अमित शाह ने मंगवाया राज्यों का नक्शा, शुरू करेंगे ऑपरेशन इस्ट इंडिया

नयी दिल्ली : हरियाणा व महाराष्ट्र में भाजपा के पक्ष में आये चुनाव परिणाम से उत्साहित भाजपा के नक्शा पॉलिटिशियन अमित शाह ने झारखंड, जम्मू कश्मीर, बिहार, उत्तर प्रदेश व पश्चिम बंगाल का नक्शा मंगवाया है. सूत्रों के अनुसार, शाह अब इन नक्शों का बारीक अध्ययन कर इन राज्यों को फतह करने की योजना बनायेंगे.अमित […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 20, 2014 1:53 PM
नयी दिल्ली : हरियाणा व महाराष्ट्र में भाजपा के पक्ष में आये चुनाव परिणाम से उत्साहित भाजपा के नक्शा पॉलिटिशियन अमित शाह ने झारखंड, जम्मू कश्मीर, बिहार, उत्तर प्रदेश व पश्चिम बंगाल का नक्शा मंगवाया है. सूत्रों के अनुसार, शाह अब इन नक्शों का बारीक अध्ययन कर इन राज्यों को फतह करने की योजना बनायेंगे.अमित शाह पूर्वी भारत के चार राज्यों में भाजपा का वर्चस्व बढ़ाने के लिए ऑपरेशन इस्ट इंडिया शुरू करेंगे.
मालूम हो कि झारखंड व जम्मू कश्मीर में अगले दो महीने में विधानसभा चुनाव होने हैं; जबकि बिहार, उत्तरप्रदेश, पश्चिम बंगाल में अगले कुछ सालों में चुनाव होंगे. सेना के कमांडर या जनरल जिस तरह नक्शे के आधार पर अपने सहयोगियों के साथ युद्ध व जीत की रणनीति तय करते हैं, उसी तरह भाजपा अध्यक्ष अमित शाह नक्शे के आधार पर अपने बेहद करीबी सहयोगियों के साथ चुनाव की रणनीति तय करते हैं.
राष्ट्रीय मीडिया में यह बात तब सामने आयी, जब लोकसभा चुनाव के पहले उन्हें उत्तरप्रदेश के प्रभारी महासचिव की कमान सौंपी गयी. शाह ने उत्तरप्रदेश की जिम्मेवारी मिलने के साथ ही राज्य के नक्शे के आधार पर उसके चप्पे का बारीक अध्ययन शुरू कर दिया था और उसी अनुसार चुनाव की रणनीति तय की. चुनाव में इसका भाजपा को शानदार लाभ हुआ.
अब इसीफरमूलेको शाह बिहार, झारखंड व पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में दोहराना चाहते हैं. शाह इन राज्यों के नक्शे की आबादी, विधानसभा सीटों, वहां की जातीय, वर्गीय व धार्मिक समुदायों के प्रतिशत, वोटिंग ट्रेंड का गंभीर अध्ययन करेंगे और उसके आधार पर भी अपने सहयोगी केंद्रीय नेताओं व प्रदेश स्तरीय नेताओं को चुनावी तैयारी कर निर्देश देंगे.
दरअसल, भाजपा 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले होने वाले ज्यादातर विधानसभा चुनावों को जितना चाहती है. शाह का लक्ष्य है कि 2019 से पहले देश के कम से कम 19 राज्यों में भाजपा का शासन हो और उनमें 15 राज्यों में उसका मुख्यमंत्री हो. राज्य विधानसभाओं में पार्टी को मजबूत बनाने का एक दूसरा पक्ष यह है कि इससे बाद में राज्यसभा में भाजपा की स्थिति सुधरेगी और राज्यसभा में भाजपा के पास मजबूत नंबर होगा, तब प्रधानमंत्री मोदी को अपने मनोनुकूल कानून बनाने व उसे पास करवाने में कोई दिक्कत नहीं होगी. फिलहाल भाजपा के पास राज्यसभा में बहुमत नहीं है और उसे ज्यादातर विधेयकों को पास करवाने के लिए दूसरे दलों व कई मौकों पर विपक्ष के सहयोग की भी जरूरत पड़ती है.
उल्लेखनीय है कि इस साल झारखंड व जम्मू कश्मीर में, अगले साल यानी 2015 में बिहार में, 2016 में पश्चिम बंगाल में व 2017 में उत्तरप्रदेश में विधानसभा चुनाव होने हैं. भले ही झारखंड व जम्मू कश्मीर राज्यसभा के गणित को बहुत अधिक प्रभावित नहीं करें; लेकिन, उत्तरप्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल जैसे राज्य राज्यसभा के गणित को बहुत अधिक प्रभावित करते हैं. उत्तरप्रदेश में राज्यसभा की 31 सीटें हैं, बिहार व पश्चिम बंगाल में 16-16 सीटें हैं. इन सीटों को जितने के लिए जरूरी है कि भाजपा राज्य विधानसभा में अधिक से अधिक विधायक जिताये.
मोदी-शाह की जोड़ी ने खत्म किया गंठबंधन युग
देश की राजनीति 1984 के चुनाव के बाद से गंठबंधन युग में प्रवेश कर गया था. लेकिन नरेंद्र मोदी-अमित शाह की जोड़ी ने इस युग पर एक तरह प्रश्नचिह्न् लगा दिया है. मोदी ने अपने राजनीतिक बुजुर्ग लालकृष्ण आडवाणी के गंठबंधन की जरूरत के सिद्धांत से किनारा करते हुए अपनी शर्तो पर लोकसभा चुनाव व उसके बाद विधानसभा चुनाव लड़ा. इसका उन्हें लाभ हुआ. भाजपा केंद्र में आज अपने दम पर सरकार चलाने की स्थिति में है. अपने लिए बिल्कुल नये राज्य हरियाणा में भी भाजपा अपने दम पर सरकार बनाने जा रही है, महाराष्ट्र में वह इससे मात्र दो कदम पीछे हैं. अब ऐसी ही स्थिति में वह झारखंड, जम्मू कश्मीर, पश्चिम बंगाल, उत्तरप्रदेश में चाहती है.

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