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अतिसंवेदनशील पत्नी की आत्महत्या का जिम्मेदार नहीं होगा पति: अदालत

मदुरै: मद्रास उच्च न्यायालय का कहना है कि यदि अतिसंवेदनशील पत्नी आत्महत्या कर लेती है तो इसका जिम्मेदार पति को नहीं ठहराया जा सकता है. अदालत ने यह फैसला एक निचली अदालत के फैसले के खारिज करते हुए सुनाया. अदालत का कहना है कि अगर घर का कामकाज ठीक तरीके से न करने पर कोई […]

मदुरै: मद्रास उच्च न्यायालय का कहना है कि यदि अतिसंवेदनशील पत्नी आत्महत्या कर लेती है तो इसका जिम्मेदार पति को नहीं ठहराया जा सकता है. अदालत ने यह फैसला एक निचली अदालत के फैसले के खारिज करते हुए सुनाया.

अदालत का कहना है कि अगर घर का कामकाज ठीक तरीके से न करने पर कोई पति, पत्नी को डांटता या और मारता है, इससे तंग आकर कोई अतिसंवेदनशील पत्नी अगर आत्महत्या कर लेती है तो पति पर आत्महत्या के लिए उकसाने का मुकदमा नहीं चलाया जा सकता.
उच्च न्यायालय ने अबुलीराज नामक व्यक्ति को दोषी ठहराकर सजा सुनाए जाने के निचली अदालत के फैसले को दरकिनार करते हुए मदुरै पीठ के न्यायाधीश एम वेणुगोपाल ने निचली अदालत को जुर्माने की राशि वापस करने का निर्देश दिया है.
इससे पहले महिला अदालत ने इस व्यक्ति को तीन साल की सश्रम कारावास की सजा सुनाई थी.न्यायाधीश ने कहा कि इस अदालत का मानना है कि डांटने को आत्महत्या के लिए उकसाना नहीं माना जा सकता, जबकि ऐसी कल्पना भी न की गई हो.
न्यायाधीश ने कहा कि आत्महत्या के लिए उकसाने की बात साबित करने के लिए इसके प्रत्यक्ष सबूत या अप्रत्यक्ष कार्य सबूत के रुप में होने चाहिए.
अदालत ने स्पष्ट कहा कि घर साफ करने के मुद्दे पर मृतक पत्नी को डांटना और फिर उससे क्रूर बर्ताव करना यह साबित करने के लिए पर्याप्त नहीं है.
अपीलकर्ता की पत्नी की मौत के इस मामले की जांच राजस्व मंडल अधिकारी ने की थी. दंपति की नौ महीने की एक बेटी भी है.

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