लाल ग्रह पर लहराया तिरंगा, पीएम मोदी ने इसरो प्रमुख को दी बधाई
बेंगलूर : प्रथम प्रयास में भारत का मंगल मिशन सफल हो गया. आज सुबह भारत का मंगलयान सफलतापूर्वक मंगल की कक्षा में स्थापित हो गया. लाल ग्रह तक पहुंचने का जो मिशन इसरो ने शुरू किया था वह आज पूर्ण हो गया. गौर करने वाली बात यह है कि यह मिशन काफी किफायती है. इस […]
बेंगलूर : प्रथम प्रयास में भारत का मंगल मिशन सफल हो गया. आज सुबह भारत का मंगलयान सफलतापूर्वक मंगल की कक्षा में स्थापित हो गया. लाल ग्रह तक पहुंचने का जो मिशन इसरो ने शुरू किया था वह आज पूर्ण हो गया.
गौर करने वाली बात यह है कि यह मिशन काफी किफायती है. इस अभियान में कुल खर्च 450 करोड़ का आया है. यह उपलब्धि हासिल करने के बाद भारत दुनिया में पहला ऐसा देश बन गया जिसने अपने पहले ही प्रयास में ऐसे अंतरग्रही अभियान में सफलता प्राप्त की है.
सुबह 7 बज कर 17 मिनट पर 440 न्यूटन लिक्विड एपोजी मोटर (एलएएम) यान को मंगल की कक्षा में प्रविष्ट कराने वाले थ्रस्टर्स के साथ तेजी से सक्रिय हुई ताकि मंगल ऑर्बिटर मिशन (एमओएम) यान की गति इतनी धीमी हो जाये कि लाल ग्रह उसे खींच ले.
मिशन की सफलता का ऐलान करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा एमओएम का मंगल से मिलन. एक ओर मंगल मिशन इतिहास के पन्नों पर स्वयं को सुनहरे अक्षरों में दर्ज करा रहा था वहीं दूसरी ओर यहां स्थित भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के कमांड केंद्र में अंतिम पल बेहद व्याकुलता भरे थे.
अंतरिक्ष वैज्ञानिकों के साथ मंगल मिशन की सफलता के साक्षी बने मोदी ने कहा विषमताएं हमारे साथ रहीं और मंगल के 51 मिशनों में से 21 मिशन ही सफल हुए हैं, लेकिन हम सफल रहे.
खुशी से फूले नहीं समा रहे प्रधानमंत्री ने इसरो के अध्यक्ष के राधाकृष्णन की पीठ थपथपाई और अंतरिक्ष की यह अहम उपलब्धि हासिल कर इतिहास रचने के लिए भारतीय अंतरिक्ष वैज्ञानिकों को बधाई दी. मंगलयान की सफलता के साथ ही भारत पहली ही कोशिश में मंगल पर जाने वाला दुनिया का पहला देश बन गया है.
यूरोपीय, अमेरिकी और रुसी यान लाल ग्रह की कक्षा में या जमीन पर पहुंचे हैं लेकिन कई प्रयासों के बाद. मंगल यान को लाल ग्रह की कक्षा खींच सके, इसके लिए यान की गति 22.1 किमी प्रति सेकंड से घटा कर 4.4 किमी प्रति सेकंड की गई और फिर यान में डाले गए कमांड द्वारा मार्स ऑर्बिटर इन्सर्शन (मंगल परिक्रमा प्रवेश) की प्रक्रिया संपन्न हुई.
यह यान सोमवार को मंगल के बेहद करीब पहुंच गया था. जिस समय एमओएम कक्षा में प्रविष्ट हुआ, पृथ्वी तक इसके संकेतों को पहुंचने में करीब 12 मिनट 28 सेकंड का समय लगा. ये संकेत नासा के कैनबरा और गोल्डस्टोन स्थित डीप स्पेस नेटवर्क स्टेशनों ने ग्रहण किये और आंकडे वास्तविक समय (रीयल टाइम) पर यहां इसरो स्टेशन भेजे गये.
