भारतीय सीमा पर चीनी घुसपैठ के संकेत

नयी दिल्ली : वायुसेना प्रमुख अरुप राहा ने भारतीय सीमा में चीनी घुसपैठ के संकेत होने की बात कही है. उन्‍होंने कहा कि, पिछले महीने राष्ट्रपति शी चिनफिंग के दौरे के समय लद्दाख में चीन की घुसपैठ के कुछ संकेत हो सकते हैं. उन्होंने कहा कि सीमा के पास रक्षा ढांचे को सुदृढ किया जा […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 5, 2014 8:04 AM

नयी दिल्ली : वायुसेना प्रमुख अरुप राहा ने भारतीय सीमा में चीनी घुसपैठ के संकेत होने की बात कही है. उन्‍होंने कहा कि, पिछले महीने राष्ट्रपति शी चिनफिंग के दौरे के समय लद्दाख में चीन की घुसपैठ के कुछ संकेत हो सकते हैं. उन्होंने कहा कि सीमा के पास रक्षा ढांचे को सुदृढ किया जा रहा है.

वायुसेना प्रमुख ने कहा कि भारत किसी को जमीन नहीं देने जा रहा है. उन्होंने कहा कि देश की रक्षा ताकत को बढाने के लिए लद्दाख में दो हवाई अड्डे बनाए जा रहे हैं. आठ अक्तूबर को भारतीय वायुसेना की 82वीं वर्षगांठ से पहले उन्होंने संवाददाताओं से कहा, यह हमेशा से रहस्य रहा है कि जिस तरीके से घुसपैठ होती है और विभिन्न दौरे के समय जिस तरीके से यह होता है… इसमें कुछ भी नया नहीं है, यह हम सबके लिए रहस्य बना हुआ है.

उन्होंने कहा, आप सभी जानते हैं कि कूटनीति में काफी कुछ सांकेतिक होता है, खासकर हमारे उत्तरी पडोसी के साथ. यह मेरे दिमाग में किसी संकेत का हिस्सा हो सकता है, लेकिन मैं इस पर कोई कयास लगाने नहीं जा रहा हूं कि वास्तव में इसका मतलब क्या है.
वह चीन की तरफ से भारतीय सीमा में लगातार हो रहे घुसपैठ के बारे में सवालों का जवाब दे रहे थे. इसमें हाल में चीनी घुसपैठ का मामला शामिल है जब चीन के सैनिक लद्दाख के देमचक में सिंचाई के नहर पर चल रहे काम को रोकने के लिए नागरिकों के रुप में भारतीय सीमा में घुस आये थे.
उन्होंने भारतीय क्षेत्र में शिविर बना लिए थे जिन्हें 27 सितम्बर को नई दिल्ली में भारतीय अधिकारियों से चीनी अधिकारियों की मुलाकात के बाद हटा लिया गया था और एक सितम्बर की यथास्थिति बहाल करने का निर्णय किया गया.चीन के कुछ श्रमिक जो अपनी तरफ सडक बना रहे थे वे भी लद्दाख के चुमार में भारतीय सीमा में चले आए और दावा किया कि उन्हें टिबले तक सडक बनाने के आदेश हैं जो भारतीय क्षेत्र में पांच किलोमीटर अंदर है. ये घटनाएं तब हुईं जब चीन के राष्ट्रपति 17 सितम्बर को तीन दिवसीय भारत दौरे पर थे.
बहरहाल उन्होंने स्पष्ट किया कि भारत ह्यह्यजमीन का कोई टुकडा नहीं छोडने वाला है. राहा ने भारत और चीन की सेना के बार…बार आमने…सामने होने के लिए वास्तविक नियंत्रण रेखा के पास दोनों देशों की वास्तविक स्थिति को लेकर अलग…अलग धारणा होने को जिम्मेदार बताया.
उन्होंने कहा, एलएसी कहां है इसे लेकर अलग…अलग धारणा है… इस कारण सेना आमने…सामने आ जाती है. बहरहाल हमारे सुरक्षा बल नीतियों का अनुपालन कर रहे हैं… हम किसी को भी जमीन नहीं दे रहे हैं. चीन के साथ लगती सीमा के पास सैन्य ढांचों के निर्माण के लिए उठाए गए कदमों का जिक्र करते हुए राहा ने कहा कि लद्दाख के न्योमा में लडाकू विमानों का ठिकाना बनाया जा रहा है. साथ ही उन्होंने कहा कि परियोजना को पूरा होने में पांच वर्ष लगेंगे.
उन्होंने कहा कि करगिल में एक अन्य ठिकाना बनेगा और इसके लिए जल्द ही धनराशि जारी की जाएगी. उन्होंने कहा, ये ठिकाने रणनीतिक रुप से हमारे लिए महत्वपूर्ण हैं और हमारी क्षमताओं में बढोतरी करेंगे. उन्होंने कहा कि पूर्वोत्तर में छह और वायु अड्डों का उन्नयन किया जा रहा है और यह काम 2015 के अंत तक पूरा हो जाएगा. राहा ने कहा कि इससे वायुसेना वहां से बल की तुरंत आवाजाही के लिए विमानों का परिचालन कर सकेगी.

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