शिवराज ने कहा, मैं आज भी किसान हूं

भोपाल: मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान आज भी खुद को किसान मानते हैं. उन्हें ‘किसान पुत्र’ कहा जाता है, लेकिन अपने पिता की तरह वह खुद एक किसान हैं और आज भी खेती-बारी करते हैं. चौहान ने आज यहां ‘लोकमत समाचार’ भवन का लोकार्पण करने के बाद एक समारोह में कहा, ‘‘वह किसान पुत्र […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 1, 2014 6:49 PM

भोपाल: मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान आज भी खुद को किसान मानते हैं. उन्हें ‘किसान पुत्र’ कहा जाता है, लेकिन अपने पिता की तरह वह खुद एक किसान हैं और आज भी खेती-बारी करते हैं.

चौहान ने आज यहां ‘लोकमत समाचार’ भवन का लोकार्पण करने के बाद एक समारोह में कहा, ‘‘वह किसान पुत्र होने के साथ आज खुद भी एक किसान हैं और परंपरागत खेती के अलावा फूल, अनार आदि की खेती भी करते हैं. उनके खेत में लगने वाले झरबेरिया के फूलों की बेहद मांग है और प्रतिदिन इसके 2700 फूल बाजार में बिकने जाते हैं.
मध्यप्रदेश सरकार द्वारा खेती को लाभ का धंधा बनाने के लिए किए जा रहे प्रयासों को रेखांकित करते हुए उन्होंने कहा कि एक किसान के नाते उन्होंने खेती-किसानी को बहुत नजदीक से जाना है. इसलिए इस क्षेत्र की कठिनाइयों को दूर करने में उनकी सरकार जुटी हुई है. उन्होंने कहा कि इन दस सालों में सरकार ने सिंचाई का रकबा बढाने के साथ ही उत्पादन लागत घटाने पर काम किया है और इसमें उसे सफलता भी मिली है.
स्वामी विवेकानंद को अपने राजनीतिक जीवन का ‘रोल मॉडल’ बताते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि उनके विचारों ने सदा ही उन्हें प्रेरित किया है.उन्होंने कहा कि सार्वजनिक जीवन में आगे बढने के लिए परिवार विशेषकर पत्नी का उन्हें भरपूर सहयोग मिला है. महाराष्ट्र के गोंदिया में अपनी सुसराल का जिक्र करते हुए उन्होंने चुटकी ली कि जिसकी जहां ससुराल होती है, उसे वहीं से शक्ति मिलती है. उन्होंने कहा कि पति और पत्नी एक दूसरे के पूरक होते हैं और पति को सफल बनाने में हमेशा ही पत्नी की तपस्या महत्वपूर्ण होती है.
अपने पुत्र कार्तिकेय एवं कुणाल को लेकर चौहान ने कहा कि वह नहीं चाहते कि उनके पुत्र राजनीति में आएं. अभी तो वे पढाई कर रहे हैं, लेकिन अपना कार्यक्षेत्र चुनने के लिए दोनों स्वतंत्र हैं. राजनीतिक जीवन में मीडिया के साथ अपने अनुभव बांटते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्हें पत्रकारिता के महत्व से इंकार नहीं है, लेकिन कई बार किसी विषय को खबर बनाने के प्रयास में अक्सर न्याय नहीं हो पाता है.

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