छोटे दलों व निर्दलीयों से भाजपा की नजदीकी से घबराई शिवसेना को भाजपा के प्रस्ताव का इंतजार

नयी दिल्ली : भाजपा के रणनीतिक दबाव से शिवसेना की बेचैनी बढ़ गयी है. भाजपा सूत्रों का कहना है कि पार्टी नेतृत्व ने अबतक शिवसेना का समर्थन लेने का अंतिम निर्णय नहीं किया है. बहुमत से 22 विधायक दूर भाजपा ने निर्दलीय व छोटे राजनीतिक धड़ों की मदद से अकेले सरकार बनाने की कवायद शुरू […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 20, 2014 3:46 PM
नयी दिल्ली : भाजपा के रणनीतिक दबाव से शिवसेना की बेचैनी बढ़ गयी है. भाजपा सूत्रों का कहना है कि पार्टी नेतृत्व ने अबतक शिवसेना का समर्थन लेने का अंतिम निर्णय नहीं किया है. बहुमत से 22 विधायक दूर भाजपा ने निर्दलीय व छोटे राजनीतिक धड़ों की मदद से अकेले सरकार बनाने की कवायद शुरू की है. भाजपा की इस रणनीति के दोहरे नीहितार्थ हैं. एक तो वह शिवसेना की अकड़ को ढीला करना चाहती है और उसे यह अच्छे से अहसास कराना चाहती है कि राज्य में अगली सरकार उसके बिना भी बन सकती है. दूसरा इस माध्यम से वह शिवसेना की दबाव की राजनीति की आदत को छोड़ाना चाहती है.
महाराष्ट्र विधानसभा में कई छोटे दल व निर्दलीयों ने इस बार सीटें जीती हैं और उसमें ज्यादातर भाजपा के साथ आ जायें, तो भाजपा बहुमत का जरूरी आंकड़ा पा सकती है. लेकिन भाजपा यह भी चाहती है कि एक बड़ा राजनीतिक दल उसके समर्थन में हो, ताकि सरकार स्थायी, टिकाऊ व मजबूत हो. लेकिन वह यह कतई नहीं चाहती कि वह राजनीतिक धड़ा उसे कभी यह अहसास कराये कि सरकार उसकी बदौलत व मर्जी से ही चल रही है. इसलिए भाजपा शिवसेना के साथ फिलहाल- लुकाछिपी का खेल खेल रही है. इसलिए शिवसेना की बेचैनी बढ़ गयी है. यही कारण है कि शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे पार्टी नेताओं की बैठक में भी आज कोई अंतिम फैसला नहीं ले सके.
रविवार को जब चुनाव नतीजे आये थे, तो उसके बाद भी मीडिया में पहले फोन करने के मुद्दे पर राजनीति हुई. शिवसेना की ओर से यह खबर आयी कि भाजपा के बड़े नेताओं ने उद्धव ठाकरे को फोन किया है, जबकि भाजपा की ओर से इस दावे को खारिज करते हुए यह खबर फैलायी गयी कि शिवसेना प्रमुख ने ही पीएम नरेंद्र मोदी व अध्यक्ष अमित शाह को फोन कर जीत के लिए बधाई दी. बहरहाल, उद्धव ठाकरे ने थोड़ी देर पहले यह साफ कर दिया है कि उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी को फोन कर बधाई दी थी. उन्होंने यह भी कहा है कि उनकी ओर से कोई शर्त नहीं है और अगर भाजपा प्रस्ताव लाये तो वे उस पर विचार करने को तैयार हूं. ठाकरे ने यह भी कहा है कि अगर भाजपा प्रस्ताव नहीं लाती है, तो उनकी पार्टी विपक्ष में बैठेगी.
उधर, मंगलवार को भाजपा के वरिष्ठ नेता राजनाथ सिंह व जेपी नड्डा मुंबई के दौरे पर पर्यवेक्षक के रूप में जायेंगे और राज्य के नेताओं व विधायक दल के साथ बैठक कर मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार, सरकार के स्वरूप व सहयोगी जुटाने जैसे मुद्दे पर चर्चा करेंगे. इस बीच राज्य स्तरीय नेता आज मुंबई भाजपा मुख्यालय में बैठक कर भी आगे की रणनीति तय करने वाले हैं. इससे साफ है कि शिवसेना के साथ गंठबंधन के सवाल पर मंगलवार को ही कोई फैसला नहीं हो सकेगा.
शिवसेना के साथ आने पर भाजपा उसे उपमुख्यमंत्री का पद दे सकती है. इसके साथ ही उसे कुछ अहम मंत्रलय भी सौंपा जा सकता है. शिवसेना को उपमुख्यमंत्री पद देने के पीछे भाजपा की एक रणनीति यह भी होगी कि सरकार के फैसलों के लिए उसे भी जिम्मेवार बनाया जा सके और आदतन वह भाजपा पर गलतियों के लिए भविष्य में आरोप नहीं लगा सके. संघ के वरिष्ठ नेता भैयाजी जोशी ने भी आज मीडिया से बात करते हुए इशारों में कहा कि भाजपा को शिवसेना को अपने साथ लाने के लिए बातचीत को आगे बढ़ाना चाहिए.

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