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हरियाणा सरकार के सामने क्या है चुनौतियां

चंडीगढः शोध संस्थान सेंटर फोर रिसर्च इन रुरल एंड इंडस्टरीयल डेवलपमेंट (सीआरआरआईडी) का मानना है कि हरियाणा की नई भाजपा नीत सरकार के समक्ष राज्य की वित्तीय स्थिति को पटरी पर लाना सबसे बडी चुनौती होगी. सीआरआरआईडी के वरिष्ठ अर्थशास्त्री एस एस सांगवान ने कहा कि पूर्ववर्ती सरकार के ‘लोकलुभावन’ फैसलों के मद्देनजर भारी राजस्व […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 26, 2014 6:06 PM

चंडीगढः शोध संस्थान सेंटर फोर रिसर्च इन रुरल एंड इंडस्टरीयल डेवलपमेंट (सीआरआरआईडी) का मानना है कि हरियाणा की नई भाजपा नीत सरकार के समक्ष राज्य की वित्तीय स्थिति को पटरी पर लाना सबसे बडी चुनौती होगी.

सीआरआरआईडी के वरिष्ठ अर्थशास्त्री एस एस सांगवान ने कहा कि पूर्ववर्ती सरकार के ‘लोकलुभावन’ फैसलों के मद्देनजर भारी राजस्व घाटे तथा बढते ऋण को देखते हुए राज्य की वित्तीय स्थिति पटरी पर लाना नई सरकार के समक्ष सबसे बडी चुनौती होगी.
उल्लेखनीय है कि मनोहर लाल खट्टर ने आज हरियाणा के नये मुख्यमंत्री के रुप में शपथ ली.सांगवान ने कहा कि इसके अलावा राज्य की ‘संकटपूर्ण’ वित्तीय स्थिति को देखते हुए अपने चुनावी वादों को पूरा करना भी हरियाणा की पहली भाजपा सरकार के समक्ष चुनौतीपूर्ण होगा जिनमें वृद्धावस्था पेंशन बढाना, बीपीएल परिवारों के लिए एक रुपये प्रति किलो की दर पर खाद्यान उपलब्ध कराना शामिल है.
उन्होंने कहा,‘हरियाणा की नई सरकार के समक्ष पहली चुनौती तो अतिरिक्त संसाधन जुटाना होगा ताकि गत सरकार द्वारा किए गए वादों के खर्च को पूरा किया जा सके.’ हरियाणा की गत भूपेंद्र सिंह हुड्डा सरकार ने विधानसभा चुनावों से पहले कई ‘खर्चीले’ फैसलों की घोषणा की थी जिनमें वृद्धावस्था पेंशन 1000 रुपये से बढाकर 1500 रुपये प्रति माह करना, हरियाणा पुलिस का वेतन पंजाब पुलिस के समान करना, सरकारी कर्मचारियों के लिए वेतनमान कार्यान्वयन शामिल है. इससे सरकारी खजाने पर 3000 करोड रुपये का अतिरिक्त बोझ पडा.
सांगवान ने कहा,‘निवर्तमान सरकार की घोषणाओं के कारण सरकारी खजाने पर 2000-3000 करोड रुपये का अतिरिक्त बोझ पड सकता है.’भाजपा ने अपने चुनावी घोषणापत्र में वृद्धावस्था पेंशन को बढाकर 2000 रूपये प्रति माह करने, बीपीएल परिवारों को एक रुपये प्रति किलो के हिसाब से खाद्यान्न उपलब्ध कराने सहित अनेक घोषणाएं की थी.

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