भारत में जल्द ही खुलेंगे 157 सरकारी नर्सिंग कॉलेज, चिकित्सा उपकरण नीति होगी लागू
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक के बाद स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री मनसुख मांडविया ने मीडिया को बताया कि आर्थिक मामलों पर मंत्रिमंडल समिति (सीसीईए) की बैठक में भारत में 157 नर्सिंग कॉलेज खोले के प्रस्ताव पर अपनी मुहर लगा दी है.
नई दिल्ली: भारत में नर्सिंग कोर्स करने के लिए अपार सुविधाएं मिलने की संभावनाएं हैं. इसका कारण यह है कि केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को देश में करीब 157 नर्सिंग कॉलेज खोलने का फैसला किया है. मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, केंद्रीय मंत्रिमंडल ने भारत में 157 सरकारी नर्सिंग कॉलेज खोलने के प्रस्ताव को बुधवार को मंजूरी दे दी है. इनके निर्माण पर करीब 1570 करोड़ रुपये की लागत आएगी.
2 साल में राष्ट्र को समर्पित
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक के बाद स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री मनसुख मांडविया ने मीडिया को बताया कि आर्थिक मामलों पर मंत्रिमंडल समिति (सीसीईए) की बैठक में भारत में 157 नर्सिंग कॉलेज खोले के प्रस्ताव पर अपनी मुहर लगा दी है. उन्होंने कहा कि इन 157 नर्सिंग कॉलेजों के निर्माण कार्य तेजी से पूरे होंगे और अगले दो साल में ये राष्ट्र को समर्पित कर दिए जाएंगे. उन्होंने कहा कि इसके लिए 1570 करोड़ रुपये की लागत आएगी.
राष्ट्रीय चिकित्सा उपकरण नीति को मंजूरी दी
इसके साथ ही, केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को राष्ट्रीय चिकित्सा उपकरण नीति को मंजूरी दे दी है. इसका मकसद देश में चिकित्सा उपकरण क्षेत्र को प्रोत्साहित करना एवं आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देना है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने कहा कि इस नीति में चिकित्सा उपकरण क्षेत्र को लेकर छह सूत्री रणनीति तैयार की गई है तथा इसे लागू करने के लिए कार्य योजना भी तैयार की गई है.
5 साल में 50 अरब डॉलर का हो जाएगा चिकित्सा उपकरण क्षेत्र
स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि चिकित्सा उपकरण क्षेत्र के अगले पांच वर्षों में वर्तमान 11 अरब डॉलर (करीब 90 हजार करोड़ रुपये) से बढ़कर 50 अरब डॉलर होने की उम्मीद है. ऐसे में यह उम्मीद की जाती है कि यह नीति पहुंच, वहनीयता, गुणवत्ता एवं नवोन्मेष के लोक स्वास्थ्य उद्देश्यों को पूरा करेगा. उन्होंने कहा कि देश में 75 फीसदी चिकित्सा उपकरणों का आयात किया जाता है. इस स्थिति में देश में ही चिकित्सा उपकरण बनाएं जाएं, घरेलू जरूरत को पूरा किया जा सके और निर्यात भी हो, इसके लिए समग्र प्रयास किये जाने की जरूरत महसूस की गई.