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HC से अम्‍मा को नहीं मिली बेल, आज जा सकती हैं सुप्रीम कोर्ट

बेंगलुरु : कर्नाटक हाईकोर्ट ने विशेष अदालत के उस फैसले को बरकरार रखा है जिसमें तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री जयललिता को चार साल की कैद और साथ में 100 करोड़ का जुर्माना लगाया गया है. जयललिता फिलहाल जेल में बंद हैं. उनपर आय से अधिक संपत्त‍ि का का मामला चल रहा है. जयललिता की जमानत […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 7, 2014 7:28 AM

बेंगलुरु : कर्नाटक हाईकोर्ट ने विशेष अदालत के उस फैसले को बरकरार रखा है जिसमें तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री जयललिता को चार साल की कैद और साथ में 100 करोड़ का जुर्माना लगाया गया है. जयललिता फिलहाल जेल में बंद हैं. उनपर आय से अधिक संपत्त‍ि का का मामला चल रहा है. जयललिता की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति ए बी चंद्रशेखर ने कहा,जयललिता को जमानत देने का कोई आधार नहीं बनता है.जयललिता के वकील राम जेठमलानी सशर्त जमानत याचिका के साथ आज सुप्रीम कोर्ट जा सकते है. अब देखना है कि सुप्रीम कोर्ट में जमानत याचिका पर कब सुनवाई होती है. कल कर्नाटक हाई कोर्ट ने भ्रष्‍टाचार के मामले में जमानत देने से इंकार कर दिया है.

तमिलनाडु-कर्नाटक बस सेवा स्‍थगित

सुरक्षा कारणों से तमिलनाडु-कर्नाटक बस सेवा को कुछ समय के लिए स्‍थगित कर दिया है. कयास लगाये जा रहे हैं कि जयललिता की जमानत अर्जी खारिज होने के बाद उनके समर्थक भारी संख्‍या में कर्नाटक आकर उपद्रव कर सकते हैं. ऐसे में राज्‍य सरकार ने शांति बनाये रखने के उद्देश्‍य से बस सेवा को स्‍थगित किया है. तमिलनाडु के लिए कर्नाटक से सभी KSRTC बस सेवाएं स्‍थगित हैं. बेंगलुरू पुलिस ने राज्य की सीमा के आसपास सुरक्षा मजबूत कर दी है. जिससे तमिलनाडु से जया समर्थक कर्नाटक में प्रवेश ना कर पायें.

जेठमलानी ने की थी जयललिता को जमानत देने की जोरदार अपील

पूर्व मुख्यमंत्री जे जयललिता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता राम जेठमलानी ने आज कर्नाटक उच्च न्यायालय में जयललिता को जमानत दिये जाने की जोरदार अपील की थी. इसमें उन्होंने कहा, जेल में बंद अन्नाद्रमुक प्रमुख को आय से अधिक सम्पत्ति मामले में विशेष अदालत द्वारा दोषी ठहराये जाने के खिलाफ अपील पर सुनवाई लंबित रहने के मद्देनजर तत्काल जमानत दी जानी चाहिए.

तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री की पैरवी करते हुए जेठमलानी ने विशेष अदालत द्वारा उन्हें चार वर्ष की कैद की सजा को स्थगित करने की मांग की.जेठमलानी ने कहा कि अपराध प्रक्रिया संहिता की धारा 389 के तहत अपील लंबित होने के मद्देनजर सजा को स्थगित कर दिया जाए.

धारा 389 के तहत दोषी करार दिये गए व्यक्ति की अपील लंबित रहने पर अपीलीय अदालत यह आदेश दे सकती है कि जिस सजा या आदेश के खिलाफ अपील की गई है, उस पर अमल स्थगित कर दिया जाए. उन्होंने कहा कि अगर व्यक्ति जेल में बंद है तो उसे जमानत या निजी मुचलके पर छोडा जा सकता है. लेकिन इस जोरदार अपील के बावजूद जयललिता को जमानत नहीं मिली.

मीडिया में जोर शोर से चली जयललिता को जमानत मिलने की खबर

आज सुबह से ही मीडिया के सारे धड़े जयललिता की जमानत की खबर पर व्‍यापक कवरेज रखे हुए थे. खबरों को ताबड़तोड़ परोसने की होड़ में पल-पल की जानकारी लोगों तक पहुंचाने की कोशिश में मीडिया के कुछ समूह के द्वारा कर्नाटक हाई कोर्ट द्वारा जयललिता को जमानत दिये जाने की खबर प्रसारित की गयी. prabhatkhabar.com के द्वारा टीवी रिपोर्ट को आधार बनाकर जयललिता को जमानत मिलने की खबर प्रस्‍तुत की गयी, जिसे नये तथ्‍यों के सामने आने के पश्‍चात सही कर दिया गया. फिलहाल खबर यही है कि कनार्टक हाई कोर्ट ने जयललिता की जमानत याचिका खारिज कर दी है.

इससे पहले सुनवाई के दौरान कोर्ट परिसर में धारा 144 लागू कर दिया गया. सुनवाई के दौरान कोर्ट में सुरक्षा व्यवस्था के कड़े इंतजाम किये गये. जया को जमानत मिलने से खुश उनके समर्थकों ने जमकर आतिशबाजी की और समर्थन में नारे लगाये. विशेष अदालत ने जयललिता को 27 सितंबर को दोषी करार देते हुए चार साल कैद की सजा सुनाई थी. कोर्ट के इस फैसले के बाद उन्हें सीएम की कुर्सी गंवानी पड़ी. जया मुख्‍यमंत्री रहते हुए एक रुपया वेतन लेती थीं और उनके पास 66 करोड़ रुपये की संपत्ति पायी गयी.

किस आधार पर मांगी गयी थी जमानत
यह मामला जब अवकाशकालीन पीठ के समक्ष आया, तो जयललिता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता राम जेठमलानी ने कहा कि अपराध दंड संहिता की धारा 389 के तहत लंबित अपील पर सुनवाई होने तक उनके मुवक्किल की सजा को निलंबित किया जाये और उन्हें जमानत पर रिहा किया जाये. धारा 389 के अनुसार यदि दोषी व्यक्ति की कोई अपील लंबित है तो अपीली अदालत सजा निलंबित करने का आदेश दे सकती है.

याचिकाकर्ता की दलील
अपनी याचिकाओं में तत्काल जमानत मांगते हुए और अपनी सजा को चुनौती देते हुए जयललिता ने कहा है कि उन पर लगे संपत्ति अर्जित करने के आरोप झूठे हैं और उन्होंने कानून सम्मत साधनों से संपत्ति हासिल की थी. जयललिता ने यह भी तर्क दिया है कि निचली अदालत ने कई फैसलों की अनदेखी की है और बाध्यकारी प्रकृति के कई आयकर आदेशों और आयकर अपील प्राधिकरण के फैसलों पर विचार नहीं किया, जिसने उनके द्वारा बताये गये आय और व्यय के स्तर को स्वीकार कर लिया था.

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