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एडमिरल जोशी ने तोड़ी चुप्पी, मनमोहन सिंह सरकार पर बरसे, लगाया आरोप

नयी दिल्ली : नडुब्बी हादसे के बाद इस्तीफा देनेवाले के आठ महीने बाद नौसेना प्रमुख एडमिरल डीके जोशी संयुक्त प्रगतिशील गंठबंधन (यूपीए) सरकार पर जम कर बरसे. उन्होंने कहा कि नौसेना में निष्क्रियता और अक्षमता का माहौल था. नौसेना में सुधारों और उसके आधुनिकीकरण पर एक दशक तक समितियां बनती रहीं. रिपोर्ट आते रहे, लेकिन […]

नयी दिल्ली : नडुब्बी हादसे के बाद इस्तीफा देनेवाले के आठ महीने बाद नौसेना प्रमुख एडमिरल डीके जोशी संयुक्त प्रगतिशील गंठबंधन (यूपीए) सरकार पर जम कर बरसे. उन्होंने कहा कि नौसेना में निष्क्रियता और अक्षमता का माहौल था. नौसेना में सुधारों और उसके आधुनिकीकरण पर एक दशक तक समितियां बनती रहीं.

रिपोर्ट आते रहे, लेकिन नौसेना को कुछ नहीं मिला. निहित स्वार्थ के कारण नौसेना का सुधार नहीं हो पाया. उन्होंने कहा कि पनडुब्बी हादसे के बाद उनके इस्तीफे पर यूपीए सरकार के रवैये से वह आश्चर्यचकित थे. महज कुछ घंटों के भीतर उनका इस्तीफा स्वीकार कर लिया गया था.

एनडीटीवी को दिये साक्षात्कार में जोशी ने कहा, मैंने 26 फरवरी, 2014 को इस्तीफा दिया. सरकार से आग्रह किया कि इस्तीफा जल्द से जल्द स्वीकार किया जाये. सरकार ने इसे स्वीकार किया, इस पर मुझे कुछ नहीं कहना. लेकिन, जिस तरह से कुछ घंटों में इस्तीफा मंजूर कर लिया गया, इससे पता चलता है कि हादसे की जिम्मेवारी सरकार किसी पर डालने की कितनी जल्दी में थी. जल्दी थी, क्योंकि उन्हें ऐसा लगा कि मैं अपने फैसले से पीछे हट सकता हूं.

मैं साफ बता दूं कि संचालन पूरी तरह से निष्क्रिय था. मुझे लगता है कि प्रमुख होने के नाते मेरा काम सिर्फ टीवी पर अच्छा दिखना या गणतंत्र दिवस पर सलामी लेना भर नहीं है. सच्चाई यह है कि पनडुब्बियों के लिए बैटरियां समय पर नहीं मिलतीं. और ऐसी स्थिति में किसी भी अधिकारी के लिए काम करना मुश्किल है. मेरे लिए भी था.
* जहां सत्ता है, जवाबदेही नहीं
जोशी ने कहा, जहां सत्ता है, वहां जवाबदेही नहीं और जहां जिम्मेदारी है, उसके हाथ में कुछ नहीं है. जोशी ने कहा कि पेशेवर प्रतिस्पर्धा, जिम्मेदारी, जवाबदेही और शक्ति ये सभी अलग-अलग जगह हैं. पेशेवर प्रतिस्पर्धा, जिम्मेदारी, जवाबदेही सेवा में मौजूद है, लेकिन सत्ता के साथ ऐसा नहीं है.
सत्ता से मेरा मतलब किसी चीज को मंजूरी देने की शक्ति है. उन्होंने उदाहरण दिया कि पनडुब्बियों की बैटरियां बदलने का काम देश में किया जा सकता है, लेकिन सेना को इसका अधिकार नहीं है. उन्होंने कहा कि इस मसले को सरकार के सामने कई बार उठाया गया. लेकिन, क्या हुआ? कुछ नहीं.

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