डीएलएफ जमीन सौदा : वाड्रा की बढ़ सकती है मुश्‍किलें

नयी दिल्ली : हरियाणा के जमीन सौदे मामले में यूपीए प्रमुख सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा की मुश्‍किलें बढ़ सकतीं हैं. केंद्र और राज्य में भाजपा की सरकार आ जाने के बाद पर अब वाड्रा पर जांच की तलवार लटक सकती है. वाड्रा जमीन सौदे की जल्द जांच शुरू हो सकती है ऐसा संकेत […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 23, 2014 11:21 AM

नयी दिल्ली : हरियाणा के जमीन सौदे मामले में यूपीए प्रमुख सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा की मुश्‍किलें बढ़ सकतीं हैं. केंद्र और राज्य में भाजपा की सरकार आ जाने के बाद पर अब वाड्रा पर जांच की तलवार लटक सकती है. वाड्रा जमीन सौदे की जल्द जांच शुरू हो सकती है ऐसा संकेत खुद वित्त मंत्री अरूण जेटली ने दिया. टाइम्स नाउ को दिए एक इंटरव्यू में वित्त मंत्री अरूण जेटली ने कहा कि वाड्रा जमीन मामले में अब कार्रवाई करना नई सरकार का काम है.

डीएलएफ-सेबी मामला : 30 अक्तूबर तक सुनवाई की स्थगित

पूंजी बाजार विनियामक सेबी के पाबंदी लगाने से बुरी तरह प्रभावित रीयल्टी क्षेत्र की कंपनी डीएलएफ ने बुधवार को प्रतिभूति अपीलीय पंचाट (सैट) अंतरिम राहत की अपील की ताकि वह म्यूचुअल फंड कंपनियों और अन्य प्रतिभूतियों में लगे अपने हजारों करोड़ रुपये के धन को निकाल सके. देश की इस सबसे बड़ी रीयल एस्टेट कंपनी द्वारा पिछले सप्ताह दायर याचिका पर सुनवाई के बाद सैट ने इस मामले की सुनवाई 30 अक्तूबर तक के लिए स्थगित कर दी. सैट ने अंतरिम राहत के लिए डीएलएफ की ओर से सेबी से जवाब मांगा है. सेबी ने 2007 के डीएलएफ के आइपीओ के समय महत्वपूर्ण सूचनाओं को छुपाने के आरोप में सेबी ने इस कंपनी और इसके प्रमुख अधिकारियों के खिलाफ बाजर में प्रतिभूतियों की खरीद बिक्री करने की रोक लगा दी है.

डीएलएफ की अर्जी

डीएलएफ ने अपनी अर्जी में कहा है कि उसे विभिन्न प्रतिभूतियों और म्यूचुअल फंड कंपनियों से धन निकालने की आवश्यकता है. इसमें म्यूचुअल फंडों में लगाये गये 2,000 करोड़ रुपये और कुछ बांड में लगे हजारों करोड़ रुपये की राशि शामिल है. डीएलएफ ने पिछले महीने ही शेयरधारकों से गैर-परिवर्तनीय डिबेंचर (एनसीडी) जारी कर 5,000 करोड़ रुपये जुटाने के लिए शेयरधारकों की मंजूरी हासिल की थी. किंशुक सिन्हा नाम के उस व्यक्ति ने भी सैट के समक्ष एक हस्तक्षेप याचिका पेश की जिसकी शिकायत पर दिल्ली उच्च न्यायालय ने सेबी को डीएलएफ के खिलाफ जांच का निर्देश दिया था. सिन्हा की याचिका का डीएलफ के वकील ने कड़ा विरोध किया और याचिका दाखिल नहीं की गयी.

बाजार में प्रतिबंधित

सेबी ने इस मामले में इसी माह डीएलएफ और उसके छह प्रमुख अधिकारियों को तीन साल के लिए पूंजी बाजार से प्रतिबंधित करने का निर्णय सुनाया. डीएलएफ ने 2007 में अपने आइपीओ में 9,187 करोड़ रुपये जुटाये थे. उस वक्त यह देश का सबसे बड़ा आइपीओ था. सेबी ने कंपनी या उसके अधिकारों पर कोई अर्थ-दंड नहीं लगाया. यह सेबी के ऐसे बिरले आदेशों में से एक है जिसमें उसने किसी बड़ी कंपनी और इसके शीर्ष प्रवर्तकों-कार्यकारियों को बाजार में प्रतिबंधित किया है. सेबी के पूर्णकालिक सदस्य राजीव अग्रवाल ने अपने 43 पन्नों के आदेश में कहा था कि नियमों का गंभीर उल्लंघन हुआ है और प्रतिभूति बाजार की सुरक्षा और विश्वसनीयता पर इसका असर हुआ है.

जिन पर है प्रतिबंध

डीएलएफ पर 30 जून 2014 को 19,000 करोड़ रुपये का ऋण था. उसने पिछले मंहगे कर्जो को उतारने के लिए के बांड जारी कर 4,500 करोड़ रुपये जुटाने की योजना बना रखी थी. कंपनी का सालाना कारोबार करीब 10,000 करोड़ रुपये है. सेबी ने डीएलफए और इसके चेयरमैन केपी सिंह के अलावा जिन पर प्रतिबंध लगाया है उनमें सिंह के पुत्र राजीव सिंह (उपाध्यक्ष), पुत्री प्रिया सिंह (पूर्णकालिक निदेशक), प्रबंध निदेशक टीसी गोयल, पूर्व मुख्य वित्त अधिकारी रमेश संका और कामेश्वर स्वरूप शामिल हैं. स्वरुप 2007 में कंपनी की सार्वजनिक पेशकश के समय कार्यकारी निदेशक (विधि) थे.

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