दिल्‍ली में सरकार पर फैसला गुरुवार तक के लिए टला

नयी दिल्‍ली :दिल्‍ली में सरकार बनाने के राष्‍ट्रपति की सहमती के बाद भी अभी कोई फैसला नहीं लिया जा सका है. सरकार की ओर से जब सुप्रीम कोर्ट में सरकार बनाने पर राष्‍ट्रपति की स्‍वीकृति की बात बतायी गयी तो कोर्ट ने पूछा कि कैसे बनेगी सरकार. कोर्ट ने सरकार से आंकड़े स्‍पष्‍ट करने की […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 28, 2014 7:46 AM

नयी दिल्‍ली :दिल्‍ली में सरकार बनाने के राष्‍ट्रपति की सहमती के बाद भी अभी कोई फैसला नहीं लिया जा सका है. सरकार की ओर से जब सुप्रीम कोर्ट में सरकार बनाने पर राष्‍ट्रपति की स्‍वीकृति की बात बतायी गयी तो कोर्ट ने पूछा कि कैसे बनेगी सरकार. कोर्ट ने सरकार से आंकड़े स्‍पष्‍ट करने की बात कही. कोर्ट में पहले सरकार ने अपना जवाब दाखिल किया. उसके बाद आम आदमी पार्टी के नेता और अधिवक्‍ता प्रशांत भूषण ने सवाल उइा दिया कि दिल्‍ली में भाजपा कैसे बहुमत साबित करेगी.

दिल्‍ली में सरकार बनाने की कवायद फिर से शुरू होती दिख रही है. राष्‍ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने दिल्‍ली के उप राज्‍यपाल नजीब जंग को दिल्‍ली में सरकार गठन की संभावनाएं तलाशने की स्‍वीकृति दे दी है. सुप्रीम कोर्ट में सरकार ने दिल्‍ली में सरकार गठन के लिए राष्‍ट्रपति की ओर से स्‍वीकृति मिलने की जानकारी दी है. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने पूछा किसरकार कैसे बनेगी. सरकार बनाने का समीकरण क्‍या होगा. शीर्ष अदालत ने यह भी टिप्पणी कि है कि लोकतंत्र में लंबे समय तक राष्ट्रपति शासन नहीं रह सकता है.शीर्ष अदालत ने नाराजगी प्रकट करते हुए सरकार के वकील से कहा कि आपने आठ महीने में क्या किया.

इससे पूर्वखबर के अनुसार दिल्‍ली में भाजपा को सबसे बड़ी पार्टी के रूप में सरकार बनाने का न्‍योता मिल सकता है. इस संबंध में आज केंद्र सरकार सुप्रीम कोर्ट को जानकारी उपलब्‍ध करायेगी.गौरतलब है कि नजीब जंग ने इसी साल 5 सितंबर को राष्‍ट्रपति को पत्र लिखकर दिल्‍ली में सरकार गठन पर उनकी राय जाननी चाही थी. इसी के जवाब में प्रणब ने जंग को सरकार बनाने के लिए भाजपा को न्‍योता देने की स्‍वीकृति प्रदान कर दी है.सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि लोकतंत्र में राष्‍ट्रपति शासन का कोई औचित्‍य नहीं है. जनता को लोकप्रिय सरकार देने का हर संभव प्रयास किया जाना चाहिए.

आज सरकार की ओर से दी गयी दलील के बाद अधिवक्‍ता और आम आदमी पार्टी के नेता प्रशांत भूषण ने अदालत में सरकार बनने के बाद बहुमत के आकड़ों पर सवाल उठाया है. अब देखना यह है कि आज सुप्रीम कोर्ट के सवालों का जवाब भाजपा क्‍या देती है. सुप्रीम कोर्ट के सवाल पर भाजपा जो जवाब देगी, अब उसी से दिल्‍ली में सरकार फिलहाल दिल्‍ली में तीन विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने हैं और आम आदमी पार्टी और भाजपा दोनों ही इन सीटों को जीतने का दावा कर रही है.

भाजपा चुनाव से डर रही है : केजरीवाल

आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने टि्वट कर कहा कि भाजपा चुनाव से डर गयी है. बिना आकड़ों के भाजपा कैसे सरकार बना सकती है. केजरीवाल ने कहा कि अगर उपचुनावों में सभी तीनों सीटों पर उनकी पार्टी जीत जाती है तब सबसे बड़ी पार्टी आम आदमी पार्टी बन जायेगी. लेकिन उनकी पार्टी अब दिल्‍ली में चुनाव चाहती है, ताकि जनता किसी एक पार्टी को बहुमत दे और स्थिर सरकार बन सके. केजरीवाल ने कहा कि भाजपा दिल्‍ली की जनता के साथ बड़ा धोखा कर रही है. भाजपा पिछले चार बार वि धायकों को खरीदने में नाकाम रही है, यह पांचवां मौका है जब फिर से सरकार बनाने की बात की जा रही है.

क्‍या कहते हैं आंकड़े

70 विस सीटों वाले प्रदेश में तीन सीटों के विधायक लोकसभा चुनाव जीत कर संसद चले गये हैं. ऐसे में 67 सीटों के साथ बहुमत के लिए 34 सीटों की आवश्‍यकता होगी. वर्तमान में भाजपा के पास 29, आप के पास 27 और कांग्रेस के पास 8 सीटें हैं. तीन सीटें अन्‍य के खाते में हैं. अगर भाजपा उपचुनाव जीत जाती है तब भी उसके पास 32 सीटें ही होगी. ऐसे में भी सरकार नहीं बन पायेगी. कांग्रेस और आप पार्टी के साथ भाजपा का गंठबंधन नामुमकीन है. उधर आप का कहना है कि अगर उसकी पार्टी उपचुनाव के सभी तीन सीटें जीत लेती है तब वह सबसे बड़ी पार्टी हो जायेगी. लेकन उसके पास भी बहुमत नहीं होगा, इसलिए वह चुनाव की मांग करती है.

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