हरियाणा : कौन होगा सीएम फैसला आज,खट्टर मिलेंगे शाह से
नयी दिल्ली : हरियाणा में भाजपा को स्पष्ट बहुमत मिलने के बाद मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार की चर्चा ने जोर पकड़ लिया है हालांकि पार्टी की ओर से अभी इसका खुलासा नहीं किया गया है लेकिन इस पद के लिए मनोहर लाल खट्टर और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष राम बिलास शर्मा सहित अन्य कई लोग दौड […]
नयी दिल्ली : हरियाणा में भाजपा को स्पष्ट बहुमत मिलने के बाद मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार की चर्चा ने जोर पकड़ लिया है हालांकि पार्टी की ओर से अभी इसका खुलासा नहीं किया गया है लेकिन इस पद के लिए मनोहर लाल खट्टर और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष राम बिलास शर्मा सहित अन्य कई लोग दौड में हैं.भाजपा नेता कैप्टन अभिमन्यु भी इस रेस में शामिल हैं. आज खट्टर भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह से मिलेंगे.
हरियाणा में पार्टी की टिकट पर चुनाव जीतने वाले विधायकों की बैठक आज प्रदेश की राजधानी चंडीगढ में होगी और वहीं नेता का चुनाव होगा. प्रदेश में नई सरकार तीन दिन के भीतर बन सकती है.
करीब तीन दशकों में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हुए भाजपा ने 90 सदस्यीय हरियाणा विधानसभा चुनाव में 47 सीटें हासिल करके अपने बल पर बहुमत हासिल कर लिया. इससे पहले भाजपा का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन 1987 में था जब उसने 20 सीटों पर चुनाव लडते हुए 16 सीटों पर जीत दर्ज की थी.
मोदी लहर के सामने हुड्डा फेल
इस बार मोदी लहर पर सवार भाजपा ने भूपेंद्र सिंह हुड्डा नीत कांग्रेस के लगातार तीसरी बार सत्ता हासिल करने के प्रयासों को विफल कर दिया. भाजपा ने इससे पहले 2009 विधानसभा चुनाव में मात्र चार सीटें हासिल की थी. यद्यपि हुड्डा को तीसरी बार सत्ता हासिल करने का विश्वास था लेकिन 2005 विधानसभा चुनाव के मुकाबले कांग्रेस के प्रदर्शन में 2009 के विधानसभा चुनाव में गिरावट आयी थी. 2009 में कांग्रेस ने 90 सीटों पर चुनाव लडा था जिसमें से उसने 40 पर जीत दर्ज की थी. उससे पहले हुए विधानसभा चुनाव में पार्टी ने 90 सीटों पर चुनाव लडा था जिसमें से उसने 67 सीटों पर जीत दर्ज की थी. पिछले विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस 90 सदस्यीय विधानसभा में बहुमत प्राप्त नहीं कर पायी थी. ओम प्रकाश चौटाला नीत इनेलो 31 सीटें हासिल करके दूसरे नम्बर पर रही.
बाकी 29 सीटें हरियाणा जनहित कांग्रेस (बीएल), भाजपा चार, शिरोमणि अकाली दल और बसपा एक-एक और सात निर्दलीयों ने साझा की. यद्यपि हुड्डा तब सरकार बनाने में सफल रहे जब हरियाणा जनहित कांग्रेस (बीएल) विधायकों ने अपनी पार्टी छोडकर कांग्रेस में विलय कर लिया था. इसके साथ ही कांग्रेस को सात निर्दलीय और एकमात्र बसपा विधायक से भी समर्थन मिल गया.
हर बार राज्य में चुनाव कांग्रेस और इनेलो के बीच लडे जाते थे. इस बार लोकसभा चुनाव में सफलता से उत्साहित भाजपा कांग्रेस के लिए मुख्य चुनौती के तौर पर उभरी.
पहली बार 13 महिला हरियाणा विधानसभा पहुंचीं
हरियाणा में पहली बार 13 महिलाएं विधानसभा पहुंचीं हैं. इस विधानसभा चुनाव में कुल 116 महिला उम्मीदवार चुनाव मैदान में उतरी थीं. सबसे अधिक भाजपा की महिला उम्मीदवारों ने अपनी जीत दर्ज की। 90 सदस्यीय विधानसभा में भाजपा की आठ उम्मीदवारों ने जीत दर्ज की है. कांग्रेस की तीन महिला उम्मीदवार चुनाव जीती हैं जबकि इनेलो और एचजेसी की एक एक महिला उम्मीदवारों ने जीत दर्ज की है.
अपनी सीटें बरकरार रखने वाली उम्मीदवारों में कांग्रेस की मंत्री गीता भुक्कल और किरण चौधरी, रेणुका विश्नोई (एचजेसी.बीएल), शकुंतला खटक (कांग्रेस) और कविता जैन (भाजपा) शामिल हैं. इसके अलावा चुनाव जीतने वाली अन्य महिला उम्मीदवारों में संतोष यादव, सीमा तिरखा, लतिका शर्मा, रोहिता रेवरी, विमला चौधरी, प्रेम लता और संतोष चौहान सरवान :सभी भाजपा: और नैना सिंह चौटाला :इनेलो: शामिल हैं.
