और वाशिंगटन की सीमा में नहीं देखना चाहिए. यह इससे कहीं ज्यादा बड़े आकार का है. अच्छी बात यह है कि दिल्ली और वाशिंगटन दोनों का मूड इस समझ के साथ सद्भाव में है. दोनों पक्षों ने इसमें एक अहम भूमिका निभायी है.

जकारिया : अल कायदा के मुखिया ने एक वीडियो जारी कर इस आतंकी संगठन को भारत और दक्षिण एशिया में स्थापित करने की बात कही है. उसने कहा है कि वह कश्मीर, गुजरात में उत्पीड़न का सामना कर रहे मुसलमानों को मुक्त करना चाहता है. क्या आपको चिंता है कि वह इसमें सफल हो सकता है?

पीएम : मेरी समझ है कि वे हमारे देश के मुसलमानों के प्रति अन्याय कर रहे हैं. अगर कोई सोचता है कि भारतीय मुसलिम उनकी धुन पर नाचेंगे, तो यह नहीं हो सकता. भारतीय मुसलिम देश के लिए जीता है और मरता है. वह भारत का बुरा नहीं चाहता. भारत का मुसलमान अपने देश के साथ कभी विश्वासघात नहीं कर सकता.

जकारिया : भारत में 17 करोड़ (170 मिलियन) मुसलमान हैं, जो उल्लेखनीय है, लेकिन अल कायदा के सदस्य न के बराबर हैं, जबकि अफगानिस्तान व पाकिस्तान में बहुत सारे हैं. क्या ये इस समुदाय में नहीं है?

पीएम : सबसे पहले, मुङो कोई मनोवैज्ञानिक या धार्मिक विश्‍लेषण करने का अधिकार नहीं है, लेकिन सवाल यह है कि क्या मानवता का दुनिया में बचाव किया जाना चाहिए या नहीं? मानवता में विश्वास करने वालों को एकजुट होना चाहिए या नहीं? यह मानवता के लिए संकट है, किसी एक देश के विरुद्ध नहीं. इसलिए हम मानवता और अमानवता से लड़ रहे हैं. और कुछ नहीं.

( यह इंटरव्यू 21 सितंबर को सीएनएन-आइबीएन पर शाम 4.30 बजे प्रसारित होगा)

मोदी को यह कहने की जरूरत क्यों पड़ी : कांग्रेस
कांग्रेस ने अपनी अमेरिका यात्रा के पहले दिये गये पीएम नरेंद्र मोदी के इस बयान के समय को लेकर सवाल उठाया है. पार्टी प्रवक्ता सलमान खुर्शीद ने कहा कि प्रधानमंत्री ने जो कुछ कहा है, उसका स्वागत है. लेकिन, क्या उन्होंने अपने साथियों योगी आदित्यनाथ, गिरिराज सिंह और अमित शाह से पूछ कर ऐसा कहा है, क्योंकि उन्हें अक्सर कुछ और कहते सुना गया है. उन्होंने कहा, हम आश्चर्यचकित हैं कि मोदी को यह कहने की जरूरत पड़ी. क्या यह आवाज उनके हृदय से निकल कर आयी है? क्या कारण है कि मोदी ने अमेरिकी यात्र से पहले यह बात कही. लालकिले से जब वह देश को संबोधित कर रहे थे, तो उन्होंने यह बात क्यों नहीं कही?

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