एम्स सीवीओ पद से चतुर्वेदी को हटाने के फैसले में कोई दुर्भावना नहीं : हर्षवर्धन

नयी दिल्ली: स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने आज कहा कि एम्स के मुख्य सतर्कता अधिकारी के पद से संजीव चतुर्वेदी को हटाने के सरकार के फैसले में कोई दुर्भावना नहीं है. उन्होंने कहा, पूर्व मुख्य सतर्कता अधिकारी संजीव चतुर्वेदी के कामकाज की भूमिका में बदलाव करने के सरकार के फैसले में कोई दुर्भावना नहीं है. उन्होंने […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 24, 2014 10:40 PM

नयी दिल्ली: स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने आज कहा कि एम्स के मुख्य सतर्कता अधिकारी के पद से संजीव चतुर्वेदी को हटाने के सरकार के फैसले में कोई दुर्भावना नहीं है.

उन्होंने कहा, पूर्व मुख्य सतर्कता अधिकारी संजीव चतुर्वेदी के कामकाज की भूमिका में बदलाव करने के सरकार के फैसले में कोई दुर्भावना नहीं है. उन्होंने कहा कि एम्स में अच्छे प्रशासन के लिए पारदर्शिता एक कुंजी है. इस संबंध में खबरों पर प्रतिक्रिया देते हुए मंत्री ने कहा, चुनींदा तरीके से खबरें जारी करने से अकसर तथ्यों को लेकर संदेह की स्थिति बन जाती है, जैसा कि इस मामले में हुआ है.

उन्होंने कहा कि केंद्रीय सतर्कता आयुक्त ने 20 जुलाई, 2012 को पिछली सरकार के संज्ञान में यह बात लाई थी कि एम्स में सीवीओ के तौर पर चतुर्वेदी की नियुक्ति उसकी मंजूरी के बिना थी और सतर्कता नियमों के अनुसार इस तरह की नियुक्तियों से पहले मंजूरी जरुरी है. हर्षवर्धन ने कहा, तत्कालीन सरकार ने पता नहीं क्यों, ना केवल इस पत्र की अनदेखी की बल्कि 3 सितंबर, 2012 और 13 फरवरी, 2013 को दो बार याद दिलाने पर भी ध्यान नहीं दिया. उन्होंने कहा कि 3 सितंबर, 2012 के पत्र में आयोग ने यह रख दोहराया था कि एम्स में पूर्णकालिक सीवीओ की जरुरत है.

हर्षवर्धन के मुताबिक मंत्रालय ने 24 दिसंबर, 2012 को इस पत्र का उत्तर दिया था और संप्रग सरकार के इस रख को दोहराया कि पूर्णकालिक सीवीओ की जरुरत नहीं है. उन्होंने कहा कि चार लोगों की एक समिति का सुझाव दिया गया था जिसमें एम्स (प्रशासन) के उप निदेशक, स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव और सीवीओ, मंत्रालय के नियमित निदेशकों-उप सचिवों में से एक तथा चतुर्वेदी शामिल हों.

हर्षवर्धन ने कहा कि 13 फरवरी, 2013 के दूसरे पत्र में सीवीसी ने इस समिति के सुझाव को खारिज कर दिया. उन्होंने कहा, निर्दिष्ट नियमों की अनदेखी करने के पिछली सरकार के रवैये से सीवीसी संस्था के प्रति उसी तरह के विद्वेष का संकेत मिलता है जैसा कि 2011 में सीवीसी प्रमुख के तौर पर एक दागी अधिकारी की नियुक्ति के उसके विवादास्पद फैसले से प्रकट हुआ था. उच्चतम न्यायालय का शुक्रिया जिसने नियुक्ति को रद्द कर दिया था.

भाजपा के राज्यसभा सदस्य जेपी नड्ढा की इच्छानुसार चतुर्वेदी को को हटाये जाने की खबरों के बीच हर्षवर्धन ने कहा, चतुर्वेदी का ना तो तबादला किया गया और ना ही उन्हें छुट्टी पर जाने को कहा गया. नड्ढा या अन्य किसी व्यक्ति द्वारा उनके खिलाफ आरोप लगाने का उनकी जिम्मेदारी में बदलाव से कोई लेनादेना नहीं है. चतुर्वेदी एम्स में उप सचिव बने हुए हैं.

स्वास्थ्य मंत्री ने कहा, मुझे उम्मीद है कि इस बात को लेकर मैं बिल्कुल स्पष्ट हूं कि सरकारी अधिकारी किसी पद विशेष पर अपने अधिकार के तौर पर दावा नहीं कर सकते और कार्यकाल पूरा होने से पहले दूसरी जिम्मेदारी दिये जाने पर मीडिया में जाकर आरोप नहीं मढ सकते. जिम्मेदारी बदलने का मंत्रालय का अधिकार अपरिवर्तनीय है.

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