हेलसिंकी : भारतीय राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने अपने विदेश दौरे के दौरान भारत में एफडीआई के नारे बुलंद किये हैं. उन्होंने कहा कि नयी सरकार द्वारा उठाए जा रहे कदमों के मद्देनजर भारत 2014-16 के लिए दौरान प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की दृष्टि से चौथा सबसे आकर्षक बाजार है. उन्होंने इस संदर्भ में सरकार द्वारा निवेशकों के लिए अनुकूल माहौल तैयार करने, कारोबार के नियम प्रक्रियाओं को आसान बनाने तथा वृद्धि को बल देने वाले कदमों का उल्लेख किया.
राष्ट्रपति फिनप्रो में कारोबारी बैठक को संबोधित कर रहे थे. उन्होंने कहा, भारत दुनिया की सबसे बडी वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं में से एक के रुप में उभरी है और हमारी अर्थव्यवस्था के लचीलेपन का सबूत यह है कि वैश्विक वित्तीय संकट का असर अन्य देशों की तुलना में भारत में बहुत-बहुत कम रहा. उन्होंने कहा कि 2014-15 की पहली तिमाही में भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 5.7 प्रतिशत रही.
राष्ट्रपति ने कहा, पिछले दशक में हमारी अर्थव्यवस्था में जो मजबूत वृद्धि (औसतन 7.6 प्रतिशत) दर्ज की गई उससे निवेशकों की भारत में रुचि बढी है. हालांकि बीते दो साल में हमारी वृद्धि दर पांच प्रतिशत से कम रही है पर यह अब भी चीन को छोडकर बाकी अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में ऊंची है. मुखर्जी ने कहा कि अब ऐसे सकारात्मक संकेत सामने आ रहे हैं जिनके अनुसार वृद्धि में सुधार होने वाला है.
उन्होंने कहा, निवेशकों की रुचि बढाने, व्यापक आर्थिक नींव को मजबूत करने वाले तथा ढांचागत क्षेत्र को बल देने को लक्षित कदमों के साथ भारतीय अर्थव्यवस्था एक बार फिर सात प्रतिशत वृद्धि दर हासिल करने को तैयार है. उन्होंने कहा कि स्थिर विनिमय दर के साथ अर्थव्यवस्था का वाह्य क्षेत्र मजबूत हुआ है, एकीकृत कदमों से राजकोषीय स्थिति में सुधरी है, कीमत स्तर नीचे आया है तथा विनिर्माण क्षेत्र पटरी पर लौटने के ‘शुरुआती’ संकेत दे रहा है.
खाद्यान्न उत्पादन पिछले साल रिकार्ड स्तर पर पहुंच गया जबकि कृषि क्षेत्र की वृद्धि दर 2013-14 में 4.7 प्रतिशत रही. राष्ट्रपति ने कहा, इस समय हमारी प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) नीति उदीयमान अर्थव्यवस्थाओं में सबसे उदार मानी जाती है जिसमें अनेक क्षेत्रों व गतिविधियों में स्वत: स्वीकृत मार्ग से शत प्रतिशत तक की एफडीआई की अनुमति है. यह भारत को आकर्षक निवेश गंतव्य बनाता है.
उन्होंने कहा कि वृद्धि कर रहे भारत के विभिन्न क्षेत्रों में फिनलैंड की कंपनियों के लिए निवेश के अच्छे अवसर हैं. भारत नयी सरकार के अगुवाई में हमारे द्विपक्षीय संबंधों को और प्रगाढ बनाने का इच्छुक है. नई सरकार ने बुनियादी ढांचे तथा विनिर्माण को उन दो प्रमुख क्षेत्रों के रुप में चुना है जिन पर वह ध्यान केंद्रित करेगी. प्रणब ने कहा, पर्यटन हमारे द्विपक्षीय संबधों में असीमित संभावनाओं वाला दूसरा क्षेत्र है.
आपको यह जानकार खुशी होगी कि फिनलैंड के पर्यटक अब भारतीय हवाई अड्डों पर पहुंच कर वीजा हासिल कर सकते हैं. मुखर्जी ने कहा कि बुनियादी ढांचा क्षेत्र हमारी अर्थव्यवस्था का केंद्र बिंदु है और आने वाले सालों में इसमें 1000 अरब डालर से अधिक के निवेश की उम्मीद की जा रही है. उन्होंने कहा कि भारत ने बुनियादी ढांचे में निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए कई योजनाएं व कार्यक्रम तैयार किए हैं जिनमें औद्योगिक गलियारे, औद्योगिक ढांचा उन्नयन योजना, राष्ट्रीय निवेश व विनिर्माण क्षेत्रों की स्थापना, औद्योगिक संकुल तथा स्मार्ट शहर की योजनाएं शामिल हैं.
राष्ट्रपति प्रणब ने कहा, बुनियादी ढांचे के विकास से न केवल हमारे देश में आर्थिक वृद्धि को बल मिलेगा बल्कि भारत में निवेश करने वाली विदेशी कंपनियों के लिए हमारी वृद्धि के लाभ में भागीदारी का अवसर भी होगा. उन्होंने कहा कि वैश्विक आर्थिक मंदी के बावजूद द्विपक्षीय व्यापार में अच्छी खासी वृद्धि दर्ज की गयी है और यह 2013 में बढकर 1.5 अरब डालर हो गया. यह उत्साजनक है.
उन्होंने कहा, हालांकि मेरी यही राय है कि व्यापार का यह स्तर दोनों देशों के बीच आर्थिक व व्यापारिक सहयोग की मौजूदा संभावनाओं से न्याय नहीं करता है. मुखर्जी ने कहा कि भारत सरकार ऐसा कारोबार अनुकूल माहौल उपलब्ध कराने को प्रतिबद्ध है जो कि बाधा रहित, सुगम व पारदर्शी हो. उन्होंने केंद्र सरकार के महत्वाकांक्षी ‘मेक इन इंडिया’ कार्यक्रम को भी रेखांकित किया.
इससे पहले फिनलैंड की संसद ‘एदुसकुंता’ को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के विस्तार में स्थायी सदस्यता की भारत की दावेदारी में फिनलैंड के सहयोग की सराहना की. उन्होंने कहा, हम साझा हितों वाले क्षेत्रीय व वैश्विक मुद्दों के समाधान के लिए शांतिप्रिय देशों के साथ मिलकर काम करने को प्रतिबद्ध हैं. इन मुद्दों में आतंकवाद से मुकाबला, जलवायु परिवर्तन के असर को कम से कम करने तथा सतत विकास के लक्ष्यों को हासिल करना शामिल है. भारत बहुपक्षीय परिदृश्य में फिनलैंड के समर्थन पर भरोसा कर सकता है.