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पाकिस्‍तानियों ने ट्विटर पर Narendra modi को कहा डरपोक

नयी दिल्‍ली : तीन बार सीधे तौर पर भारत के साथ युद्ध हार चुका पाकिस्‍तान twitter पर भारत और भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ सीधे तौर पर हमला कर रहा है. पिछले कई दिनों से जारी संघर्ष विराम उल्‍लंघन के पश्‍चात पाकिस्‍तान जमकर सोशल साइट्स (twitter) पर अपनी भड़ास निकाल रहा है. अब सवाल […]

नयी दिल्‍ली : तीन बार सीधे तौर पर भारत के साथ युद्ध हार चुका पाकिस्‍तान twitter पर भारत और भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ सीधे तौर पर हमला कर रहा है. पिछले कई दिनों से जारी संघर्ष विराम उल्‍लंघन के पश्‍चात पाकिस्‍तान जमकर सोशल साइट्स (twitter) पर अपनी भड़ास निकाल रहा है.

अब सवाल यह है कि पाकिस्‍तान में twitter पर फैले इस मुहिम में सीधे तौर पर पाकिस्‍तानी आवाम जुड़ी हुई है या सिर्फ हाफिज सईद जैसे कट्टरपंथियों के समर्थक अपनी भड़ास निकाल रहे हैं. पाकिस्‍तान में twitter पर छाये Trend में भारतीय प्रधानमंत्री को डरपोक बताया जा रहा है. इसके बाद के Trend में कश्‍मीर को भारत से अलग लेने की बात कही जा रही है. वहीं उसके बाद भारतीय आतंकवाद की बातें भी कही जा रही हैं.

कितने गंभीर है यह twitter के Trend

आमतौर पर पाकिस्‍तान के द्वारा भारतीय सीमा पर गोलीबारी या भारत के साथ किसी शांति समझौते पर निर्णायक रूप से ना पहुंचने के पीछे पाकिस्‍तानी फौज को जिम्‍मेवार समझा जाता है. ध्‍यान देने योग्‍य बात है कि पाकिस्‍तान में लोकतंत्र के बावजूद बहुत कम समय के लिए लोकतांत्रिक रूप से चुनी हुई सरकार का प्रभाव रहा है. वहां की विदेश नीति और भारत के साथ समझौते पर हमेशा से पाकिस्‍तानी सेना के रूख हावी रहे हैं.

पर इन सब के बावजूद लोकतांत्रिक रूप से चुने हुए हर नेता ने पाकिस्‍तान और भारत के बीच शांति की पहल की है. ऐसे में प्रश्‍न यह उठता है कि twitter पर चल रहे ये Trend आम पाकिस्‍तानी भावनाओं को प्रतिबिंबित करते हैं या उन मुट्ठी भर आकाओं के कट्टरपंथी समर्थकों द्वारा चलाया जा रहा विशेष अभियान है, जिसका उद्देश्‍य सिर्फ और सिर्फ भारत और भारतीय प्रधानमंत्री की मजबूत अवस्‍था और छवि को चोट पहुंचाना है.

क्‍या मोदी या भारत का विरोध पाक को बचा लेगा

राजनीतिक तौर पर सशक्‍त होकर लौटे मियां नवाज शरीफ से शुरू-शुरू में यह आशा बंधी थी कि वह फौज पर नियंत्रण रखने में कामयाब हो पायेंगे. प्रारंभिक अवस्‍था में उनके अंदर वह भरोसा भी दिखायी दिया जब उन्‍होंने अपने कार्यकाल के आखरी दौर से गुजर रहे भारतीय प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह से न्‍यूयार्क में किसी तरह की गंभीर वार्ता नहीं की.

उनके सूत्रों के द्वारा यह खबर आयी कि मियां साहब चुनाव के बाद एक सशक्‍त भारतीय प्रधानमंत्री से बातचीत करना चाहते हैं, नाकि कमजोर समझे जाने वाले और कार्यकाल के आखरी दौरे में पहुंचे प्रधानमंत्री मनमोहन से. चुनाव पूर्व सशक्‍त समझे जाने वाले नेता नरेंद्र मोदी अब प्रधानमंत्री बनने के बाद अचानक से ही पाकिस्‍तानी आकाओं को कमजोर और डरपोक नजर आने लगे हैं.

कहीं इसके पीछे विभिन्‍न धडों में बंटी एवं कमजोर हो चुकी पाकिस्‍तानी शासन के विभिन्‍न आकाओं के बीच का सत्‍ता संघर्ष तो असल वजह नहीं, जो मोदी और भारत विरोध के बहाने पाकिस्‍तान पर काबिज होना चाहते हैं.

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