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विदेशों में नमो-नमो, जापान, चीन के बाद अब अमेरिका की बारी

नयी दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका यात्रा से भारत को काफी उम्मीदें हैं. इस सप्ताह मोदी अमेरिका की यात्रा पर होंगे. इस दौरान वे वहां कई लोगों से मिलेंगे हालांकि उनके अमेरिका यात्रा की पृष्‍ठभूमि पहले से ही तैयार की जा चुकी है. मोदी की यात्रा के पहले सक्रेट्री ऑफ स्टेट जॉन केरी,डिफेंस सक्रेट्री […]

नयी दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका यात्रा से भारत को काफी उम्मीदें हैं. इस सप्ताह मोदी अमेरिका की यात्रा पर होंगे. इस दौरान वे वहां कई लोगों से मिलेंगे हालांकि उनके अमेरिका यात्रा की पृष्‍ठभूमि पहले से ही तैयार की जा चुकी है. मोदी की यात्रा के पहले सक्रेट्री ऑफ स्टेट जॉन केरी,डिफेंस सक्रेट्री चक हेगल और कॉमर्स सक्रेट्री पेनी प्रिटकर भारत की यात्रा कर चुके हैं. जानकारों की माने तो तो मोदी की अमेरिका यात्रा कई दृष्‍टिकोण से महत्वपूर्ण है. वे अपनी फॉरेन पॉलिसी को लेकर काफी कुछ नया करने के मूड में दिख रहे हैं. यही कारण है कि पीएम का पद संभालने के बाद वे अन्य देशों के साथ अपने संबंध को सुधारने में लगे हुए हैं.

भारत की प्राथमिकताएं

प्रधानमंत्री का पद संभालने के बाद नरेंद्र मोदी की पहली अमेरिका यात्रा से काफी कुछ निकल कर आने की संभावना जताई जा रही है. उन्होंने चुनाव प्रचार के दौरान कई घोषणाएं की है जिसे पूरा करने के लिए उन्हें विदेशी सहायता की जरूरत पड़ेगी. अपनी इस यात्रा के दौरान वे व्यापार और रक्षा मसौदे पर बातचीत कर सकते हैं. भारत में 100 स्मार्ट सीटी की घोषणा कर चुके हैं इसी संबंध में वे न्यूयार्क के मेयर से मिलेंगे. प्रधानमंत्री काउंसिल ऑफ फॉरेन रिलेशन पर भी भाषण देंगे. अमेरिका शिक्षा, विकास, तकनीक और नवाचार के मामले में दुनिया में अव्वल देश है और अगर भारत को इन क्षेत्रों में प्रगति करना है, तो हमें अमेरिकी इस मामले में बहुत कुछ सिखा सकते हैं. उच्च शिक्षा, शोध और नवाचार के मामले मे दोनों देशों को करीबी संबंध रखना मोदी की प्राथमिकताओं में से एक है.

अमेरिकी चिंताएं

भारत और पाकिस्तान के रिलेशन को लेकर अमेरिका हमेशा से चिंतित रहा है जहां एक ओर अमेरिका पाकिस्तान की मदद करता है वहीं पाकिस्तान भारत के खिलाफ उसी मदद का गलत उपयोग करता है. अमेरिकी सैनिक अफगानिस्तान में आतंकियों के खिलाफ हथियार उठाये हुए हैं. ऐसा इसलिए है क्योंकि आतंकी अमेरिका का हमेशा से विरोध करते आये हैं. उन्होंने अमेरिका दूतावास पर हमला भी किया जिसके बाद से अमेरिकी सैनिक वहां विद्यमान हैं. वहीं भारत वहां के इंफ्रास्ट्रकचर को डेवलप करने के लिए अफगानिस्तान को आर्थिक मदद कर रहा है. अमेरिका अफगानिस्तान में भारत का अपने पक्ष में हस्तक्षेप चाहता है.

अमेरिका से बहुत कुछ सीख सकता है भारत
अमेरिका की जीडीपी भारत की जीडीपी की तुलना में नौ गुना अधिक है. अमेरिका की प्रति व्यक्ति आय भी हमारे देश की तुलना में 33 गुना अधिक है. मंदी के दौर में भी अमेरिका पर उतना प्रभाव नहीं दिखा. यह देश दुनिया में लोगों की प्रगति को बढ़ाने के लिए सबसे अग्रणी देश है. इस क्षेत्र में भारत इससे बहुत कुछ सीख सकता है. इसके अलावा, अमेरिका दूसरा सबसे बड़ा कारोबारी साझेदार है और सॉफ्टवेयर उद्योग के मामले में यह सबसे बड़ा कस्टमर बेस है. हमारे देश को सॉफ्टवेयर निर्यात से 40-45 बिलियन डॉलर की आय होती है. गौरतलब है कि जापान हमारे देश में अगले पांच वर्षों में 35 बिलियन डॉलर की राशि का निवेश करेगा लेकिन सॉफ्टवेयर निर्यात में बढ़ोतरी से हमें और भी आय हो सकती है. वहीं चीन के राष्‍ट्रपति के द्वारा भारत में निवेश की घोषणा के बाद अमेरिका भारत में पूंजी लगाने की सोच सकता है. वालमार्ट के मुद्दे पर भी इस यात्रा के दौरान मोदी और ओबामा प्रशासन के बीच बात हो सकती है.

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