नयी दिल्ली: सर्वोच्च न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश आर एम लोढ़ा आज अपने पद से सेवानिवृत्त हो रहे हैं,उनकी जगह लेंगे जस्टिस एचएल दत्तू . इससे पूर्व उन्होंने कल न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए वर्तमान प्रणाली की पुरजोर हिमायत करते हुये कहा कि नियुक्तियों के लिए दूसरी तरह का कोई भी अन्य तरीका न्यायपालिका की स्वतंत्रता को प्रभावित कर सकता है.
प्रधान न्यायाधीश पद से सेवानिवृत्त हो रहे न्यायमूर्ति लोढा ने कहा कि न्यायाधीश के पद के लिए उम्मीदवारों की उपयुक्तता के बारे में न्यायाधीश अधिक बेहतर जानते और समझते हैं.
न्यायमूर्ति लोढ़ा ने संवाददाताओं से बातचीत में कहा, मैं महसूस करता ह्रं और यह मेरा विचार है कि यदि उच्च या उच्चतर न्यायपालिका के लिए किसी अन्य संस्था के जरिये नियुक्ति की जाती है जहां न्यायाधीशों से इतर व्यक्ति इस प्रक्रिया में शामिल हैं, तो इससे न्यायपालिका की स्वतंत्रता प्रभावित हो सकती है.
यह मेरा मानना है. प्रधान न्यायाधीश ने कहा, इस विषय पर मेरा मानना है कि न्यायाधीश ही उच्चतर न्यायालय के लिए न्यायाधीशों की उपयुक्तता का निर्धारण करने के लिये सबसे उचित हैं क्योंकि न्यायाधीशों के रुप में हम सभी उनकी अदालती कौशल, आचरण, कानूनी जानकारी और दूसरे पहलूओं को बेहतर जानते हैं. इसलिए न्यायाधीश से बेहतर कोई व्यक्ति नहीं हो सकता है जो उन्हें काम करते देखता है.
न्यायमूर्ति लोढा ने कहा कि किसी भी प्रधान न्यायाधीश या उच्चतर न्यायपालिका के न्यायाधीशों को सेवानिवृत्ति के बाद कम से कम दो साल तक किसी सांविधानिक पद या सरकारी पद की जिम्मेदारी नहीं दी जानी चाहिए.
उन्होंने कहा, एक बार फिर यह व्यक्तिगत राय है. मेरा मानना है कि प्रधान न्यायाधीश, उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों, उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों और उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों को कोई भी सांविधानिक पद या सरकारी जिम्मेदारी स्वीकार नहीं करनी चाहिए. इसके लिए कम से कम दो साल की अवधि होनी चाहिए.