नयी दिल्ली: सीएम की कुर्सी छोड़ने के बाद जे जयललिता ने अपने सबसे विश्वासी ओ. पनेरसेल्वम पर भरोसा जताया है. वह तमिलनाडु के नये सीएम के रुप में शपथ लेंगे. ओ. पनेरसेल्वम की छवि कुछ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलती है.दोनों काफी छोटे कद से राजनीति में आने वाले व्यक्ति हैं.
जिस प्रकार नरेंद्र मोदी कभी गुजरात के प्लेटफॉम में चाय बेचा करते थे उसी प्रकार पनेरसेल्वम भी चाय की दुकान चलाते थे. किसान परिवार में जन्म लेने वाले तमिलनाडु के वित्त मंत्री ओ. पन्नीरसेलवम प्रदेश के अगले मुख्यमंत्री होने जा रहे हैं. फिलहाल उनकी इस चाय की दुकान को उनके रिश्तेदार चलाते हैं.
जयललिता के भरोसेमंद पनेरसेल्वम ओपीएस के नाम से राजनीति में पहचाने जाते हैं. 63 बसंत देख चुके पनेरसेल्वम बोडिनायकन्नूर विधानसभा से चुन कर आए हैं. उनका गृह जनपद थेनी है. उनका परिवार खेती से जुडा है. बताया जाता है कि उन्होंने आर्थिक तंगी के कारण अपने ग्रेजुएशन की पढ़ाई आधे में ही छोड़ दी. इस तरह के दिन 2001 में भी जे जयललिता को देखना पड़ा था उस वक्त भी उन्होंने ओ. पन्नीरसेलवम पर भरोसा जताया था.
उल्लेखनीय है कि 2001 में सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के बाद जयललिता को मुख्यमंत्री पद छोड़ना पड़ा था तब उन्होंने अपने सीएम की कुर्सी पर पन्नीरसेलवम को बैठाया था हालांकि वे मात्र एक साल ही अपने पद पर रहे. पनेरसेल्वम फिलहाल प्रदेश सरकार में वित्त मंत्री की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं.
शनिवार को तमिलनाडु की सीएम को बेंगलुरु की एक अदालत ने चार साल की सजा और 100 करोड़ का जुर्माना लगाया. अदालत के इस फैसले के बाद उन्हें अपना पद त्यागना पड़ा. उनके पद त्याग के बाद से ही पनेरसेल्वम के नाम के कयास लगाये जाने लगे थे. हुआ भी बिलकुल ऐसा ही. जयललिता को पता है कि उनके जेल जाने के बाद यदि राज्य को कोई संभाल सकता है तो वह पनेरसेल्वम ही हैं. इसका एक नजारा उन्होंने 2001 में देख लिया था.
जया जानतीं हैं कि उनकी सरकार को कोई खतरा नहीं है. 234 सदस्यीय विधानसभा में एआईएडीएमके के पास 150 सीटें हैं. वह बहुमत में हैं इसलिए सरकार को काई नहीं हिला सकता है. वहीं यदि लोकसभा चुनाव के नतीजों पर नजर डालें तो प्रदेश की 39 लोकसभा सीटों में से 37 सीटों पर जया की पार्टी ने जीत दर्ज की थी जिसके बाद उनका कद राष्ट्रीय राजनीति में बढ़ गया है.
उल्लेखनीय है कि तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जे. जयललिता को आय से अधिक संपत्ति के मामले में सजा सुनाई गई है. जब उन्होंने पहली बार सीएम का पद संभाला था तो उनके पास मात्र तीन करोड़ कीसंपत्ति थी तो पांच साल में बढ़कर 66 करोड़ हो गई थी. उनके खिलाफ तत्कालिन जनता पार्टी के नेता जो अभी भाजपा में हैं सुब्रमण्यम स्वामी ने मामला दर्ज करवाया था.