नयी दिल्ली : फटकार के बाद आज नरेंद्र मोदी सरकार ने काला धन मामले में 627 लोगों के नाम सुप्रीम कोर्ट को सौंप दिये. ये नाम एटर्नी जनरल मुकुल राहतगी ने कोर्ट को सौंपी है जो एक सील बंद लिफाफे में है. सुप्रीम कोर्ट ने इस सील बंद लिफाफे को खोलने से इनकार किया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इसे एसआइटी ही खोलेगी. एटर्नी जनरल ने बताया कि सरकार ने जो लिस्ट कोर्ट को सौंपी है वह एचएसपीसी के द्वारा मिली है.
टीवी में चल रही खबर के अनुसार सील बंद लिफाफे में जांच की स्टेट्स रिपोर्ट भी कोर्ट को सौंपी गई है जिसमें 2006 तक का सारा ब्यौरा है. बताया जा रहा है कि यह भारत को फ्रांस सरकार की ओर से उपलब्ध कराया गया है. फ्रांस सरकार ने 2011 में ही यह रिर्पोट भारत सरकार को दे दी थी.
उच्चतम न्यायालय ने विशेष जांच दल से इस सूची की पडताल करने और कानून के अनुसार उचित कार्रवाई करने को कहा. प्रधान न्यायाधीश एच एल दत्तू की अध्यक्षता वाली पीठ ने केंद्र द्वारा पेश की गयी सूची के सीलबंद लिफाफे को नहीं खोला और कहा कि इसे केवल विशेष जांच दल (एसआईटी) के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष द्वारा ही खोला जाएगा जिसका गठन शीर्ष अदालत द्वारा किया गया है. शीर्ष अदालत ने इसके साथ ही एसआईटी से नवंबर के अंत तक अपनी जांच के संबंध में स्थिति रिपोर्ट सौंपने को भी कहा.
पीठ के समक्ष दस्तावेज पेश करते हुए अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने कहा कि खाताधारकों के बारे में ब्यौरा वर्ष 2006 का है जिसे फ्रांसीसी सरकार ने वर्ष 2011 में केंद्र सरकार को भेजा था. उन्होंने बताया कि जिनीवा में एचएसबीसी बैंक से आंकडें को चुरा लिया गया था जो बाद में फ्रांस पहुंच गए और वहां से सरकार को सूचना मिली. रोहतगी ने बताया कि सीलबंद लिफाफे में तीन दस्तावेज हैं जिसमें सरकार का फ्रांसीसी सरकार के साथ हुआ पत्र व्यवहार , नामों की सूची और स्थिति रिपोर्ट शामिल है.
627 नामों में आधे से अधिक भारतीय नागरिक
सरकार की ओर से 627 लोगों के नाम जो आज सुप्रीम कोर्ट को सौंपे गये हैं उसमें आधे से अधिक भारतीय नागरिकों के हैं. इसके अलावे कुछ नाम विदेशों में रह रहे भारतीयों के भी है.
काला धन रखनेवालों को संरक्षण देना सरकार बंद करे
मंगलवार को 30 मिनट की सुनवाई मेंसुप्रीम कोर्टनेकहा कि काला धन रखनेवालों को संरक्षण देना सरकार बंद करे और सारे नाम उसे सौंपे. वह मामले की एसआइटी से जांच करवा लेगी. विदेशी समझौतों को भी देख लेगी. चीफ जस्टिस एचएल दत्तू की अगुवाईवाली पांच जजों की बेंच ने कहा कि सरकार के भरोसे जांच कभी पूरी नहीं होगी.
खाताधारकों के नाम के खुलासे से जुड़े न्यायिक आदेश में संशोधन के अनुरोध पर भी कोर्ट ने केंद्र को आड़े हाथ लिया. कहा कि सरकार आदेश में सुधार का अनुरोध नहीं कर सकती, क्योंकि खुले कोर्ट में पारित आदेश को उसने स्वीकार किया था. कहा, ‘हम आदेश में एक शब्द भी नहीं बदलेंगे.
सोमवार को एनडीए सरकार ने देश की शीर्ष कोर्ट को प्रदीप बर्मन, पंकज लोढ़िया, राधा टिम्ब्लो समेत आठ लोगों के नाम बताये और कहा कि विदेशी बैंकों में इनके काला धन जमा हैं. सरकार ने कहा कि किसी का नाम छुपाने की सरकार की कोई मंशा नहीं है. खाताधारकों के खिलाफ सबूत मिलेंगे, तो उसके नाम का भी खुलासा किया जायेगा. इससे पहले नामों का खुलासा दोहरा कराधान बचाव समझौते का उल्लंघन होगा. इस पर शीर्ष कोर्ट ने कहा कि सरकार को कोई जांच करने की जरूरत नहीं है. वह सिर्फ सभी लोगों के नाम की लिस्ट उसे दे दे. वह आदेश पारित कर एसआइटी से जांच करा लेगी. विदेशों से हुए समझौते का मामला भी वह देख लेगी. अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने कोर्ट को बताया कि सरकार को जर्मनी और अन्य देशों से 500 खाताधारकों के नाम मिले हैं.
