शिवसेना ने भाजपा से मांगे 10 अहम विभाग

मुंबई : महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के रूप में देवेंद्र फडणवीस के शपथ ग्रहण के बाद एक बार फिर भाजपा व शिवसेना में सरकार को लेकर सौदेबाजी का दौर शुरू हो चुका है. नयी सौदेबाजी तब शुरू हुई, जब शिवसेना ने भाजपा को यह चेतावनी दे डाली कि अगर वह सरकार में शामिल नहीं हुई, तो […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 2, 2014 5:34 PM
मुंबई : महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के रूप में देवेंद्र फडणवीस के शपथ ग्रहण के बाद एक बार फिर भाजपा व शिवसेना में सरकार को लेकर सौदेबाजी का दौर शुरू हो चुका है. नयी सौदेबाजी तब शुरू हुई, जब शिवसेना ने भाजपा को यह चेतावनी दे डाली कि अगर वह सरकार में शामिल नहीं हुई, तो विपक्ष में बैठेगी और विधानसभा में दूसरी सबसे बड़ी पार्टी होने के नाते स्वाभाविक रूप से नेता विपक्ष के पद पर उसका अधिकार होगा. शिवसेना ने सरकार में शामिल होने के सवाल पर एक बार फिर भाजपा के सामने अपनी कठोर शर्ते रख दी है.
शिवसेना के सूत्रों ने कहा है कि पार्टी सरकार में समान व सम्मानजनक हिस्सेदारी चाहती है. पर, अब तक यह साफ नहीं हो सका है कि शिवसेना के लिए सरकार में किस तरह जगह बनायी जायेगी. शिवसेना ने भाजपा के सामने मंत्रिमंडल में कम से कम दस सीटें मांगी है. उसने कुछ अहम मंत्रलय भी अपने लिए मांगे हैं. शिवसेना की नजरें स्वास्थ्य, शिक्षा, श्रम, परिवहन, लोक निर्माण जैसे अहम मंत्रलयों पर है. ये ऐसे मंत्रलय हैं, जो सीधे तौर पर जन सरोकार से जुड़े विषयों पर काम करते हैं. पार्टी का मानना है कि इससे उसकी छवि आमलोगों में बेहतर होगी. पार्टी सूत्रों के अनुसार, शिवसेना के नेता अनिल देसाई केंद्रीय मंत्री व वरिष्ठ भाजपा नेता अरुण जेटली से इन मुद्दों पर बातचीत कर रहे हैं. इस बीच आज मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने अपने मौजूदा छोटे कैबिनेट के मंत्रियों के बीच प्रमुख विभागों का बंटवारा किया है.
सूत्रों के अनुसार, शिवसेना ने 12 नवंबर को सरकार के विश्वास मत हासिल करने से पहले सरकार में अपनी भागीदारी भाजपा को सुनिश्चित करने को कहा है. कहा जा रहा है कि औपचारिक रूप से शिवसेना ने 10 नवंबर तक समय दिया है. उस समय तक मांग नहीं माने जाने पर वह 11 नवंबर तक विपक्ष के नेता का एलान कर सकती है. शिवसेना ने अपनी ओर से रवींद्र वाइकर का नाम नेता विपक्ष के लिए तय कर रखा है. शिवसेना के एक नेता के अनुसार, उद्धव ठाकरे देवेंद्र फडणवीस के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल हो चुके हैं. ऐसे में अब गेंद भाजपा के पाले में है और निर्णय भी उसे ही लेना है.

Next Article

Exit mobile version