नयी दिल्ली : काला धन मामले में एचएसबीसी बैंक की तरफ से दिए गए 627 अकाउंट होल्डर्स के नाम में किसी भी बड़े नेता या उद्योगपति का नाम शामिल नहीं है. अंग्रेजी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार ज्यादातर बैंक अकाउंट्स 2006 से बहुत पहले के हैं.
आशंका जतायी है कि 627 अकाउंट होल्डर्स में से 350 ऐसे भारतीय हैं जिनके अकाउंट्स से कुछ भी हासिल नहीं होने वाला है. एचएसबीसी बैंक के यह खाते भारत से भी चलाये जाते हैं.
वहीं 627 में से बाकी बचे भारतीय एनआरआइ हैं जिनपर यह कानून लागू नहीं हो सकता है. गौरतलब है कि कल सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद सरकार की ओर से एक सील बंद लिफाफे में 627 लोगों के नाम कोर्ट को दिए गये.
अखबार में छपी खबर की माने तो यदि सरकार इन अवैध पैसों को अवैध बताकर जब्त भी करती है तो कुछ ज्यादा उसके हाथ आने वाला नहीं है क्योंकि जिन नामों का उल्लेख किया गया है उनकी रकम बहुत कम है.
बाबा राम देव ने इस मामले में कहा है कि मुझे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मंशा पर शक नहीं है लेकिन काला धन वापस लाने में देरी ने मेरी चिंता बढ़ा दी है.
केंद्र ने 627 खाताधारकों की सूची न्यायालय को सौंपी
केंद्र सरकार ने जिनीवा में एचएसबीसी बैंक में खाताधारक 627 भारतीयों की सूची आज उच्चतम न्यायालय को सौंपी. सरकार ने कहा कि काला धन वाले इन सभी संदिग्ध मामलों में मार्च 2015 तक कर जांच संबंधी कार्यवाही पूरी की जानी है. प्रधान न्यायाधीश एच एल दत्तू की अध्यक्षता वाली खंडपीठ के समक्ष अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने फ्रांस सरकार से हुये पत्रचार और खाता धारकों के नाम तथा काला धन मामले में अब तक जांच की प्रगति रिपोर्ट अलग अलग सीलबंद लिफाफों में पेश किया. न्यायालय ने इन लिफाफों को खोला नहीं.
न्यायालय ने कहा कि इन लिफाफों को शीर्ष अदालत द्वारा नियुक्त विशेष जांच दल के अध्यक्ष पूर्व न्यायाधीश एम बी शाह और उपाध्यक्ष पूर्व न्यायाधीश अरिजित पसायत खोलेंगे और इस पर आगे की कार्रवाई के बारे में फैसला करेंगे. केंद्र सरकार ने कहा कि लगभग आधे खाता धारक भारतीय निवासी हैं जिनके खिलाफ आयकर कानून के तहत कानूनी कार्यवाही की जा सकती है और शेष प्रवासी भारतीय हैं.
फ्रांस की सरकार ने 2011 में ये नाम भारत को सौंपा था
अटार्नी जनरल ने कहा कि कुछ खाता धारकों ने खाता रखने की बात स्वीकार की है और उन्होंने इस पर करों की अदायगी भी कर दी है. रोहतगी ने कहा कि खाता धारकों का विवरण 2006 का है जिसे फ्रांस की सरकार ने 2011 में भारत को सौंपा था. उन्होंने कहा कि इन खातों में अधिकांश लेन देन 1999 और 2000 के दौरान हुआ था और इन सभी मामलों में कर निर्धारण की प्रक्रिया पूरी करने की अवधि 31 मार्च 2015 को समाप्त होने वाली है. उन्होंने कहा कि आय कर कानून में संशोधन किया जा चुका है और अब कर चोरी के मामले में अपराध होने के छह साल की बजाये 16 साल के भीतर कार्यवाही शुरु की जा सकती है.