नयी दिल्ली : केंद्र सरकार ने काला धन मामले में आज सुप्रीम कोर्ट में नया हलफनामा दायर किया जिसमें तीन लोगों का नाम बताया गया है जिनका धन विदेशी बैंकों में जमा है. टीवी में चल रही खबर के अनुसार इस हलफनामे में किसी राजनीतिक दल से जुड़े व्यक्ति का नाम नहीं है.सरकार ने जिन नामों को उजागर किया है वह क्रमश: राधा टिमलु,प्रदीप बर्मन व पंकज लोढिया हैं.
वहींस्विट्जरलैंड के बैंकों की काले धन की जांच में सहयोग की जिम्मेदारी बढ़ने के बीच इस साल वहां से अब तक 11.4 अरब स्विस फ्रांक (करीब 72,911 करोड़ रुपये) का सोना भारत आ चुका है. स्विस सीमा शुल्क विभाग के ताजा आंकड़े के मुताबिक, सिर्फ सितंबर में ही स्विट्जरलैंड से भारत को 2.2 अरब डॉलर (करीब 15,000 करोड़ रुपये) से अधिक के सोने का निर्यात किया गया. यह इससे पिछले महीने की तुलना में दोगुना है. उद्योग पर नजर रखनेवालों ने सितंबर में स्विस सोने के आयात में तेजी की वजह भारत में दिवाली और अन्य त्योहारों को बताया. साथ ही संदिग्ध काले धन की जांच बढ़ने के बीच स्विस बैंकों से पैसे निकाल इसे छुपाने के लिए सोने का उपयोग करने की भी आशंका जतायी.
भारतीय ग्राहकों से हलफनामा मांग रहे बैंक : स्विट्जरलैंड में जिन बैंकों के मुख्यालय हैं, वैसे देशी-विदेशी बैंक काले धन की बढ़ती जांच के मद्देनजर भारतीय ग्राहकों के साथ व्यवहार में चौकन्नेहो गये हैं. कई बैंक भारतीय ग्राहकों से हलफनामा मांग रहे हैं. इसका उद्देश्य ऐसे संभावित जोखिमों से बचना है, जो विदेशी सरकारों द्वारा ग्राहकों के खिलाफ नियामकीय कार्रवाई से जुड़े हो सकते हैं. कुछ बैंक अपने ग्राहकों से कह रहे हैं कि यदि उनके खाते अपने देश की नियामकीय व्यवस्था के अनुरूप नहीं हैं, तो वे अपने खाते बंद करा लें.
लॉबिंग में जुटे बैंक : बैंक स्विस सरकार के साथ लॉबिंग कर रहे हैं, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि संबद्ध बैंकिंग संस्थान के हितों की सुरक्षा के आवश्यक प्रावधान के बाद ही स्विस बैंकों के खाते के संबंध में भारत सरकार के साथ जानकारी साझा की जाये.
एसोचैम की राय : उजागर न करें काला धन रखनेवालों के नाम
विदेशों में काला धन रखनेवालों के नाम उजागर करने की बढ़ती मांग के बीच उद्योग मंडल एसोचैम ने कहा है कि सरकार को ऐसे लोगों के नाम का खुलासा अपरिपक्व ढंग से नहीं करना चाहिए. एसोचैम ने रविवार को एक बयान में कहा, ‘भारतीय नागरिकों व कंपनियों के लिए दोहरा कराधान बचाव संधियां महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि इससे वे दो बार कर भुगतान से बच सकते हैं.
कथित काला धन रखनेवालों के नामों के खुलासे से भले ही सुर्खियां बन जाएं, लेकिन इससे काले धन के खिलाफ भारत की लड़ाई निश्चित रूप से कमजोर होगी.’ एसोचैम ने कहा, ‘अगर नाम सार्वजनिक किये जाते हैं और वे लोग अंतत: दोषी नहीं पाये जाते, तो उन व्यक्तियों तथा इकाइयों की साख को बहुत नुकसान होगा.’
संगठन ने राजनीतिक दलों से अपील की है कि वे विदेशों में काला धन रखनेवाले लोगों या फर्मो से जुड़ी वर्गीकृत सूचनाओं के खुलासे के लिए सरकार पर दबाव बनाते समय उचित कारण पर ध्यान दें. बेहतर यही होगा कि प्रणालीगत बदलाव लाये जायें, ताकि काले धन पर प्रीमियम कम होता जाए. ज्ञात हो कि वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा था कि अदालत में मामले दर्ज होने के बाद इन नामों का खुलासा कर दिया जायेगा.