नयी दिल्ली : कैलाश मानसरोवर की तीर्थयात्रा करने की इच्छा रखने वाले श्रृद्धालुओं और सैलानियों को चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग एक बड़ा तोहफा दिया है. दोनों देशों के बीच मानसरोवर यात्रा को लेकर सिक्किम के नाथुला दर्रे से नया रास्ता खोलने पर सहमती हो गयी है.
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने नये रास्ते खोलने पर सहमती हो जाने से शी का आभार व्यक्त किया है. शी और मोदी के बीच हुई शिखर वार्ता के बाद प्रधानमंत्री ने संवाददाताओं को इस बात की जानकारी दी.
मोदी ने कहा, मैं राष्ट्रपति शी जिनपिंग का भारत के सभी लोगों की तरफ से इस बात के लिए आभार व्यक्त करता हूं कि उन्होंने कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिए नाथुला से एक नया रास्ता खोलने की अनुमति दे दी है. यह नया रास्ता उत्तराखंड के यात्रा के वर्तमान रास्ते के अतिरिक्त होगा.
मोदी ने कहा, नाथुला के रास्ते से कई सुविधाएं हैं. इससे मोटर से कैलाश मानसरोवर तक यात्रा की जा सकती है, इससे विशेषकर बूढे तीर्थयात्रियों को लाभ होगा. तीर्थयात्रा कम समय में पूरी की जा सकेगी और भारत से काफी संख्या में तीर्थयात्री वहां जा सकेंगे. कई मायनों में यह नया रास्ता बरसात के मौसम में भी सुरक्षित होगा.
* वर्तमान में उत्तराखंड और नेपाल के रास्ते होता है मानसरोवर यात्रा
वर्तमान में उत्तराखंड और नेपाल से होकर कैलाश मानसरोवर तक जाने वाला रास्ता बहुत कठिन है और इसके लिए 19500 फुट की उंचाई पर यात्रियों को लंबी और मुश्किल पैदल यात्रा भी करनी पड़ती है. मोटर से सफर लायक रास्ता नहीं होने के कारण तीर्थयात्रियों को काफी लंबा रास्ता पैदल या खच्चरों पर सवार होकर तय करना पड़ता है. इसके अलावा उत्तराखंड में पिछले दिनों आई भयंकर बाढ़ के कारण यह मार्ग बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया है.
* प्रत्येक वर्ष हजारों तीर्थ यात्री करते हैं यात्रा
हर साल भारत से 1000 तीर्थ यात्री 18 जत्थों में कैलाश मानसरोवर की यात्रा पर जाते हैं. यह यात्रा 22 दिन में पूरी होती है. यात्रा का आयोजन विदेश मंत्रालय की ओर से होता है.
* 1962 के युद्ध के बाद बंद हुआ था नाथुला दर्रा
कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिए नाथुला दर्रा भारत और तिब्बत के बीच एक बड़ा आवा-जाही का गलियारा था जिसे 1962 के युद्ध के बाद बंद कर दिया गया.