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संघ प्रमुख ने की मोदी की तारीफ कहा, देश में भरोसा बढ़ा है

विजया दशमी के दिन नागपुर में संघ के 89वें वर्षगांठ पर संघ प्रमुख ने मोदी सरकार की जमकर तारीफ की. उन्‍होंने कहा कि मोदी सरकार देश कोविकास पथ पर ले जाने में सक्षम है. हमें नयी सरकार को समय देना चाहिए. अभी तो कुछ माह ही हुए हैं. किसी के पास जादू की छड़ी नहीं […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 3, 2014 9:41 AM

विजया दशमी के दिन नागपुर में संघ के 89वें वर्षगांठ पर संघ प्रमुख ने मोदी सरकार की जमकर तारीफ की. उन्‍होंने कहा कि मोदी सरकार देश कोविकास पथ पर ले जाने में सक्षम है. हमें नयी सरकार को समय देना चाहिए. अभी तो कुछ माह ही हुए हैं. किसी के पास जादू की छड़ी नहीं होती. अभी परिवर्तन के 6 महीने पुरे नहीं हुए है लेकिन उनके कार्यो से जो संकेत मिल रहे है वो आशादायक है. जब भी समाज के ऊपर कोई आपदा आती है तो समाज अपनी मूल एकात्मता का परिचय देता है. नयी सरकार के आने से देश में भरोसा बढ़ा है. भागवत ने कहा कि हमारे समाज में अनुशासन की जरुरत है. हमारे देश में स्वच्‍छता का आह्वान भी प्रधानमंत्री को करना पड़ता है. सोंच बदलने की आवश्‍यकता है.

भागवत ने कहा हम सहयोगात्‍मकता में विश्‍वास करते हैं. यही जम्मू कश्मीर में हुआ. संघ के स्वयंसेवक पहले दिन से जम्मू कश्मीर के बढ़ प्रभावित क्षेत्रो में सेवा में लगे रहे. संघ प्रमुख ने इस विजया दशमी के महत्‍व को विशेष बताया. उन्‍होंने कहा कि यह वर्ष राजा चोल की सह्स्त्रावदी है. एक हज़ार वर्ष उनको हो गये. साथ ही पंडित दीनदयाल जी के एकात्म मानववाद को ५० वर्ष हो गये हैं. युवओ का आह्वान करते हुए भागवत ने कहा विश्व भर को पुनः अपने, शौर्य की दर्शन कराये. आज यह पावन दिवस देश का पौरुष जगाये हम इस वर्ष के उत्सव की कुछ विशेषताएं है. उन्‍होंने कहा १९२५ की विजय दशमी के दिन आर एस एस की स्थापना हुई डॉ. हेडगेवारजी ने स्थापना की. उसे आगे बढाने का काम होना चाहिए.

पाकिस्‍तान पर हमला करते हुए उन्‍होंने कहा, जब मन में अलग होने का भाव होता है तब वह केवल अपने लिए सोचता है. सबको अलग-अलग देखकर विचार करता है. अलगाव को लेकर किसी पर अपना मत थोपने की कोसिस मत करो. हमारे देश में ऐसा कभी नहीं हुआ. संघ के एकजुटवादिता पर उन्‍होंने कहा कि कभी भी हमने किसी मूर्ति पूजक की मूर्ति को तोडा नहीं. किसी के धर्म स्थान को भ्रष्ट नहीं किया. किसी को नहीं बदला. भारत को विश्‍वगुरू के तौर पर विकसित करने के उद्देश्‍य को परिलक्षित करते हुए भागवत ने कहा, हम प्राचीन होने के कारण दुनिया के बड़े भाई हैं. सबको हमे शिक्षा देनी है. बाकि देशो की दृष्टि चाहे जो हो लेकिन हमारी दृष्टि पक्की है. समाज के आखिरी छोर पर खड़े व्यक्ति का भला होना चहिए. सौभाग्य से स्वामी विवेकानंद, अरविन्द, गांधी जी और आंबेडकर व श्री गुरूजी आदि अनेक लोगो ने व्यापक चिंतन किया है. शासन परिवर्तन तो हम लायें है लेकिन समाज को भी जागृत होना पड़ेगा.

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