Loading election data...

महाराष्‍ट्र विस चुनाव:शिवसेना या भाजपा को मिलेगा मुस्लिम वोट?

मुंबई:महाराष्‍ट्र में कांग्रेस और एनसीपी के गंठबंधन में दरार आने के बाद विधानसभा चुनाव में मुस्लिम वर्ग भाजपा या शिवसेना के साथ जा सकता हैं. मुस्लिम एनसीपी और कांग्रेस दोनों ही पार्टियों से असहज महसूस कर रहे हैं. एनसीपी के अल्पसंख्‍यक सेल के चीफ हबीब फेख ने पार्टी से नाराज होकर त्यागपत्र दे दिया है. […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 30, 2014 9:46 AM

मुंबई:महाराष्‍ट्र में कांग्रेस और एनसीपी के गंठबंधन में दरार आने के बाद विधानसभा चुनाव में मुस्लिम वर्ग भाजपा या शिवसेना के साथ जा सकता हैं. मुस्लिम एनसीपी और कांग्रेस दोनों ही पार्टियों से असहज महसूस कर रहे हैं.

एनसीपी के अल्पसंख्‍यक सेल के चीफ हबीब फेख ने पार्टी से नाराज होकर त्यागपत्र दे दिया है. उन्होंने कहा कि पार्टी के द्वारा मुस्लिम समुदाय की अनदेखी की जा रही है. मराठवाड़ा और विदर्भ जैसे अल्पसंख्‍यक क्षेत्र में पार्टी की ओर से कोई मुस्लिम उम्मीदवार घोषित नहीं किया गया है. जिससे यह वर्ग नाराज है.

ऑल इंडिया मुस्लिम ओबीसी नेता साबिर अंसारी ने कहा कि अब कांग्रेस और एनसीपी को सबक सिखाने का वक्त आ गया है. हमलोग भाजपा और शिवसेना के संपर्क में हैं. अंसारी ने इस संबंध में सोमवार को शिवसेना चीफ उद्धव ठाकरे से मुलाकात की है.

अंसारी ने कहा कि वह हिदुत्व को मानने वाली पार्टी को भी समर्थन दे सकते हैं यदि वे हमें मुस्लिम वर्ग के कुछ समस्या को सार्वजनिक रुप से हल निकालने का वादा करें. पुलिस निर्दोष मुस्लिमों को पकड़ रही है उनके उपर चल रहे केस का फौरन निपटारा हो वक्फ बोर्ड की भूमि को संरक्षण देना मुस्लिम युवको को रोजगार देना जैसे मुद्दे को अंसारी ने उनके सामने रखा है.

अंसारी को मुस्लिम वर्ग का नेता चुना गया है. वे लगातार अपने डिमांड को लेकर पार्टियों से मिल रहे हैं. उनका साफ कहना है जो भी पार्टी उनके इन डिमांड को पूरा करने का वादा करेगी. मुस्लिम वर्ग उनको ही विस चुनाव में अपना वोट डालेगा.

मुस्लिम नेता गुलाम पेसमन ने कहा कि कांग्रेस और एनसीपी हमें लगातार हिदुत्व को मानने वाली पार्टी का डर दिखाकर वोट अपने पक्ष में कर लेती है. इस बार हम उनके झांसे में आने वाले नहीं हैं. इसमें कोई शक नहीं कि इन पार्टियों ने कुछ सांप्रदायिक बयान जारी किये हैं जिस कारण उन्हें मुस्लिम वर्ग का वोट नहीं मिला लेकिन इस बार हम उन्हें ही वोट डालेंगे देखना है कि क्या सचमुच वह सांप्रदायिकता फैलाते हैं या नहीं.

उन्होंने कहा कि राजनीति में कोई अछूत नहीं है. एक बार हमें इनका भी हाथ थमकर देखना चाहिए. वहीं फेख ने कहा कि उन्होंने एनसीपी से अपने 65 प्रतिशत समर्थकों के साथ त्यागपत्र दे दिया है. समर्थक शिवसेना के साथ जाने पर जोर दे रहे हैं.

Next Article

Exit mobile version