अंतिम पलों में सफलता का पहला संकेत तब मिला जब इसरो ने घोषणा की कि भारतीय मंगल ऑर्बिटर के इंजनों के प्रज्ज्वलन की पुष्टि हो गई है.इतिहास रचे जाने का संकेत देते हुए इसरो ने कहा मंगल ऑर्बिटर के सभी इंजन शक्तिशाली हो रहे हैं. प्रज्ज्वलन की पुष्टि हो गयी है.
मुख्य इंजन का प्रज्ज्वलित होना महत्वपूर्ण था क्योंकि यह करीब 300 दिन से निष्क्रिय था और सोमवार को मात्र 4 सेकेंड के लिए सक्रिय हुआ था. यह पूरी तरह इस पार या उस पार वाली स्थिति थी क्योंकि तमाम कौशल के बावजूद एक मामूली सी भूल ऑर्बिटर को अंतरिक्ष की गहराइयों में धकेल सकती थी.
यान की पूरी कौशल युक्त प्रक्रिया मंगल के पीछे हुई जैसा कि पृथ्वी से देखा गया. इसका मतलब यह था कि मार्स ऑर्बिटर इंसर्शन (एमओई) प्रज्ज्वलन में लगे 4 मिनट के समय से लेकर प्रक्रिया के निर्धारित समय पर समापन के तीन मिनट बाद तक पृथ्वी पर मौजूद वैज्ञानिक दल यान की प्रगति नहीं देख पाये.
ऑर्बिटर अपने उपकरणों के साथ कम से कम 6 माह तक दीर्घ वृत्ताकार पथ पर घूमता रहेगा और उपकरण एकत्र आंकडे पृथ्वी पर भेजते रहेंगे. मंगल की कक्षा मंे यान को सफलतापूर्वक पहुंचाने के बाद भारत लाल ग्रह की कक्षा या जमीन पर यान भेजने वाला चौथा देश बन गया है. अब तक यह उपलब्धि अमेरिका, यूरोप और रुस को मिली थी.
कुल 450 करोड रुपये की लागत वाले मंगल यान का उद्देश्य लाल ग्रह की सतह तथा उसके खनिज अवयवों का अध्ययन करना तथा उसके वातावरण में मीथेन गैस की खोज करना है. पृथ्वी पर जीवन के लिए मीथेन एक महत्वपूर्ण रसायन है.
इस अंतरिक्ष यान का प्रक्षेपण 5 नवंबर 2013 को आंध्रप्रदेश के श्रीहरिकोटा से स्वदेश निर्मित पीएसएलवी रॉकेट से किया गया था. यह 1 दिसंबर 2013 को पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण से बाहर निकल गया था. भारत का एमओएम बेहद कम लागत वाला अंतरग्रही मिशन है. नासा का मंगल यान मावेन 22 सितंबर को मंगल की कक्षा में प्रविष्ट हुआ था. भारत के एमओएम की कुल लागत मावेन की लागत का मात्र दसवां हिस्सा है.
कुल 1,350 किग्रा वजन वाले अंतरिक्ष यान में पांच उपकरण लगे हैं. इन उपकरणों में एक सेंसर, एक कलर कैमरा और एक थर्मल इमैजिंग स्पेक्ट्रोमीटर शामिल है. सेंसर लाल ग्रह पर जीवन के संभावित संकेत मीथेन यानी मार्श गैस का पता लगाएगा. कलर कैमरा और थर्मल इमैजिंग स्पेक्ट्रोमीटर लाल ग्रह की सतह का तथा उसमें मौजूद खनिज संपदा का अध्ययन कर आंकडे जुटाएंगे.
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ने बताया कि अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा और मावेन की टीम ने भारतीय यान के मंगल की कक्षा में सफलतापूर्वक पहुंचने के लिए इसरो को बधाई दी है.