नयी दिल्लीः वरिष्ठ पत्रकार राजदीप सरदेसाई ने अपनी पुस्तक इलेक्शन दैट चेन्ज इंडिया में कांग्रेस पार्टी की नेतृत्व क्षमता पर ठीक उसी तरह सवाल खड़ा किया है जैसे संजय बारू की किताब द एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर में किया गया था. इस किताब में लोकसभा चुनाव के बाद भाजपा और कांग्रेस की बदली हैसियत का भी प्रमुखता से जिक्र है.
इससे कई तरह के सवाल भारतीय राजनीति में खड़े हो गये है. सरदेसाई ने अपनी किताब में बताया है किस तरह पार्टी व सरकार में एक व्यक्ति का पूर्व वर्चस्व हो गया है. इस पुस्तक में एक और पक्ष की बड़ी प्रमुखता से चर्चा की गयी है इसमें नरेंद्र मोदी की कार्यशैली की तुलना दिवंगत प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की कार्यशैली से की गयी है. उन्होंने अपनी पुस्तक इलेक्शन दैट चेन्ज इंडिया में लिखा है किस तरह पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी से उनके सहयोगी डरते थे. ठीक उसी तरह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से उनके सहयोगी डरते हैं
राजदीप सरदेसाई ने नरेंद्र मोदी के बढ़ते कद की चर्चा की है. चुनाव के बाद मोदी की बढ़ती लोकप्रियता के साथ पार्टी पर उनके बढ़ते दबदबे की तुलना भी इंदिरा गांधी से की गयी है. सरदेसाई ने लिखा है मोदी के काम करने का तरीका भी इंदिरा गांधी के तरीके से मेल खाता है. 372 पन्ने की इस किताब में लोकसभा चुनाव के बाद भाजपा और कांग्रेस की हालत पर चर्चा की गयी है. पुस्तक में कैबिनेट में हुए बंटवारे को भी एक रणनीति के तरह उठाया गया कदम बताया गया है.
राजदीप ने लिखा है, किस तरह मोदी ने चंद नामों पर भरोसा जताया और हारे हुए प्रत्याशियों को भी अपने कैबिनेट में जगह दी. इसमें स्मृति ईरानी और अरुण जेटली के नाम का जिक्र है. सरदेसाई ने अपनी पुस्तक में कांग्रेस पार्टी के नेतृत्व क्षमता पर भी सवालिया निशान लगा दिया है . उन्होंने लिखा, राहुल गांधी में न तो कोई लिडरशिप क्वालिटी है और ना ही उनकी पार्टी में कोई उनकी इज्जत करता है. नेहरू गांधी परिवार के वह पहले ऐसे शख्स हैं, जिनकी पार्टी में कोई पकड़ नहीं है. उनके नेतृत्व में कांग्रेस को इस लोकसभा चुनावों में करारी हार का सामना करना पड़ा है.कुल मिलाकर इस पुस्तक में लोकसभा चुनाव के बाद मोदी की कार्यशैली और जीत की तुलना पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी से की गयी है. किस तरह इन दोनों नेताओं ने अपने कैबिनेट पर पकड़ बनायी.