भारत-चीन सीमा पर जारी तनाव अब घटता नजर आ रहा है. पूर्वी लद्दाख के चुमार और देमचोक क्षेत्र से दोनों तरह की सेना हट रही हैं और अपने पुराने निर्धारित स्थानों को लौट रही हैं. कल दोनों ओर के सैन्य कमांडरों की बैठक स्पांगुर गैप में हुई थी. बैठक के बाद कमांडरों ने दोनों ओर के सैनिकों को अपने निर्धारित स्थानों पर लौटने का निर्देश दिया.
बैठक में यह निर्णय भी लिया गया है कि भारत-चीन सीमा विवाद पर वर्किंग मैकनिज्म की बैठक 16-17 अक्तूबर को होगी. पिछले महीने जब चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग भारत दौरे पर आये थे, उससे पहले लद्दाख के चुमार क्षेत्र में चीन की ओर से घुसपैठ की गयी थी और वहां सड़क बनाने का काम किया जा रहा था.
इस घुसपैठ पर भारत ने आपत्ति जतायी थी. भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चीन के राष्ट्रपति के समक्ष घुसपैठ पर आपत्ति जतायी थी और यह कहा था कि दोनों देशों के बीच संबंध तब तक बढ़ाये नहीं जा सकते हैं, जबतक कि सीमा पर शांति न हो. हालांकि चीन का कहना है कि सीमा रेखा सही तरीके से परिभाषित नहीं होने के कारण यह गलतफहमी हुई है.
विदेश मंत्रालय की ओर से कहा गया है कि विदेश मंत्री सुषमा स्वराज को चीन की ओर से यह आश्वासन मिला था कि 30 सितंबर से चीनी सैनिक सीमा से हटने लगेंगे.
लेकिन चीन की हरकतों पर अगर नजर डालें, तो यह साफ होता है कि गलतफहमी के कारण नहीं बल्कि जानबूझकर चीन भारतीय सीमा में घुसपैठ करता है.अरुणाचल प्रदेश को लेकर भी चीन की नीयत ठीक नहीं है. हालांकि चीन के राष्ट्रपति ने यह भरोसा दिलाया है कि सीमा पर शांति कायम रखी जायेगी.