दूसरी तरफ, केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि सरकार के पास जो नामों की सूची है, उसे काला धन मामले की जांच के लिए बनी एसआइटी को 27 जून को ही उपलब्ध करा दिया गया था. उन्होंने कहा कि सभी नामों की सूची सरकार बुधवार को सुप्रीम कोर्ट को सौंप देगी.
भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने भी सरकार पर सवाल उठाये. स्वामी ने सरकार के इस रुख को ‘गलत’ करार दिया कि संधियों के कारण विदेशों में बैंक खाते रखनेवालों के नामों का खुलासा नहीं किया जा सकता. सुप्रीम कोर्ट द्वारा सरकार की खिंचाई पर विपक्षी पार्टियों ने भी खुशी जाहिर की. स्वामी ने जोर देकर कहा कि विदेशों में बैंक खाते रखनेवाले लोगों के नामों का खुलासा न करने का सरकार के पास पहले दिन से ही कोई ‘कानूनी आधार’ नहीं था. कहा, ‘दोहरा कराधान निषेध संधि (डीटीएए) का हवाला देने में यूपीए सरकार भी गलत थी और हमारी सरकार भी. सुप्रीम कोर्ट ने जो कुछ कहा है, कानून में सही स्थिति है.’ स्वामी ने एक टीवी चैनल को बताया, ‘यह भ्रष्टाचार, घोटाले का पैसा है. और कानून में इसका संरक्षण नहीं है.’
कांग्रेस प्रवक्ता संजय झा ने कहा, ‘यह स्पष्ट था कि सरकार विदेशी बैंकों में खाताधारकों की तरफ से मामले को यह कहते हुए रख रही है कि उनकी निजता बनाये रखने की जरूरत है. सच्चाई यह है कि डीटीएए का कोई भी समझौता सरकार को खाताधारकों का नाम बताने से नहीं रोकता.’ समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता गौरव भाटिया ने कहा कि यह आदेश नरेंद्र मोदी सरकार के लिए बड़ी शर्मिदगी है. शीर्ष कोर्ट के पास कोई विकल्प नहीं रह गया था, क्योंकि केंद्र सरकार सहयोग नहीं कर रही थी.
आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने साबित कर दिया कि देश में कानून से ऊपर कोई नहीं है. साथ ही कहा कि सरकार काला धन रखनेवालों के नामों का खुलासा कर देगी, तो उन्हें चंदा कौन देगा. वहीं, कांग्रेस महासचिव अजय माकन ने कहा कि कोर्ट के निर्णय ने केंद्र सरकार की कोरी बहानेबाजी को उजागर कर दिया है. चुनाव में भाजपा नेता बढ़-चढ़ कर घोषणा कर रहे थे कि 100 दिन के अंदर विदेशों में जमा काले धन को वापस लायेंगे. भाजपा और रामदेव जैसे उसके समर्थकों ने कहा था कि 50 हजार से ज्यादा लोगों ने विदेशी बैंकों में काला धन रखा हुआ है. देश उन 50 हजार लोगों के नाम जानना चाहता है.
गोवा की खनन उद्यमी राधा टिम्ब्लो ने मंगलवार को इस बात से इनकार किया कि उनका देश या विदेश में कोई ‘अघोषित’ बैंक खाता है. इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट में पेश हलफनामे के बारे में उन्होंने कहा, ‘मेरी अंतरात्मा बहुत साफ है. हमने सारे कर चुकाये हैं.’ यह मामला ‘पहले ही निपट गया है’ और इस पर निर्णय हो चुका है.
कोर्ट की सख्त टिप्पणी : क्यों बचा रहे हैं विदेशों में काला धन रखनेवालों को
हम अपने आदेश में एक शब्द भी नहीं बदलेंगे.
विदेशी बैंकों में सारे खाता धारकों के नाम कल तक उसके सामने पेश किये जायें
सरकार अब आदेश में सुधार का अनुरोध नहीं कर सकती, क्योंकि वह तो खुली अदालत में पारित किया गया था और सरकार ने इसे स्वीकार किया था
हम कालाधन वापस लाने का मसला सरकार पर नहीं छोड़ सकते.
आपको लोगों (विदेशी बैंकों में खाताधारकों) के हित नहीं देखने हैं. विशेष जांच दल इसका ध्यान रखेगा
अरुण जेटली ने कहा
कालाधन रखनेवाले खाताधारकों के जो भी नाम सरकार के पास उपलब्ध हैं, उन्हें उच्चतम न्यायालय को सौंप दिया जायेगा
खाताधारकों कीसूची विशेष जांच टीम को 27 जून को दे दी गयी थी