चायवाला बताने के बाद पलटी शिवसेना, सामना में मोदी को बताया सामान्य आदमी

मुंबईः शिवसेना के मुखपत्र सामना ने पिछले कुछ दिनों से भाजपा पर अपने प्रहार तेज कर दिये हैं. लेकिन सामाना आज अपने पूराने रंग में नजर नही आया यहां तक की सामना में उद्धव के छपे पिछले बयान पर बचाव की मुद्रा में नजर आये. सामने ने अपने 14 अक्टूबर के अंक में नरेंद्र मोदी […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 15, 2014 8:56 AM

मुंबईः शिवसेना के मुखपत्र सामना ने पिछले कुछ दिनों से भाजपा पर अपने प्रहार तेज कर दिये हैं. लेकिन सामाना आज अपने पूराने रंग में नजर नही आया यहां तक की सामना में उद्धव के छपे पिछले बयान पर बचाव की मुद्रा में नजर आये. सामने ने अपने 14 अक्टूबर के अंक में नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए कहा था कि अगर एक चाय वाला प्रधानमंत्री बन सकता है तो एक सामान्य आदमी मुख्यमंत्री क्यूं नहीं बन सकता.

उद्धव के इस बयान के बाद भाजपा की ओर से कड़ी प्रतिक्रिया आयी थी. अब सामना ने अपने ताजा अंक में इस बयान से कन्नी काट ली है. सामना में छपे ताजे लेख के अनुसार इसमें कहा गया है कि जनता का फैसला सबसे ऊपर होता है. अगर एक सामान्य आदमी प्रधानमंत्री बन सकता है तो उद्धव ठाकरे सीएम क्यूं नहीं बन सकता. खुद को महाराष्ट्र के सबसे उंचे पद का दावेदार बताते हुए शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने कहा कि यदि एक चाय बेचने वाला व्यक्ति देश का प्रधानमंत्री बन सकता है तो वह (उद्धव) भी राज्य के मुख्यमंत्री बन सकते हैं.

अपनी पार्टी के मुखपत्र ‘सामना’ में दिए एक साक्षात्कार में ठाकरे ने कहा, ‘‘यह सच है कि ठाकरे परिवार के लोगों ने कभी चुनाव नहीं लडे. लेकिन हम कभी जिम्मेदारियों से पीछे नहीं हटे. यदि एक चाय वाले के रुप में शुरुआत करने वाले :नरेंद्र:, मोदी जैसा आम आदमी प्रधानमंत्री बन सकता है तो मैं भी मुख्यमंत्री बन सकता हूं.’’ भाजपा की आलोचना करते हुए ठाकरे ने कहा कि जो केंद्रीय मंत्री अभी पार्टी के लिए प्रचार कर रहे हैं, वे चुनावों के बाद महाराष्ट्र को भूल जाएंगे.

उन्होंने कहा, ‘‘केंद्रीय मंत्रियों का पूरा एक दल महाराष्ट्र चुनावों में पार्टी के पक्ष में प्रचार करने के लिए लाया गया. लेकिन वे चुनावों के बाद वापस नहीं आएंगे. सिर्फ शिवसेना ही यहां रहेगी और लोगों के लिए काम करती रहेगी. लोगों को इस बात का अहसास है.’’ भाजपा को ‘‘सत्ता की भूखी’’ बताते हुए ठाकरे ने आरोप लगाया कि पार्टी के इरादे इस राज्य को बांटने के हैं.

ठाकरे ने कहा, ‘‘भाजपा ने हमारे साथ गठबंधन तोड लिया क्योंकि वे सत्ता के भूखे हैं. वे राज्य पर वैसे ही शासन करना चाहते हैं, जैसे लोकसभा चुनावों में बहुमत मिलने पर वे देश पर शासन कर रहे हैं. वे सोचते हैं कि यदि वे यहां बहुमत के साथ आते हैं तो वे महाराष्ट्र को विभाजित कर सकते हैं. लेकिन शिवसेना ऐसा कभी होने नहीं देगी.’’

क्यों पलटी शिवसेना
समाना पर छपे इस तरह के लेख पर कई बार विवाद हो चुका है. इसी में प्रधानमंत्री को पहले चाय वाला बताने के बाद आज उन्हें सामान्य व्यक्ति कहा गया है. राजनीति पर विशेष नजर रखने वाले विशेषत्रों की मानें, तो सामना चाय वाल कहकर मोदी को एक नया मौका नहीं देना चाहती जिससे उन्हें चुनाव में मौका मिला. आपको याद होगा कि कांग्रेस के नेता मणिशंकर अय्यर ने भी इसी तरह की गलती की थी जिसका फायदा नरेंद्र मोदी को लोकसभा चुनाव के दौरान हुआ था. सामना में छपे लेख के बाद मोदी को चायवालों का एक बार फिर जोरदार समर्थन मिल सकता था ऐसे में सामना ने अपने पूराने बयान से कन्नी काटते हुए प्रधानमंत्री को एक सामान्य नागरिक का तमगा दिया.
सामना के लेख पर भाजपा जताती रही है आपत्ति
सामना में छपने वाले लेख पर भाजाप नेताओं को हमेशा से शिकायत रही है. यह पहली बार नहीं है जब भाजपा ने सामना के किसी लेख पर अपनी आपत्ति दर्ज करवायी हो. भाजपा के कई दिग्गज नेताओं का साफ तौर पर मानना है कि अगर भाजपा और शिवसेना के रिश्ते दिन ब दिन कड़वे होते जा रहे हैं तो इसमें शिवसेना के मुखपत्र सामना की महत्वपूर्ण भूमिका है. गंठबंधन टूटने से पहले भी भाजपा ने कई लेख पर अपनी नाराजगी जाहिर की है. सामना में जिस तरह से भाजपा के दिग्गज नेताओं को जिक्र किया जाता है. भाजपा की अंदर की राजनीतिक को सार्वजनकिक रंग देने का प्रयास किया जाता है.
इसका हमेशा से विरोध होता रहा है. हाल में ही सामना के एक अंक में सुषमा स्वराज के साथ अन्याया होने, भाजपा के पूर्व अध्यक्ष राजनाथ सिंह के पार्टी छोड़ने और मंत्री बनने पर सवाल खड़े किये गये थे. महाराष्ट्र की राजनीति में अपनी अहम भूमिका निभाने वाले केंद्रीय मंत्री नीतिन गडकरी ने भी संकेत दिये थे कि शिवसेना के मुखपत्र की वजह से भाजपा के कई नेता नाराज होते है. उन्होंने एक बार इसकी चर्चा बालासाहेब से भी की थी.

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