नयी दिल्ली:तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जे. जयललिता को आय से अधिक संपत्ति मामले में आज बैंगलुरू में विशेष अदालत ने दोषी करार दे दिया है. सजा का एलान तीन बजे किया जायेगा. जयललिता के खिलाफ 18 वर्ष पूर्व आय से अधिक संपत्ति मामले पर दायर मुकदमें पर आज फैसले का दिन है.
बैंगलुरू की एक विशेष अदालत की ओर से शनिवार को दोपहर करीब 3 बजे इस मुकदमें में फैसला सुनाया जायेगा. फैसला सुनने जयललिता बैंगलुरू पहुंच गयी हैं. उन्होंने हेलीकॉप्टर से आने की इच्छा जतायी थी परंतु आनुमति नहीं मिलने के कारण वे कार से आयी. इधर बैंगलुरू की सड़कों पर समर्थकों का हंगामा जारी है. जगह को पुलिस छावनी में तब्दील कर दिया गया है. यह फैसला जयललिता सहित तीन अन्य पर आने वाने वाला है. इनमें जयललिता की पूर्व सहयोगी शशिकला नटराजन, उनकी रिश्तेदार इलावरासी और उनके गोद लिये भजीते सुधाकरन (बाद में जयललिता ने सुधाकरन को संपत्ति से बेदखल कर दिया है) शामिल हैं.
उल्लेखनीय है कि जयललिता के खिलाफ भाजपा के पूर्व नेता डा. सुब्रमनियम स्वामी ने 14 जून 1996 को आय से अधिक संपत्ति मामले में मुकदमा दायर किया था. इसमें जयललिता को चेन्नई सहित कई बड़े शहरों में होटलों की मालकीन बताया गया था. मुकदमें में जयललिता पर 1991 से 1996 के बीच आय से कहीं अधिक संपत्ति जमा करने और अपने करीबी रिश्तेदारों को लाभ पहुंचाने का आरोप लगाया गया था. अदालत की ओर से गठित जांच कमेटी के रिपोर्ट में भी जयललिता के पास 6.6 करोड से अधिक रुपये जमा करने पुष्टि की गयी है.
पारापन्ना अग्रहरा जेल परिसर में बनाए गए अस्थायी अदालत में आज विशेष न्यायाधीश जॉन माइकल डीकुन्हा फैसला सुनाएंगे. जयललिता जेड श्रेणी सुरक्षा में चलती हैं. ऐसे में उनकी सुरक्षा के मद्देनजर एस स्थान पर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किये गये हैं. यहां पांच स्तरीय सुरक्षा तैनात कर इसे किले में तब्दील कर दिया गया है. जेल के अंदर ही हैलीपैड का निर्माण भी किया गया है, ताकि जयललिता सीधे हेलीकॉप्टर से वहां पहुंच सकें.
18 साल पहले जब जयललिता के खिलाफ मुकदमा दायर किया गया था, उस समय वे पहली बार मुख्यमंत्री बनीं थी. इस दौरान उन्होंने अपने वेतन से मात्र एक रुपये लेने का ऐलान किया था. इसके बावजूद बाहरी स्रोतों से उनपर 66 करोड़ से अधिक रुपये जमा करने के आरोप लगये गये. इतना ही नहीं भारत के कई बड़े शहरों में उनके नाम से और उनके अपनों के नाम होटल होने का भी दावा किया गया, साथ ही विदेशों में भी जयललिता के नाम होटल होने के बात कही गयी. बीच में कई विवाद के बाद मामले को तमिलनाडु से बाहर किसी अदालत में चलाने की फैसला किया गया.
पूरा मुकदमा एक नजर में
14 जून 1996 को डा. सुब्रमनियम स्वामी द्वारा जयललिता के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति मामले में शिकायत दर्ज करायी गयी. इसी साल 18 जून को जयललिता के खिलाफ पाथमिकी दर्ज करने का निर्देश दिया गया. 21 जून को प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश ने शिकायत की जांच करने के लिए आइपीएस लतिका सरन को जिम्मेवारी सौंपी. 4 जून 1997 को चेन्नई कोर्ट में आरोप पत्र दाखिल किया गया जिसमें उनके पास 66.65 करोड़ रूपये की बात कही गयी. इस साल 21 अक्टूबर को कोर्ट ने जयललिता, उनके सहयोगी वीके शशिकला, उनके भतीजे वीएन सुधाकरन और जे. इलावरासी के खिलाफ आरोप तय किये गये.
मार्च 2002 में जयललिता फिर से मुख्यमंत्री बनीं. 18 नवंबर को यह केस चेन्नई से हटाकर गैगलुरू के एक विशेष अदालत को सौंप दिया गया. 2011 में जयललिता फिर से मुख्यमंत्री बनीं उसके बाद 13 अगस्त को जे भवानी सिंह को एसपीपी के रूप में नियुक्त किया गया. 30 सितंबर को विशेष न्यायालय के न्यायाधीश बालकृष्ण सेवानिवृत्त हुए और 29 अक्टूबर को उच्च न्यायालय स्पेशल कोर्ट के जज के रूप में जॉन माइकल कुन्हा की नियुक्ति की गयी. 28 अगस्त को 2014 कोर्ट ट्रायल के दौरान कहा गया कि मामला स्पष्ट हो गया है, जल्द ही निष्कर्ष निकाला जायेगा. 16 सितंबर को जयललिता को याजिका की अनुमति प्रदान की गयी. वहीं आज का दिन फैसले के लिए मुकर्रर दिया गया था.