हरियाणा में मात्र 20 विधायक बरकरार रख पाये अपनी सीटें
90 सदस्यीय हरियाणा विधानसभा में मात्र 20 विधायक अपनी सीटें बरकरार रख पाये. इनमें से 12 कांग्रेस से, तीन भाजपा से, चार इनेलो से और एक अन्य विधायक शामिल है जो पहले इनेलो में थे लेकिन इस बार का चुनाव भाजपा के टिकट पर लडे. अपनी सीटें बरकरार रखने वाले कांग्रेस उम्मीदवारों में मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा (गढी सांपला-किलोई), विधानसभाध्यक्ष कुलदीप शर्मा (गनौर), श्री कृष्ण (बरोदा), जगबीर सिंह मलिक (गोहना), गीता भुक्कल (झज्जर), रणदीप सिंह सुरजेवाला (कैथल), शकुंतला (कलनौर), जयवीर (खरखौदा), आनंद सिंह डांगी (महम), जयतीरथ (राय), किरण चौधरी (तोशम) और रघुबीर सिंह कादियां (बेरी) शामिल हैं.
कृष्ण लाल पंवार ने भाजपा उम्मीदवार के तौर पर इसराना से अपनी सीट बरकरार रखी. इससे पहले वह इनेलो से भाजपा में शामिल हुए थे. सीटें बरकरार रखने वाले इनेलो विधायकों में नसीम अहमद (फिरोजपुर ङिारका), हरि चंद मिड्ढा (जींद) पी एस धुल (झुलना) और प्रीति सिंह (नरवाना) शामिल हैं. सीटें बरकरार रखने वाले भाजपा उम्मीदवारों में अनिल विज (अंबाला कैंट), घनश्याम सराफ (भिवानी) और कविता जैन (सोनीपत) शामिल हैं.
हरियाणा में नौ मंत्री चुनाव हारे
हरियाणा में भूपेंद्र सिंह हुड्डा सरकार के नौ मंत्रियों को चुनाव में हार का सामना करना पडा है. ‘‘मोदी लहर’’ के सहारे भाजपा पहली बार अपने दम पर हरियाणा में सत्ता में पहुंची है. साल 2009 के विधानसभा चुनाव में 40 सीटें जीतने वाली कांग्रेस महज 15 सीटों पर सिमट गई है. पार्टी के ज्यादातर उम्मीदवार तीसरे और चौथे स्थानों पर रहे हैं. हरियाणा के मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा गढी सांपला किलोई से चुनाव जीत गए हैं. वह अपने इनेलो के निकटतम प्रतिद्वंद्वी से 47000 से अधिक मतों के अंतर से चुनाव जीते हैं. हालांकि, मुख्यमंत्री की जीत का अंतर साल 2009 के चुनाव की तुलना में 25000 मतों से घट गया है.
चुनाव हारने वालों में सिंचाई मंत्री और रेवाडी से छह बार के विधायक अजय सिंह यादव हैं जो अपने गढ में तीसरे स्थान पर रहे. शहरी विकास मंत्री सावित्री जिंदल को भी अपने पारंपरिक गढ हिसार में भाजपा के डॉ. कमल गुप्ता से हार का सामना करना पडा. खाद्य एवं आपूर्ति मंत्री महेंद्र प्रताप सिंह बढकल विधानसभा क्षेत्र से भाजपा की सीमा त्रिखा से चुनाव हार गए. कृषि मंत्री परमवीर सिंह टोहाना में चौथे स्थान पर रहे जबकि परिवहन मंत्री आफताब अहमद नूह विधानसभा क्षेत्र में इनेलो उम्मीदवार से चुनाव हार गए. सहकारिता मंत्री सतपाल सांगवान दादरी विधानसभा क्षेत्र में चौथे स्थान पर रहे.
श्रम मंत्री शिवचरण लाल शर्मा फरीदाबाद एनआईटी सीट से इनेलो उम्मीदवार से चुनाव हार गए. शर्मा ने निर्दलीय के तौर पर चुनाव लडा था. खेल मंत्री सुखबीर कटारिया जिन्होंने निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लडा था वह गुडगांव से चौथे स्थान पर रहे. हरियाणा के जिन मंत्रियों ने जीत का स्वाद चखा उनमें उद्योग मंत्री रणदीप सिंह सुरजेवाला (कैथल), उत्पाद शुल्क एवं कराधान मंत्री किरण चौधरी (तोशाम) और शिक्षा मंत्री गीता भुक्कल :झज्जर-एससी: सीट शामिल हैं. उधर, हरियाणा के वित्त मंत्री एच एस चट्ठा ने इस बार चुनाव नहीं लडा. हालांकि, उनके पुत्र मनदीप सिंह चट्ठा जिन्होंने पिहोवा विधानसभा सीट से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लडा, वह तीसरे स्थान पर रहे.