कानपुर : अच्छाई पर बुराई की विजय के प्रतीक दशहरे के दिन वैसे तो रावण वध और भगवान राम की पूजा होती है लेकिन कानपुर के शिवाला इलाके में एक मंदिर ऐसा है जहां इस दिन रावण की अर्चना और आरती होती है तथा श्रद्धालु मन्नतें मांगते हैं.
इस मंदिर का नाम ‘दशानन मंदिर’ है और इसका निर्माण 1890 में हुआ था. दशानन मंदिर के दरवाजे साल में केवल एक बार दशहरे के दिन ही सुबह नौ बजे खुलते हैं और मंदिर में लगी रावण की मूर्ति का पहले पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ श्रृंगार किया जाता है और उसके बाद रावण की आरती उतारी जाती है तथा शाम को दशहरे में रावण के पुतला दहन के पहले इस मंदिर के दरवाजे एक साल के लिये बंद कर दिये जाते हैं.